________________
संस्कृति उपासकदशांगसूत्र में सांस्कृतिक जीवन की झांकी । ३५१
(३) फलविहिः-स्नान करने के पहले सिर धोने के लिए आंवला आदि फलों की मर्यादा करना । आनन्दने जिस में गुठली उत्पन्न न हुई हो ऐसे आंवलों का नियम किया था।
(४) अब्भंगणविहिः-शरीर पर मालिश करने योग्य तेल आदि का परिमाण निश्चित करना । आनन्दने शतपाक (सौ औषधियां डालकर बनाया हुआ) और सहस्रपाक (हजार औषधियां डालकर बनाया हुआ ) तेल रखा था।
(५) उवट्टणविहिः-शरीर पर लगाए हुए तेल को सुखाने के लिए पीठी आदि की मर्यादा करना । आनन्दने कमलों के पराग आदि से सुगन्धित पदार्थ का परिमाण किया था ।
(६ ) मज्जणविहिः-स्नानों की संख्या तथा स्नान करने के लिए जल का परिमाण करना । आनन्दने स्नान के लिये आठ घड़ा जल का परिमाण किया था।
(७) वत्थविहिः-पहनने योग्य वस्त्रों की मर्यादा करना। आनन्दने कपास से बने हुए दो वस्त्रों का नियम किया था।
(८) विलेषणविहिः-स्नान करने के पश्चात् शरीर में लेपन करने योग्य चन्दन, केशर आदि द्रव्यों का परिमाण निश्चित करना । आनन्दने अगुरू, कुंकुम, चन्दन चादि की मर्यादा की थी।
(९) पुप्फविहिः-फूलमाला आदि का परिमाण करना । आनन्दने शुद्ध कमल और मालती के फूलों की माला पहनने की मर्यादा की थी।
(१०) आभरणविहिः-गहने जेवर आदि का परिमाण करना । आनन्दने कानों के श्वेत कुण्डल और स्वनामांकित मुद्रिका का परिमाण किया था।
(११) धूवविहिः-धूप देने योग्य पदार्थों का परिमाण करना । आनन्दने अगर और लोबान आदि का परिमाण किया था ।
(१२) भोयणविहिः-भोजन का परिमाण करना ।
(१३ ) पेज्जविहिः-पीने योग्य पदार्थों की मर्यादा करना । आनन्दने मूंग की दाल और घी में भुने हुए चावलों की राब की मर्यादा की थी।
(१४ ) भक्खणविहिः-खाने के लिए पक्वान्न की मर्यादा करना । आनन्दने घृतपूर (घेवर ) खांड से लिप्त खाजों का परिमाण किया था।
(१५) ओदणविहिः-क्षुधा निवृत्ति के लिए चावल आदि की मर्यादा करना । आनन्दने कमोद चावल का परिमाण किया था।
(१६) सूवविहिः-दाल का परिमाण करना । आनन्दने मटर, मूंग और उदड़ की दाल का परिमाण किया था।