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गुरुदेवद्वारा कृत प्रतिष्ठायें।
१३१ की प्रतिष्ठा तथा समय-समय पर अन्य ग्राम-नगरों के चैत्यों के लिये अर्पणार्थ वि. सं. १९५९ के वैशाख शुक्ला १५ पूर्णिमा गुरुवार को दशदिनावधिक महामहोत्सवपूर्वक २०१ जिनप्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की तथा मन्दिरों के शिखरों पर दंडध्वज समारोपित करवाये ।
२१ गुड़ा बालोतरा ( मारवाड ) में पोरवाड़ अचलाजी दोलाजी के बनवाये हुये जिनालय में वि. सं. १९५९ के माघ शुक्ला ५ के दिन महोत्सव सहित श्रीधर्मनाथजी आदि बिंबों की प्रतिष्ठा की और शिखर पर दंडध्वज आरोपित करवाये । . २२ बाग ( मालवा ) में वि. सं. १९६१ मार्गशिर शुक्ला ५ के दिन विमलनाथस्वामी आदि ७ प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और उनको मन्दिर में स्थापित किया तथा शिखर पर दंडध्वज समारोपित करवाये।
२३ राजगढ़ ( मालवा ) में खजानची दोलतरामजी चुन्निलालजी पोरवाड़ के बनवाये हुये अष्टापदावतार चैत्य (अष्टापदजी ) का वि. सं. १९६१ के माघ शुक्ला ५ गुरुवार के दिन दशदिनावधिक महोत्सवपूर्वक ऋषभदेवादि ५१ जिनप्रतिमाओं के साथ प्राणप्रतिष्ठा की तथा प्रतिमाओं को मन्दिर में स्थापित किया और शिखर पर दंडध्वज स्थापित करवाये ।
२४ राणापुर ( मालवा ) में श्रीसंघ के बनवाये हुये जिनमन्दिर में वि. सं. १९६१ में फाल्गुन शुक्ला ३ गुरुवार के दिन सोत्सव श्रीधर्मनाथादि जिनेश्वरों की ११ प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा करके उनको विराजमान किया और शिखर पर ध्वज-दंड चढ़वाये ।
२५ सरसी ( मालवा ) में सशिखर चैत्य में वि. सं. १९६२ के ज्येष्ठ शुक्ला ४ के दिन चन्द्रप्रभु आदि की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की और शिखर पर ध्वजदंड संस्थापित करवाये ।
२६ राजगढ ( मालवा ) में दोलतराम हिराचंद के बनवाये हुये गुरुमन्दिर में वि. सं. १९६२ मार्गशिर शुक्ला २ के दिन श्रीगौतमस्वामी आदि की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की।
२७ जावरा ( मालवा ) में शा. लक्ष्मीचंदजी लोढ़ा के बनवाये हुये चैत्य में स्थापनार्थ वि. सं. १९६२ के पौष शुक्ला ७ के दिन अष्टाहिका महोत्सवपूर्वक श्रीशीतलनाथ आदि प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा करवाई।
१. पृ० १२३ पर जो बाद ' मुद्रित हुआ है वहां बाग होना चाहिए ।
संपादक.