Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 688
________________ आगम विषय कोश-२ ६४१ स्थविरावलि काश्यपगोत्रीय श्रमण भगवान महावीर के अंतेवासी हुए स्थविरावलि यंत्र अग्निवैश्यायनगोत्रीय स्थविर आर्य सुधर्मा । आर्य सुधर्मा के अंतेवासी १. आर्य सुधर्मा १८. , शिवभूति काश्यपगोत्रीय आर्य जंबू। आर्य जंबू के अंतेवासी कात्यायनगोत्रीय २. , जंबू १९. , भद्र आर्य प्रभव। आर्य प्रभव के अंतेवासी वत्सगोत्रीय मुनि मनक के ३. , प्रभव २०. " नक्षत्र पिता स्थविर आर्य शय्यंभव। आर्य शय्यंभव के अंतेवासी-तुंगियायण ४. , शय्यंभव २१. , रक्ष गोत्रीय स्थविर आर्य यशोभद्र। ५. , यशोभद्र २२. ,, नाग संक्षिप्त वाचना के अनुसार आर्य यशोभद्र से आगे स्थविरा ६. , संभूतविजय-भद्रबाहु २३. " जेहिल वलि इस प्रकार है ७. , स्थूलभद्र २४. , विष्णु ___आर्य यशोभद्र के दो अंतेवासी हुए-माठरगोत्रीय आर्यसंभूत- ८. , महागिरि-सुहस्ती २५. ,, कालक विजय और प्राचीन गोत्रीय आर्य भद्रबाह । आर्यसंभत-विजय के ९. , सुस्थित-सुप्रतिबुद्ध २६. , संपलित भद्र शिष्य-गौतमगोत्रीय आर्य स्थूलभद्र । आर्य स्थूलभद्र के दो अंतेवासी १०. " इन्द्रदत्त २७. " वृद्ध शिष्य हुए–एलापत्यगोत्रीय स्थविर आर्य महागिरि और ११. , दत्त २८. " संघपालित वाशिष्ठगोत्रीय आर्य सहस्ति। आर्य सहस्ति के दो अंतेवासी १२. , सिंहगिरि २९. " हस्ती व्याघ्रापत्यगोत्रीय सुस्थित और सुप्रतिबुद्ध। ये दोनों कोडिय काकंदक १३., वज्र ३०. , धर्म कहलाते थे। इन दोनों के शिष्य-कौशिकगोत्रीय आर्य इन्द्रदत्त। १४ , वजन ३१. , सिंह आर्य इन्द्रदत्त के अंतेवासी गौतमगोत्रीय स्थविर आर्य दत्त। आर्य १५. , पुष्यगिरि ३२. , धर्म दत्त के अंतेवासी कौशिकगोत्रीय स्थविर आर्य सिंहगिरि, जिन्हें १ , फलामित्र ३३. , देवर्द्धिगणी जातिस्मृति ज्ञान उपलब्ध था। आर्य सिंहगिरि के अंतेवासी १७. , धनगिरि गौतमगोत्रीय आर्य वज्र। आर्यवज्र के अंतेवासी कौशिकगोत्रीय -दशा ८ परि सू १८६, १८७, २१७-२२२ आर्यवज्रसेन। . १. आर्य सुधर्मा १४. आर्य शांडिल्य ० सात अंतेवासिनी शिष्याएं २. " जंबू १५. " समुद्र __.."थेरस्स णं अज्जसंभूयविजयस्स"सत्त अंतेवासिणीओ ३. " प्रभव १६. , मंगु अहावच्चाओ अभिण्णाताओ होत्था. तं जहा ४. , शय्यंभव १७. , नन्दिल जक्खा य जक्खदिन्ना, भूया तह होइ भूयदिन्ना य। ५. " यशोभद्र १८. , नागहस्ति सेणा वेणा रेणा, भगिणीओ थलभहस्स॥ ६. " सभूतविजय १९. , रेवतीनक्षत्र (दशा ८ परि सू १९१/३) ७. " भद्रबाहु २०. वाचक सिंह ८. " स्थूलभद्र २१. आचार्य स्कन्दिल स्थविर आर्यसंभूतविजय के सात अंतेवासिनी शिष्याएं ९. , महागिरि २२. आर्य हिमवन्त थीं-यक्षा, यक्षदत्ता, भूता, भूतदत्ता, सेना, वेणा, रेणा-ये स्थूलभद्र १०. , सुहस्ती २३. वाचक नागार्जुन की बहनें थीं। ११. " बहुल २४. आर्य भूतदिन्न (दशाश्रुतस्कंध (पर्युषणाकल्प), नन्दी आदि के अनुसार १२. , स्वाति २५. आर्य लोहित्य छह स्थविरावलि/पट्टावलि यंत्र यहां दिए जा रहे हैं, जो भिन्न १३. "श्याम २६. आर्य दूष्यगणि भिन्न गुरुपरम्पराओं के सूचक हैं। -नन्दी, गाथा २३-४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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