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श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक -ग्रंथ
१९५२ के माघ शुक्ला १५ को २५१ जिनप्रतिमाजी की प्राणप्रतिष्ठा की तथा उनको मन्दिर में स्थापित किया और शिखरों पर दण्डध्वज संस्थापित करवाये । मालवे के कितने ही ग्राम - नगरों में इनमें की प्रतिमाएँ विराजमान हैं ।
१४ बड़ी कड़ोद (जि. धार ) में शेठ श्रीखेताजी वरदाजी के सुपुत्र श्रीउदयचन्द्रजी के बनवाये हुये सौघशिखरी जिनालय के लिये वि. सं. १९५३ वैशाख शुक्ला ७ गुरुवार को महोत्सवसह वासुपूज्यादि १५ प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और उनको मन्दिर में स्थापित किया तथा इसी मुहूर्त में पंचायती गृहचैत्य में श्रीपार्श्वनाथ आदि प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की ।
१५ पिपलोदा ( मध्यभारत ) में वि. सं. १९५४ वैशाख शुक्ला ७ के दिन महोत्सव - पूर्वक श्री सुविधिनाथजी की प्रतिष्ठा की तथा शिखर पर दंडध्वज चढ़वाये |
१६ राजगढ़ ( धार ) में वि. सं. १९५४ के मार्गशिर शुक्ला १० को शान्तिनाथ चैत्य की प्रतिष्ठा की ।
१७ आहोर ( राजस्थान ) में श्रीगौडी पार्श्वनाथजी की ५ देवकुलिकाओं के लिये तथा समय - समय पर इतर ग्राम - नगरों के लिये अर्पण करने को ९५१ जिनप्रतिमाओं की महान् महोत्सवपूर्वक विक्रम संवत् १९५५ के फाल्गुण कृ. ५ गुरुवार को प्राणप्रतिष्ठा की तथा श्रीगौडी पार्श्वनाथ जिनालय की ५२ देवकुलिकाओं में प्रतिमाओं को स्थापित किया और शिखरों पर दंडध्वज समारोपित किये । इस प्रतिष्ठोत्सव में मरुधर, मालवा और मेवाड़ तथा गुजरात के ३५००० सहस्र स्त्री-पुरुष संमिलित हुये थे । मरुधर के १५० वर्ष के इतिहास में यह प्रतिष्ठोत्सव अपने ढंग का सर्व प्रथम था |
१८ सियाणा ( राजस्थान ) में परमार्हत महाराजा कुमारपाल के बनवाये हुये श्री सुविधिनाथ मन्दिर में स्थापनार्थ तथा सियाणा के श्रीसंघ की बनवाई हुई देवकुलिकाओं में विराजमान करने के लिये वि. सं. १९५८ के माघ शुक्का १३ गुरुवार को भारी महोत्सव पूर्वक श्री अजितनाथ आदि २०१ जिनप्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की तथा उनको मन्दिर में स्थापित किया और शिखरों पर दंड - ध्वज आरोपित करवाये ।
१९ आहोर (राजस्थान) में धर्मशाला के उपर बनी हुई आरसोपल की छत्री में धातुमय श्री शान्तिनाथ आदि प्रतिमा को शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठित किया और इसी धर्मशाला के व्याख्यानालय में कड़ोद (मालवा) निवासी शा. खेताजी वरदाजी के सुपुत्र श्रीउदयचन्द्रजी के द्वारा बनवाये हुये श्रीराजेन्द्र जैनागम बृहद् ज्ञानभंडार की सं. १९५९ के माघ कृ. १ बुधवार के दिन प्रतिष्ठा की । श्री आदिनाथ आदि प्राचीन प्रतिमाओं
२० प्राचीन तीर्थ श्रीकोरटाजी ( मारवाड़ ) में