________________
अधिकारी इन पांच वस्तुबों को प्रगट करना शिष्टाचार कहलाता है। इष्टदेव की स्तुति और ग्रन्थ के पठन-पाठन की प्रवृति में मन को लगाने की अभिलाषासूचक मांगलिक सर्व धर्मों में इष्ट माना गया है। फिर भी कई बार इस को भूला दिया जाता है । हूसरा प्रश्न यह उपस्थित होता है कि इस ग्रन्थ का विषय क्या है ? इसका खुलासा गद्यबन्ध प्रबन्ध में हो जाता है। शान्तरस इस सम्पूर्ण ग्रन्थ का विषय है और इसी का वर्णन सर्वत्र एकसा किया गया है।
'प्रयोजन ' इस ग्रन्थ के बनाने का क्या कारण है यह बता देना भी अत्यावश्यक हो जाता है। यह विषयं अत्यन्त आक्षक होने से इस को अधिक स्पष्ट शब्दों में प्रगट करने की आवश्यकता है। अध्यात्मविषय जनसमूह को अप्रिय है अतएव इस पर उस की रुचि पैदा करना बड़ी टेढ़ी खीर है। यह विषय इस भव और परभव में अत्यन्त आनंददायक होने से ही इसका प्रचार करना अत्यावश्यक नहीं है अपितु इस के बिना जीवन शून्य प्रतीत होता है।
सम्बन्ध—यह ग्रन्थ पद्यबन्ध रचना में लिखा जायगा ।
अधिकारी इस ग्रन्थ के पढ़ने का अधिकारी कौन है ? अध्यात्मशास्त्र जैसा ग्रन्थ किस को दिया जाय ? इस को कौन पढ़े ? यह एक टेढ़ा प्रश्न है, तथापि इस ग्रन्थ के अधिकारी परमार्थिक उपदेश के पात्र ही गिने जाते हैं ।
इस प्रकार अत्यन्त उत्साह से इस ग्रन्थ का आरम्भ किया गया है । इस ग्रन्थ को कम पढ़ें किन्तु समझ कर पढ़ें, पढ़कर विचार करें और बिचार कर अपनी स्थिति एवं संयोगापुतार व्यवहार में लायें ।