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और जैनाचार्य विमलार्य और उनका पउमचरियं । सं. ५३० नहीं है अथवा उसके स्थान पर कोई और संख्या रही है। दूसरी ओर वह पउमचरिय का रचनाकाल वीरनिर्वाण की ७वीं शती के अंतिम भाग उपरान्त स्थिर करता है । प्रचलित मत के अनुसार यह समय दूसरी शती ई० के उत्तरार्ध में पड़ता है और स्वयं जैकोबी के मतानुसार (निर्वाण तिथि ४७७ या ४६७ ई० पू० होने पर ) यह समय ३री शती ई० के प्रारंभ में पड़ता है । ऐसी स्थिति में उस कथित भ्रान्त मान्यता के अनुसार निर्वाण की तिथि ३२५-३०० ई० पू० के आसपास होनी चाहिये, किंतु निर्वाण तिथि संबंधी ऐसी किसी मान्यता का कहीं भी कोई प्रमाण, आधार या संकेत आज पर्यन्त उपलब्ध नहीं हुआ है । इसके अतिरिक्त पउमचरिय की तिथि के संबंध में जैकोबी का कभी भी एक मत नहीं रहा । अपने विभिन्न लेखों में उसने उसे २री से लेकर ५वीं शती इ० पर्यन्त भिन्न भिन्न समयो में रचा गया अनुमान किया है।
महावीर निर्वाणतिथि को भी जैकोबी ने पहले ४७७ ई० पू० में निर्णीत किया था, बाद में जार्ल चारपेटियर आदि के मत से प्रभावित हो कर उसे ४६७ ई० पू० प्रति पादित किया । इन मान्यताओं के लिये भी कोई पुष्ट आधार नहीं है। कतिपय मध्यकालीन आधारों, दो एक भ्रमपूर्ण सूचनाओं के आधार पर इन विद्वानोंने निर्वाणकाल में ५० या ६० वर्ष कमी कर दीया है और उस में उनका प्रधान उद्देश्य महावीर निर्वाण की तिथि का बुद्ध निर्वाण की, उनके द्वारा निर्णीत ४८३-४ ई० पू०, तिथि के साथ समन्वय करना था। किन्तु स्वयं जैनों के दिगम्बर श्वेतांबर उभय संप्रदायों की प्राचीनतम काल से चली आई शिलालेखीय, साहित्यगत एवं मौखिक अनुश्रुतियें और मान्यतायें तथा अन्य बाह्य एवं अभ्यन्तर साधन सामूहिक रूप से महावीरनिर्वाण की तिथि ५२७ ई० पू० ही निर्विवाद रूप से सिद्ध करते हैं, और उसे अमान्य करने का एक भी अकाट्य प्रमाण या तर्क नहीं है ।
अब यदि विमलार्य का समय ईस्वीसन् का प्रारंभकाल है, जिसे असिद्ध करने के लिये भी कोई अकाट्य प्रमाण या तर्क नहीं है तो यह बात भी संभव प्रतीत नहीं होती कि उन्होंने प्रचलित निर्वाण संवत् के अतिरिक्त किसी अन्य निर्वाण संवत् का प्रयोग किया, अथवा उन्हें निर्वाण की ठीक तिथि ज्ञात नहीं थी । कालान्तर में प्राचीन अनुश्रुतियों के विभिन्न प्रदेश एवं कालवर्ती विभिन्न सम्प्रदायों के विभिन्न विद्वानों द्वारा विभिन्न भाषाओं में लिपिबद्ध कर दिये जाने पर तो अनेक भ्रमपूर्ण या भ्रामक सूचनाओं का प्रचार
३३. स्टडीझ इन दी जैनसोझैज, अं. २, महावीर की तिथि ।