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शरीर
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आगम विषय कोश-२
मनुष्यों के दो प्रकार के शुभ लक्षण होते हैं
लक्षण के तीन प्रकार हैं० बाह्य लक्षण-गंभीरस्वर, प्रशस्त वर्ण आदि।
१. मानयुक्त-जलद्रोणिक पुरुष। (द्र श्रीआको १ अंगुल) ० आभ्यन्तर लक्षण-स्वभाव, सत्त्व (अदीनता) आदि। २. उन्मानयक्त-सारपदगलों से निर्मित अर्धभार तोल वाला परुष . सामान्य मनुष्य के बत्तीस, बलदेव-वासुदेव के एक सौ (अर्धभार उन्मान प्रमाण है।- श्रीआको १ प्रमाण) आठ और चक्रवर्ती तथा तीर्थंकर के एक हजार आठ लक्षण होते ३. प्रमाणयुक्त-अपने अंगुल से बारह अंगुल का मुख होता है। हैं-जो शरीर के हाथ-पैर आदि अवयवों पर स्पष्ट रूप से दिखाई नौ मुख जितना (१०८ अंगुल वाला) पुरुष । देते हैं. उनका यह परिमाण है। आभ्यन्तर लक्षणों के साथ उनकी (CHER Aah • eas १०८ अंगुल, मध्यम पुरुष की संख्या और अधिक है। ये लक्षण पूर्वजन्मकृत शुभ शरीर अंगोपांग १०४ अंगुल, अधम पुरुष की ९६ अंगुल।-अनु ३९० नामकर्म के उदय से होते हैं।
पदतल से शीर्षपर्यंत प्रामाणिक नाप * औदारिक आदि शरीर
द्र श्रीआको १ शरीर पाणि-एड़ी से अंगुलि तक लम्बाई १४ अंगुल २. देव आदि के शरीर में लक्षण
० पदतल के अग्रभाग की चौड़ाई
६ अंगुल भवपच्चइया लीणा, तु लक्खणा होंति देवदेहेस। ० पैर के अंगूठे की लंबाई
२ अंगुल भवधारिणिएसु भवे, विउव्वितेसुं तु ते वत्ता॥ ० तर्जनी अंगुलि
२ अंगुल ओसण्णमलक्खणसंजुयाओ बोंदीओ होंति निरएस। ० मध्यमा अंगुली से अंगूठे की लम्बाई १/१६ भाग कम
१/२ भाग कम नामोदयपच्चइया, तिरिएसु य होंति तिविहा उ॥ ० अनामिका मध्यमा से
(निभा ४२९६, ४२९७) ___० कनिष्ठिका अनामिका से
१/६ भाग कम
० टखनों से घुटनों तक (जंघा) की लम्बाई १८ अंगुल देवों के भवधारणीय शरीर में भवप्रत्ययिक लक्षण अव्यक्त
० घुटनों से ऊपरी भाग की लम्बाई
२१ अंगुल होते हैं, उत्तरवैक्रिय शरीर में वे व्यक्त होते हैं।
० कटिभाग की लम्बाई
१८ अंगुल नैरयिकों का शरीर एकांततः अलक्षणयुक्त होता है।
० नाभि से नाभि तक कटिभाग की परिधि ४६ अंगुल तिर्यञ्चों में तीनों प्रकार के शरीर होते हैं-लक्षणयुक्त, अलक्षण
० पुरुष के कटिभाग की अर्द्ध परिधि
१८ अंगुल युक्त और मिश्र-ये सब नामकर्म के उदय से होते हैं।
० स्त्री के कटिभाग की अर्द्ध परिधि
२४ अंगुल ३. लक्षण और व्यंजन में अंतर
० लिङ्गस्थान से नाभि तक की लम्बाई १२ अंगुल माणुम्माणपमाणादिलक्खणं वंजणं तु मसगादी। . नाभि से हृदय तक की लम्बाई
१२ अंगुल सहजं च लक्खणं, वंजणं तु पच्छा समुप्पण्णं ॥ ० हृदय से ग्रीवा तक की लम्बाई
१२ अंगुल (निभा ४२९४) ० पष्ठभाग में अस्थिपुच्छ से ग्रीवा तक की लम्बाई ५६ अंगल लक्षण-मान-उन्मान-प्रमाण आदि जो सहजात हैं।
० पुरुष के वक्षः स्थल की अर्द्ध परिधि
२४ अंगुल ० व्यंजन-तिल, मस आदि जो पश्चात् समुत्पन्न हैं।
० स्त्री के वक्षः स्थल की अर्द्ध परिधि
१८ अंगुल (जिसके हाथ-पैरों में वज्र, शंख आदि चिह्न होते हैं, वह मणिबंध से मध्यमा अंगुली तक की लम्बाई १२ अंगुल श्रीसम्पन्न होता है। श्रीआको १ अष्टांगनिमित्त)
० मणिबंध से कोहनी पर्यंत हाथ की लम्बाई १६ अंगुल ४. मान-उन्मान-प्रमाण पुरुष
० कंधे से कोहनी पर्यंत भुजा की लम्बाई १८ अंगुल जलदोणमद्धभारं, समुहाइ समुस्सितो व जा णव तु। . गर्दन की लम्बाई
४ अंगुल माणुम्माणपमाणं, तिविहं खलु लक्खणं एयं॥ ० गर्दन की परिधि
२४ अंगुल (निभा ४२९५) ० ठुड्डी से ललाट की लम्बाई
१२ अंगुल
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