________________
श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-ग्रंथ 'आउट्टि' शब्द पर चन्द्र-सूर्य की आवृतियां किस ऋतु में और किस नक्षत्र के साथ कितनी होती हैं यह विषय देखने योग्य है ।
__'आगम' शब्द पर लौकिक और लोकोत्तर भेद से आगम के भेद, आगम का परतः प्रामाण्य, आगम के अपौरुषत्य का खण्डन, आप्तों द्वारा रचे हुए ही आगमों का प्रामाण्य, मोक्षमार्ग में आगम ही प्रमाण हैं, जिनागम का सत्यत्व प्रतिपादन आदि पच्चीस विषयों पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रकाश डाला है।
'आणा' शब्द पर आज्ञा के सदा आराधक होने पर ही मोक्ष, परलोक में आज्ञा ही प्रमाण है और आज्ञा के व्यवहार आदि का बहुत ही अच्छे ढंग से वर्णन किया है।
'आयरिय' शब्द पर आचार्य पद का विवेक, आचार्य के भेद, आचार्य का ऐह. लौकिक और पारलौकिक स्वरूप, आचार्य के भ्रष्टाचारत्व होने में दुर्गुण, एक आचार्य के काल कर जाने पर दूसरे के स्थापन में विधि, आचार्य की परीक्षा आदि विषय का बहुत ही सुन्दर तरीके से विशद विवेचन किया है।
__ 'आहार' शब्द पर केवलियों के आहार और नीहार प्रच्छन्न होते हैं। पृथ्वीकायिकादि, वनस्पति, मनुष्य, तिर्यग्, स्थलचर आदि यावज्जीव प्राणियों के आहार( भोजन ) संबंधी तमाम तरह का विचार किया गया है। कौन जीव कितना आहार करता है उसका परिमाण, आहार त्याग का कारण आदि बताया है। भगवान ऋषभदेव के समय में इस भूमि पर कन्दाहारी युगलिये मनुष्य थे जो कि लड़का और लड़की साथ उत्पन्न होते थे, केवल कन्दमूल से ही अपना जीवन चलाते थे, बड़े होने पर वे ही दोनों आपस में पति-पत्नी बन जाते थे ऐसे लोगों को भगवान ऋषभदेवने किस प्रकार अन्नाहारी बनाया है, आचार, विचारों में परिवर्तन किया है इस विषय को लेकर उस जमाने की परिपाटी पर मार्मिक विवेचन किया है।
'इत्थी' (स्त्री) शब्द पर स्त्री के लक्षण, स्त्रियों के स्वभाव व कृत्यों का वर्णन, स्त्री के संसर्ग में दोष, स्त्रियों के स्वरूप और शरीर की निन्दा, वैराग्य उत्पन्न होने के लिये स्त्रीचरित्र का निरीक्षण, स्त्री के साथ विहार, स्वाध्याय, आहार, उच्चार, प्रस्रवण, परिष्ठापनिका और धर्मकथादि करने का भी निषेध इत्यादि २० विषयों पर प्रकाश डाला है।
उसभ ' शब्द पर भगवान ऋषभदेव के पूर्वभव, तीर्थकर होने का कारण, जन्म और जन्मोत्सव, विवाह, संतान, नीति, व्यवस्था, राज्याभिषेक, राज्यसंग्रह, दीक्षाकल्याणक, चीवरधारी होने का कालप्रमाण, भिक्षा का प्रमाण उनके आठ भवों का वर्णन, केवलज्ञान होने के बाद धर्मकथन और मोक्ष तक सब वर्णन दिया है। उनके जीवनकाल के समय संसार तक