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श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-ग्रंथ दर्शन और वीं शताब्दी तक हमारे पूर्वज चीन में जाते रहे। १०२९ विक्रमाब्द में चीनी त्रिपिटक का प्रथम मुद्रण हुआ। इस मुद्रण के लिए १,३०,००० काष्ठपट्ट उत्कीर्ण किए गए। यह पुण्य कार्य प्रथम सुंग सम्राट् के राज्यकाल में हुआ। सम्राट ने स्वयं त्रिपिटक की भूमिका लिखी। अगले ४०० वर्षों में त्रिपिटक के बीस भिन्न संस्करण प्रकाशित हुए।
दसवीं शताब्दी तक संस्कृत ग्रन्थों का अनुवाद वेग से चलता रहा। तत्पश्चात् गति धीमी पड़ गई। १०६८ विक्रमाब्द में धर्मरक्ष की अध्यक्षता में नया अनुवाद-मण्डल बनाया गया। ११ वीं शताब्दी के अन्त में मध्येशिया पर मुसलमानों का अधिकार हुआ। तब से भारत और चीन का सम्पर्कमार्ग सदा के लिये बन्द कर दिया गया।
विक्रमाब्द १४८६ में महाराजा युन्-लौने विभिन्न भाषाओं का विद्यालय बनाया। इस विद्यालय में संस्कृत-अध्यापन का आदरणीय स्थान था।
चीन से भारतधर्म कोरिया में पहुंचा । विक्रमाब्द ४२९ में चीन के सम्राट्ने कोरिया में बौद्ध सूत्र और मूर्तियां भेजीं। बारह वर्ष के पश्चात् भिक्षु मारानन्द पाकचेई नगर में गया। इसके पचास वर्ष अनन्तर बौद्ध भिक्षु सिल्लानगर में पहुंच गए। राजओंने जीवित प्राणियों की हिंसा का निषेध किया । राजपुत्रोंने काषाय धारण किया। स्थान-स्थान पर बौद्ध विहार बनाया गया।
कोरिया से ५९५ विक्रमाब्द में महाराज कुदारने भगवान बुद्ध की मूर्ति, बौद्ध स्त्र और पताकाएं जापान के सम्राट को उपाहाररूप में भेजी और संदेश दिया कि आप भी इस सर्वोत्कृष्ट धर्म का प्रतिग्रहण करें। इससे आपको तथा आपकी प्रजा को अपरिमित लाम होगा। यह धर्म भारत और कोरिया के बीच सभी देशों का धर्म है। यह संदेश राजसभा . में सुनाया। इस समय जापान की राजसभा के दो पक्ष थे, इनमें से एकने संदेश का स्वागत किया और दूसरेने विरोध ।
६५० विक्रमाब्द में जापान का पहला संविधान बना और उसमें बुद्ध, धर्म और संघ. रूपी त्रिरत्न को अपना आधार बनाया गया। राजकीय कोष की सहायता से विहार, विद्यालय, चिकित्सालय तथा वृद्ध और अनाथों के लिए धर्मशालाएं बनाई गईं। सूत्रों के अध्ययनार्थ चीन को विद्यार्थी भेजे गए । प्रथम प्रवेश के ७० वर्ष पश्चात् जापान में मन्दिरों की संख्या ४६, भिक्षुओं की ८१६ और भिक्षुणियों की ५६९ हो चुकी थी।
बौद्धधर्म दिनानुदिन उन्नति करता गया। देश के रक्षक भगवान् बुद्ध बने। विक्रमान्द ७९८ में वैरोचन बुद्ध की ५३ फुट ऊंची कांस्यमूर्ति की नींव डाली गई।