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गुरुदेवद्वारा कृत प्रतिष्ठायें।
१२९ के माघ शुक्ला १० के दिन महोत्सवपूर्वक प्राचीन श्रीगौड़ीपार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा की प्रसिष्ठा की और शिखर पर कलश और दंडध्वज समारोपित किये।
५-राजगढ ( जि. धार ) से १ मील दूर पश्चिम में श्रीसिद्धाचलदिशिवंदनार्थ राज. गढ़निवासी संघवी शा दल्लाजी लूणाजी प्राग्वाटने आपके ही उपदेश से सौधशिखरी जिनालय बनवाया था । उसमें विक्रम सं. १९४० के मार्गशिर शुक्ला ७ के दिन आपश्रीने श्रीआदिनाथ आदि ४१ जिनप्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और उनको जिनालय में प्रतिष्ठित किया तथा शिखर पर दंडध्वज आरोपित किये । यहाँ श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का समाधिमन्दिर भी है।
६-धार-जिल्ले के गाँव धामनदा में सं० १९४० के फा. शुक्ला ३ के दिन समारोहपूर्वक श्रीऋषभदेव भगवान् और श्रीसिद्धचक्रयंत्र की स्थापना की।
__७-धार-जिल्ले के दशाई ग्राम में सं. १९४० फा. शुक्ला. ७ के दिन श्रीआदिनाथ आदि ९ प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और उनको मन्दिर में विराजित किया तथा शिखर पर दंडध्वज समारोपित करवाये।
८-शिवगंज ( सिरोही ) में विक्रम संवत् १९४५ के माघ शुक्ला ५ के दिन दशदिनावधिक महामहोत्सवपूर्वक पोरवाल शा वनाजी मेघाजी के जिनालय के लिये और अन्य स्थानों के लिये श्रीअजितनाथ आदि २५० जिनप्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और दो चैत्यों की प्रतिष्ठा की तथा शिखरों पर दंडध्वज स्थापित करवाये ।
९-कुक्षी (धार ) में वि. सं. १९४७ के वै. शुक्ला ७ को चौवीशजिनालयसमलंकृत श्रीआदिनाथ चैत्य के लिये ७५ जिनप्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और मन्दिर में उनको प्रतिष्ठित किया तथा शिखरों पर दंड-ध्वज समारोपित करवाये।
१० तालनपुर तीर्थ ( मालवा ) में वि. सं. १९५० के माघ कृ. २ सोमवार को भूमिनिर्गत ५० जिनप्रतिमाओं की प्रतिष्ठा और श्रीपार्श्वनाथ चरणयुगल की प्राणप्रतिष्ठा की ।
११ खटाली (म. भा.) में वि.सं. १९५० के माघ शुक्ला २ सोमवार को ३ प्रतिमाजी की प्राणप्रतिष्ठा की और उनको मन्दिर में स्थापित किया तथा शिखर पर दंडध्वज स्थापित किये।
१२ रिंगनोद ( मध्यभारत ) में वि. सं. १९५१ माघ शु० ७ को चन्द्रप्रभु आदि ७ प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की तथा उनको मन्दिर में प्रतिष्ठित किया और शिखर पर दंडध्वज समारोपित किये ।
१३ झाबुवा ( मालवा ) में ५२ जिनालयालंकृत जिनालय के लिये विक्रम संवत्