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श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-ग्रंथ चारित्रधर्मकार्य सर्वनिरविधनपणे प्रवर्ते छे.. श्री देवप्रसादे तथा संघना विशेषधर्मोद्यम करवापूर्वक सुख मोकलवा सर्व विधि व्यवहार मर्यादा जास प्रवीन गुणवंत भाग्यवंत सुधर्म दीपता विवेकी गृहस्थ संघ हमारे घणी वात छे जे दिवसे संघने देखस्युं वंदावस्युं ते दिवसे आनन्द पामस्युं तथा तुमारी भक्ति ग्रहस्थ करी श्रीतपागच्छनी विशेष उन्नति दिसे छे. ते जाण छे. उपरंच तुमारे उठे श्रीपूज्यजी विजयराजेन्द्रसूरिजी नाम करके तुमारे उठे चौमासो रह्या छे. सो अणा केने हमारे नव कलमा बाबत खिंची थी सो आपस में मिसल बैठी नहीं............ इणा को नाम रत्नविजयजी हे हमारा हाथ निचे दफ्तर को काम करता था। जणी की समजास बदले हमों वजीर मोतिविजे, मुनि सिद्धकुशलने आप पासे भेज्या सो आप नव कलमां को बन्दोबस्त वजीर मोतिविजय पास हमारे दसकतासु मंगावणो ठेरायो ने दो तरफी सफाई समजास कराई देणी सो बोत आछो कियो । अबे श्रीविजयराजेन्द्रसूरिजी के साधु छे जणाने भी वजीर मोतिविजे के साथ अठे भेजाइ देसी सो आदेस सदामद भेजता आया जणी मुजब भेज देसां. अणाकी लारां का साधुवांसुं हमे कोयतरे दुजात भाव राखां नहीं ओर नव कलमां की विगत नीचे मंडी हे जिस माफक कबूल हे जणी की विगत
१-पेली-पडिकमणो दोय टंक को करणो, साधु श्रावक समेत करणो-करावणो, पचखाण वखाण सदा थापनाजी की पडिलेहण करणा, उपकरण १४ सिवाय गेणा तथा मांदलिया जंतर पास राखणा नहीं, श्रीदेहरेजी नित जाणा सो सवारी में बैठणा नहीं पैदल जाणा।
२-दूजी-घोड़ा तथा गाडी उपर नहीं बेठणा, सवारी खरच नहीं राखणा।।
३-तीजी-आयुद्ध नहीं राखणा तथा गृहस्थी के पास का आयुध गेणा रुपाला देखे तो उनके हाथ नही लगाणा तमंचा शस्त्र नहीं रखणा ।
४-चोथी-लुगाइयाँसु एकान्त बेठ बात नहीं करणा, वैश्या तथा नपुंसक वांके पास नहीं बेठणा उणाने नहीं राखणा।
५-पांचमी-जो साधु तमाखु तथा गांजा भांग पीवे, रात्रिभोजन करे, कांदा लसण खावे, लंपटी अपचक्खाणी होवे एसा गुण का साधु होय तो पास राखणा नहीं।
६-छट्ठी-सचित्त लीलोति काचा पाणी वनस्पतिकुं विणासणा नहीं काटणा नही दातण करणा नहीं तेल फूलेल मालस करावणा नहीं तलाव कुवा बाबडी में हाथ धोवडणा नहीं।
७-सातमी-सिपाई खरच में आदमी नोकर जादा नहीं राखणा, जीवहिंसा करे ऐसा नोकर राखणा नहीं।
८-आठमी-गृहस्ती से तकरार करके खमासमण प्रमुख रुपिया के बदले दबायन लेगा नहीं।
९-नवमी-ओर किसीकुं सद्दहणा देणा श्रावक-श्राविकाने उपदेश शुद्ध परुपणा देणी