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और उसका प्रसार राजस्थान में जैनधर्म का ऐतिहासिक महत्त्व । ५५३ पास सिमूर नाम के नगर में कुछ काफिर रहते थे। वे न तो जानवरों का वध करते थे
और न मांस, मछली और अंडों का प्रयोग करते थे। कुछ ऐसे व्यक्ति भी थे जो स्वयं तो वध नहीं करते थे, किन्तु दूसरों के द्वारा मारी हुई को खा लेते थे। इस प्रकार की सूचना से पता चलता है कि यहां पर जैन और बौद्ध बसते थे।
राजपूतों के समय में जैनधर्म राजपूतों की छत्रछाया में जैनधर्मने अधिक उन्नति की। वैष्णवधर्म के अनुयायी होते हुए भी उन्होंने जैनधर्म को उदारता की दृष्टि से देखा तथा उन्नति में हर प्रकार का सहयोग दिया।
प्रतिहारों के समय:--राजस्थान में जैनधर्म का प्रचार प्रतिहारों के समय भी हुआ। वत्सराज के समय का बना हुआ ओसिया में एक महावीर का मंदिर है। इस वत्सराज का उल्लेख जिनसेनने अपने हरिवंशपुराण में भी किया है जो ७८३ ई. में लिखा गया था। इसके पश्चात् ७९२ ई. में उसका पुत्र नागभट्ट गद्दी पर बैठा । वह आम नाम के राजा से प्रसिद्ध है । वह जैन साधु बप्पभट्टसूरि का बहुत ही सम्मान रखता था तथा उसके आदेशानुसार अनेक स्थानों पर जैन मंदिर बनवाये । ८४० ई. में मिहिरभोज नाम का राजा हुआ जो ननसूरि तथा गोविन्दसूरि से प्रभावित था। कक्कुड़ मंडोर का प्रतिहार राजा था। वह संस्कृत का विद्वान तथा जैनधर्म का संरक्षक था । घटियाला के शिलालेख से पता चलता है कि उसने ८६१ ई. में एक जैन मंदिर बनवाया।
चौहानों के समय जैनधर्मः-चौहानों के समय जैनधर्म बहुत फैला । जिनदत्तसूरि अर्णराज के समकालीन थे । अजमेर में सूरिजी के दर्शन के लिए अर्णराज नित्य जाया करता था । उसने सूरिजी के अनुयायियों को मंदिर बनवाने के लिए भूमि दान दी। विजोलिया के (वि.)११६९ के शिलालेख से स्पष्ट पता चलता है कि पृथ्वीराज प्रथमने वहां के पार्श्वनाथ के मंदिर को खर्चे के लिए मोरकुरी नाम का गाँव दान में दिया। पृथ्वीराज के पश्चात् सोमेश्वर गद्दी पर बैठा जो प्रतापलंकेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। स्वर्ग प्राप्त करने की इच्छा से उसने रेवाना नाम का गाँव उपर्युक्त मंदिर को दान में दिया। इसके बाद पृथ्वीराज द्वितीय गद्दी पर बैठा। उसको वाद-विवाद का शोक था। उसके दरबार में (वि.)११९२ में जिनपतिसूरि और पण्डित पद्मप्रभ के बीच में वाद-विवाद हुआ जिसमें जिनपतिसूरि विजयी हुए।
नाडोल के चौहानोंने ९६० से लेकर १२५२ ई. तक राज्य किया । अश्वराज चौहान
१३. The History of India as told by its own people.