________________
साहित्य
जैन कथा - साहित्य |
६९७
कोशों की कहानियों और योरोप की कहानियों में प्रर्याप्त साम्यता है तथा यह भी निश्चित है कि ये सब की सब कहानियां जैन कथा साहित्य से उधार ली गई हैं। ट्वानी ने अनेक उदाहरणों द्वारा इस बात को सिद्ध किया है।
I
1
प्रसिद्ध योरोपीय विद्वान प्रोफेसर जैकोबीने अपनी 'परिशिष्ट पर्व' की भूमिका में एक स्त्री और उसके प्रेमी की एक जैन कथा को उद्धृत किया है । आश्चर्य की बात है। कि यही कहानी ज्यों की त्यों चीन के लोकसाहित्य में प्रचलित है और फ्रांस में भी कुछ रूपान्तर के साथ लोकप्रिय है 1 ' अलिफ लैला' ( आरबोपन्यास ) की कहानियों का मूल आधार भी जैन कथासाहित्य है, यह बात कुछ आश्चर्यजनक सी प्रतीत होती हुई भी सत्य है । 'अलिफ लैला' में एक वजीर की लड़की बादशाह की मलिका बन कर प्रति रात्रि एक कहानी सुना कर अपने प्राण बचाती है। इसी प्रकार आवश्यकचूर्णि की कहानी चतुराई का मूल्य' है जिसकी नायिका कनकमंजरी प्रति रात्रि एक कहानी सुनाने का लोभ दे कर अपने पति को जो कि राजा है ६ मास तक अपने पास रोके रहती है । 'नायाधम्मकहा' की ' प्रलोभनों को जीतो' कहानी का कथानक कहानियों से बहुत साम्य रखता है ।
"
4
अलिफ लैला की
जैन कथाओं की यह यात्रा योरोप आदि देशों में किस प्रकार हुई यह एक शोधनीय विषय है । प्राय विद्वानों का मत है कि जैनधर्म का प्रचार भारत से बाहर कम हुआ है; अतः विदेशों में जो जैन कथाऐं प्राप्य हैं वे बौद्ध साहित्य के माध्यम से पहुँची है । पर यह भ्रमात्मक धारणा है। आधुनिक अनुसंधानों से यह भली भांति स्पष्ट हो चुका है कि बौद्ध धर्म की भांति जैन धर्म का प्रचार भी विदेशों में प्रबलवेग से हुआ था । इस बात के प्रमाण आज मिलते हैं। डेढ़ हजार वर्ष पूर्व दक्षिण भारत में बहुत जैनी अरब देश से आकर बसे थे । अरब देश में जैन धर्म किसी समय अत्यन्त व्यापक रूप से फैला हुआ था यह बात निश्चित है । मौर्य सम्राट् सम्प्रति ने अरब और ईरान में जैन मुनियों का विहार करवाया था । दक्षिण के तिरुमलय पर्वत के शिलालेख में ' एलानीया यवनिका ' ' राजराज पावगत' और विदुगहलगिय पेरुमल नाम के जैन धर्मालम्बी राजाओं का उल्लेख है । इनका सम्बन्ध स्पष्ट रूप से अरब देश से था । अन्तिम राजा पेरुमने तो मक्का की यात्रा भी की थी। जिन देशों में भगवान् महावीर का विहार हुआ उनमें श्री जिनसेनाचार्यने यवनश्रुति, क्वाथतोय, सुरुभीरु तार्णकार्ण आदि देशों का भी उल्लेख किया है । ये निश्चय ही भारत से बाहर के देश हैं। इनमें से यवनश्रुति आज
22