Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 711
________________ परिशिष्ट १ ६६४ आगम विषय कोश-२ सन्दर्भ ३८१४,३८४६ ३८१४ चू, ३८५५, ३८५८ ३८१४ चू, ३८५६ ३९६४-३९७५ ४००५ ४०२३ चू ४०९७ ४१७४ ४१७९ ४२१५-४२१८ चू विषय कथा-संकेत प्रत्याख्यानकालीन उपयोग कंचनपुर में क्षपक का पारण द्रव्यसंलेखना शिष्य द्वारा अंगुलि-त्रोटन भाव संलेखना अमात्य और कोंकणक दृष्टांत पादोपगमन अनशन में स्कन्दक के शिष्य। चाणक्य। चिलातीपुत्र। धृति-सहिष्णुता कालास अनगार। बांसों का स्फुटन। अवन्ति सुकुमाल । जलप्रवाह का उपसर्ग। म्लेच्छ द्वारा उपसर्ग पुस्तक-अयतना और हिंसा चतुरंगिणी सेना आवेष्टित मृग उपयोग में धर्म जैनश्रमण और बौद्धभिक्षु पुरःकर्मकृत कर्मबंध उडंक ऋषि द्वारा इन्द्र को शाप कुशलता से द्रव्य रक्षा अगारी दृष्टांत श्रम से स्व-परहित श्रमी बालक और बदरीफल नौका संतरण संबंधी दोष मुरुंड राजा और साधु। सुदाढ और . नौकारूढ भगवान महावीर पृथ्वीकाय में वेदना, स्नेहगुण, ज्ञान स्थविर और तरुण। रूक्ष भोजन निधान दर्शन सदोष मयूरांक राजा और दीनार उपेक्षा से हानि वृक्ष दृष्टांत। ऋण दृष्टांत। व्यवहारनिर्णय दो महिला, एक पुत्र भिक्षा का दोष : धातृपिण्ड अतिशयधारी संगम स्थविर, शिष्य दत्त निमित्त पिण्ड गर्भवती घोड़ी की हत्या चिकित्सा पिण्ड दुर्बल व्याघ्र कोपपिण्ड मासक्षपक धर्मरुचि मानपिण्ड क्षुल्लक और श्वेतांगुलि आदि पुरुष विद्यापिण्ड भिक्षु उपासक मन्त्रपिण्ड पादलिप्त आचार्य और मुरुंड राजा अन्तर्धान पिण्ड चन्द्रगुप्त, चाणक्य और क्षुल्लकद्वय योगपिण्ड समिताचार्य और तापस क्रीतकृत शय्यातर मंख प्रामित्य बहन का दासीत्व परिवर्तन कोद्रव के बदले शालिकूर आच्छेद्य प्रभु और गोप। स्वामी । स्तेन। ४२६३-४२६५ ४३१६ ४३३८ ४३५७ ४३९३, ४३९४ चू ४४०५-४४०८ ४४३७ ४४४६-४४५३ ४४५७-४४५९ ४४६० ४४६३-४४६५ ४४७०-४४७२ ४४७७-४४७९ ४४८७-४४८९ ४४९४-४४९६ ४५००-४५१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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