Book Title: Rajendrasuri Smarak Granth
Author(s): Yatindrasuri
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh

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Page 804
________________ साहित्य जैन कथा-साहित्य । की महत्व पूर्ण देन है । अन्य जैनेतर पौराणिक साहित्य से जैन पौराणिक साहित्य की विशेषता यह है कि इन में ऐतिहासिक तथ्यों का समावेश कई अधिक है । दूसरे शब्दों में जैन पुराण वस्तुतः ऐतिहासिक चरित काव्य हैं। उनके पात्र अमानवीय और सर्वथा पौराणिक न हो कर मानवीय और ऐतिहासिक हैं; इसी लिये हमारे जीवन के वे अधिक निकट हैं। इन जैन पुराणों में वर्णित घटनायें भी कपोलकल्पित नहीं जान पड़तीं । और इसमें भी सन्देह नहीं कि इन पुराणों के आधार पर भारतीय इतिहास की धूमिलता को बहुत बड़ी सीमातक दूर किया जा सका है। . ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से भी इन कथा ग्रंथों का स्थान बहुत ऊच्च है । इस सम्बंध में मुनि जिनविजयजी के शब्द उद्धत करना समीचीन ही होगा-" भारतवर्ष के पिछले ढाई हजार वर्ष के सांस्कृतिक इतिहास का सुरेख चित्रपट अंकित करने में जितनी विश्वस्त और विस्तृत उपादान सामग्री इन कथाओं में मिल सकती हैं उतनी अन्य किसी प्रकार के साहित्य में नहीं मिल सकती ! इन कथाओं में भारत के भिन्न-भिन्न धर्म, संप्रदाय, राष्ट्र , समाज, वर्ण आदि के विविध कोटि के मनुष्यों के नाना प्रकार के आचार-व्यवहार, सिद्धान्त, आदर्श शिक्षण, संस्कार, रीतिनीति, जीवन. पद्धति, राजतंत्र, वाणिज्य-व्यवसाय, अर्थोपार्जन, समाजसंगठन, धर्मानुष्ठान एवं आत्मसाधन आदि के निर्देशक बहुविध वर्णन निबद्ध किये हुये हैं जिनके आधार से हम प्राचीन भारत के सांस्कृतिक इतिहास का सर्वाङ्गी और सर्वतोमुखी मानचित्र तैयार कर सकते हैं।" जैन कथा साहित्य की बहुत बड़ी विशेषता उसके साहित्यिक और कलात्मक रूप में है। हम इस सम्बन्ध में इसी निबंध में आगे विचार करेंगे। यहां इतना ही कहना पर्याप्त हैं कि इन कथा, कहानियों के रूपों में जन-जीवन के सारभूत प्रसंग मणिमुक्ताओं की भांति पिरोये हुये हैं। यह सत्य है कि जैन कथा साहित्य की मूल संवेदना उसकी धार्मिक चेतना है, परन्तु दर्शन और नीतिकी शुष्कता को जैन कथाकारों द्वारा सरलता और रोचकता के सांचे में बड़ी कुशलता के साथ ढाला गया है। जन-जीवन के व्यापक धरातल पर टिके हुये रहने के कारण उसका रूप बड़ा प्राणवान् और चेतनाशील है। उसमें मानवजीवन की अनेक मानवताओं को मूर्तरूप प्रदान किया गया है। अनेक भंगीमाओं और अनेक चित्रों को सजाया गया है । इसी लिये तो जैन कथा साहित्य इतना मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण बन सका है। जैन कथा साहित्य की सार्वभौमिकता अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण जैन कथा साहित्य लोकजीवन में अनन्य लोक.

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