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और उसका प्रसार प्राचीन जैन साहित्य में मुद्रा संबंधी तथ्य । प्रकार से छोटी मुद्राऐं भी जिनको 'माष' ( Masha ) कहा जाता था, सोने, चांदी एवं तांबे की प्रचलित थीं। हां, ‘रुवग' ( Raushyaka =रौप्यक) संभवतः एक छेद की हुई ( Punch-marked ) चांदी की मुद्रा को ही कहा जाता था; परन्तु इस संबंध में हरि• भद्र की उक्ति से, जिस पर हम आगे चल कर विचार करेंगे, सूचित होता है कि 'रुप्यक' रजत मुद्रा को कहा जाता था जो तोल में ३२ रत्ति अथवा लगभग ५७ प्रेन की (जैसा कि 'पुराण' 'धरण' अथवा 'कार्षापण' नामक रजतमुद्राएँ हुआ करती थी ) नहीं होती थी और जो संभवतः प्रत्येक रजतमुद्रा के लिए अथवा अर्ध-द्राम* मुद्राओं के लिए एक सामान्य नाम के रूप में व्यवहृत होती थीं। इन अर्धदाम मुद्राओं का प्रचलन पार्थियन और स्किथियनों द्वारा किया गया था एवं उनके अनन्तर 'वलभी एवं गुप्त शासकों द्वारा मी उसका अनुसरण किया गया । ये मुद्राएँ साधारणतया अल्प वजनी हुआ करती थीं जिसका संभवित कारण इस सफेद धातु की कमी ही प्रतीत होती है।
'उपासक-दशांग-सूत्र'( Upasakadasanga-Sutra ) में हमें हिरण्य-सुवर्ण (hiranya suvarna ) का उल्लेख मिलता है जिसका वर्णन उमास्वामी अथवा उमास्वाति ( U.
masvami or Umas vati ) के तत्वार्थ-सूत्र ( Tattvartha-Suura ) में भी किया गया है। यह अन्तिम ग्रंथ उस समय लिखा गया था जब श्वेतांबरों और दिगम्बरों के आपसी यह भेद विच्छेदावस्था की चरम सीमा तक नहीं पहुँचे थे और इसलिए इसका काल C. 200-300 A. D. का निर्दिष्ट किया जा सकता है । इन वर्णनों में 'हिरण्य' शब्द सोने, चांदी अथवा कीमती धातु ( Bullion ) के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है, जबकि 'सुवर्ण' शब्द से स्वर्ण मुद्राओं का अभिप्राय हो रहा जैसा कि महाभारत, अष्टाध्यायी और अर्थशास्त्र से स्पष्ट है । जातकों में भी ऐसा ही वर्णन मिलता है।
* ड्राम ( drachm)-६० ग्रेन । अनु. ६. इस टाइप के सिक्कों का एक बहुत ही साधारण नाम 'द्रम' ( Dramina ) पड़ गया था।
७. Dr. Altekar, A. S. Relative Prices of Metals and coinsin Ancient India, JNSI., Vol. 11, pp. 1 ff.
८. तत्त्वार्थसूत्र (सं.-फूलचन्द्रजी शास्त्री) VII. 29, Text, p. 28। बुद्ध 'जातक' में मी (VI. 79 ) । of. डा० वी० एस० अप्रवाल का अध्यक्षीय भाषण, JNSI, Vol. XII, p. 194. ।
९. जैन कल्पसूत्र में महावीर के जीवनकाल में 'हिरण्य' और 'सुवर्ण' का एकाधिक बार उल्लेख मिलता है जहाँ 'हिरण्य' का प्रयोग बहुमूल्य धातुओं के लिए किया गया प्रतीत होता है।