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आगम विषय कोश-२
६६७
परिशिष्ट १
विषय कथा-संकेत
सन्दर्भ एषणा समिति
नंदीषेण । पांच साधु। आदान निक्षेप समिति
श्रेष्ठीसुत मुनि उत्सर्ग समिति
धर्मरुचि अनगार मन-वचन-कायगुप्ति
श्रेष्ठीसुत । साधु और चोर। साधु । नि ९२ की चू प ६० अधिकरण और क्षमा दुरूतक-कुंभकार।
नि ९२-९४ च प६० क्षमादान उद्रायण और प्रद्योत
नि ९२-९८ शरणागत-रक्षा द्रमक और चोर सेनापति
नि ९२, ९९, १०० चू प ६१ क्रोध पर्वत-भूमि-रेणु-जलराजि
नि १०१-१०३ चू प६१ मान
शैल--अस्थि-काष्ठ-लतास्तंभ माया
वंशमूल-मेषविषाण-गोमूत्रिका-अवलेखनिका लोभ
कृमिराग-कर्दम-कुसुम्भ-हरिद्राराग क्रोध का परिणाम मरुक
नि १०४-११२ चूप६२, ६३ मान का परिणाम
अत्वंकारी भट्टा माया का परिणाम
पांडुरा आर्या लोभ का परिणाम
आचार्य मंगु आचारवान आशीविष सर्प दृष्टांत
९/२/३७ चू प७६ बृभा (बृहत्कल्पभाष्य) भाग-१ मंगल नृप। निधि। विद्या-मंत्र
२० सम्यक्त्व सरित्प्रस्तर। पथ । ज्वर। वस्त्र
९६-११० जल। पिपीलिका। पुरुष। कोद्रव अनुयोग
१७१, १७२ द्रव्यानुयोग
वृ पृ५२-५८ क्षेत्रानुयोग
शातवाहन और कुब्जा कालानुयोग
तक्रविक्रय वचनानुयोग
बधिर-उल्लाप। ग्रामेयक भावानुयोग
श्रावक भार्या । साप्तपदिक। कोंकणकदारक। नकुल। कमलामेला। शम्ब । श्रेणिक और चेलना। मुद्रायुक्त पत्रक
१९५ वृ पृ६३ भाषा-विभाषा-वार्तिक प्रतिश्रुत । अभ्रपटल। मंख
१९६-२०० ऋषभ-महावीर की तुल्य प्ररूपणा वर्तनी दृष्टांत
२०५-२०७
वत्स-गौ
सूत्र-अर्थ
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