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भगवान् महावीर की वास्तविक जन्मभूमि वैशाली
प्रो. योगेंद्र मिश्र एम. ए. साहित्यरत्न
___ इतिहास-विभाग, पटना विश्वविद्यालय श्रमण भगवान महावीर जो जैनधर्म के चौबीसवें तीर्थकर हो चुके हैं, क्षत्रियकुंडपुर के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ के पुत्र थे । यह क्षत्रियकुंडपुर वैशाली के समीप स्थित था। प्राचीन वैशाली आजकल मुजफ्फरपुर जिल्ले का बसाढ़ नामक गाँव है । सबसे पहले इसकी पहचान मेजर जनरल कनिंगहम ने की थी। डाक्टर विंसेंट ए० स्मिथ ने भी इस पहचान को माना है और इसके पक्ष में एंसाइक्लोपीडिया ऑव रेलिजन ऐंड एथिक्स ' ( भाग १२, पृष्ठ ५६७-५६८) में उन्होंने निम्नलिखित प्रमाण दिये हैं
(१) केवल साधारण परिवर्तन के साथ प्राचीन नाम अभी भी चालू है।
(२) पटना तथा अन्य स्थानों से भौगोलिक संबंधों पर विचार करने से भी बसाद ही वैशाली ठहरता है।
(३) सातवीं शताब्दी के चीनी यात्री हुएनसांग द्वारा दिये हुए वर्णन का मिलान करने से भी हम इसी परिणाम पर पहुँचते हैं।
( ४ ) वैशाली की खुदाई में सीलें ( मुहरें ) मिली हैं जिन पर ' वैशाली' का नाम दिया हुआ है। ___जबसे बसाढ़ में वैशाली-नामांकित सीलें ( मुहरें) मिल गयी हैं तबसे इसमें रति भर भी संदेह नहीं रहा कि आधुनिक बसाढ़ ही प्राचीन वैशाली है जो लिच्छवियों की गौरवमयी राजधानी रह चुकी है । भगवान महावीर इन्हीं लिच्छवियों के संबंधी-ज्ञातृ-थे।
विद्वन्मंडली ने तो बहुत पहले से बसाढ और इसके समीपस्थ ग्रामों को प्राचीन वैशाली का प्रतिनिधि मान रखा है; पर अभी भी कुछ थोड़े से लोग हैं, जो इसे मानने को तैयार नहीं । उदाहरणार्थ श्री नरेशचंद्र मिश्र 'भंजन' ने ११ अप्रैल, १९४९ के 'आर्यावर्त' ( पटने से प्रकाशित हिंदी दैनिक ) में 'श्री महावीर की वास्तविक जन्ममूमि' शीर्षक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने यह सिद्ध करने की चेष्टा की थी कि मुंगेर जिल्ले के जमुई सबडिवीजन में अवस्थित लिच्छवाड़ नामक गाँव ही प्राचीन लिच्छवि राजाओं'
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