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श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-ग्रंथ (४२) सं. १९४९ वै० शु०७ को श्री आदिनाथादि जिनप्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा । चौमासा निम्बाहेड़ा में किया । चौमासे में ही स्थानकवासी श्री नंदरामजी से चर्चा, मूर्तिपूजा विषयमें और उनका पराजय । धर्मविजयजी की दीक्षा। मालवे के पर्वतीय प्राम-नगरों में विहार ।
(४३) सं० १९५० का चौमासा खाचरोद में । यहीं ' नवपद पूजा' की रचना । माघ कृ. २ को पालनपुर में प्राचीन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा । माघ शु० २ को खटाली में तीन प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा और मन्दिर में स्थापना । पद्मविजयजी को दीक्षा ।
(४४) सं० १९५१ का राजगढ़ में चातुर्मास । माघ शु० ७ को रींगनोद में जिनप्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा और मंदिर में स्थापना । माघ शु० ७ को ही रूपविजयजी और लक्ष्मीविजयजी को दीक्षा तथा सं० १९५२ का भी राजगढ़ में चौमासा 'श्रीअभिधान राजेन्द्र कोष' की रचना के कारण । चौमासे के पश्चात् मालवे में भ्रमण । हिम्मतविजयजी को दीक्षा । माघ शु० १५ को झाबुआ में २५१ जिनप्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा और इसी दिन श्री विद्याश्रीजी, प्रेमश्रीजी, मानश्रीजी, मनोहरश्रीजी आदि को बडी दीक्षा दी । वै. शु. ७ सं० १९५३ को बड़ी कड़ोद में २१ जिनप्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा और मंदिर में स्थापना । अलीराजपुर में दीपविजयजी को दीक्षा । चौमासा जावरा में किया । कार्तिक में महान समारोहसह अष्टाह्निकामहोत्सव हुआ। जिसमें विपक्षियों को उनकी उद्दण्डता के कारण पराजय-प्राप्ति । महेन्द्रपुर में वर्तमानाचार्य का गुरुदेव के पास आगमन ।।
(४५) सं० १९५४ वै. शु. ७ को प्रतिष्ठा । खाचरोद में आषाढ़ कृ. २ को यतीन्द्रविजयजी को दीक्षा ( वर्तमानाचार्य)। चौमासा रतलाम में । 'श्रीकल्पसूत्रार्थ प्रबोधिनी' 'श्री जिनोपदेशमंजरी' और ' नीतिशिक्षाद्वय पच्चीशी' की रचना । 'केसरियानाथ-स्तवन' की रचना एवं कूकसी में केसरविजयजी और हर्षविजय जी को दीक्षा । मरुधर में पदार्पण ।
(४६) सं० १८५५ का आहोर में चौमासा । माघ शु० ५ को दीपविजयजी, यतीन्द्रविजयजी आदि को बड़ी दीक्षा । फा. शु. ५ को ९५१ नौ सौ इकावन जिनप्रतिमाओं की ५६ दंड और ५६ कलशों की प्राणप्रतिष्ठा, चमनविजयजी को दीक्षा ।
(४७) सं० १९५६ का शिवगंज में चौमासा। 'पाइयसईबुही कोष ' की रचना । भा. शु. ५ शुक्र को स्वगच्छीय 'मर्यादापट्टक' की रचना । मार्ग० शु० में आहोर में रायश्रीजी को दीक्षा ।
(४८) सं० १९५७ का सियाणा में चौमासा । कुमारपालभूपालनिर्मित श्रीसुविधिनाथ चैत्य का जीर्णोद्धार । सिरोही-राज्य के झोरे-मगरे में विहार ।