________________ (28) या अपने ज्येष्ठ भ्राता आदि से सम्मति लेकर वार्षिक दान देना प्रारंभ करते हैं। एक पहर तक प्रमु याचकों को उन की इच्छानुसार दान देते हैं। ___उसके बाद वे हमेशा एक करोड और आठ लाख सोनामहोरें दान में देते हैं। सब मिला कर एक वर्ष में जितनी सोनामहोरे प्रभु दान में देते हैं उनकी संख्या यह है वत्सरेण हिरण्यस्य ददौ कोटीशतत्रयम् / अष्टाशीतिं च कोटीनां लक्षाशीतिं च नाभिभूः॥ भावार्थ-भगवान एक बरस में 388 करोड और 80 * लाख सोनामहोरों का दान देते हैं। अपना राज्य भी पुत्रादि को बाँट देते हैं, ताकि पीछे से कोई क्लेश उत्पन्न न हो / इस प्रकार समस्त प्रकार की मूर्छा त्याग कर, बड़े महोत्सव के साथ शिविका में-पालकी में बैठ कर, शहर के बाहिर अशोकवृक्ष के नीचे जाकर शिविका में से उतरते हैं / वहाँ, जैसे मयूर अपने पीछों का त्याग करते हैं; उसी प्रकार भगवान अपने सारे आभूषण उतार कर, स्वयमेव पंचमुष्टि लोच करते हैं। उस समय इन्द्र महाराज आ कर प्रमु को देवदुष्य ( दिन्य वस्त्र ) अर्पण करते हैं। उसी समय भगवान को चतुर्थ ज्ञान-मनःपर्यय ज्ञान-भी उत्पन्न होता है। तत्पश्चात् भगवान, सारे पाप-व्यापार का त्याग कर, अनगार