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अधिकार] यतिशिक्षा
[५७९ ज्ञानक्रियाको प्रवृत्तिद्वारा उसका लाभ मिल सकेगा और उस लामसे तेरे आत्माको भी लाभ होगा। तू येन केन प्रकारेण तेरी पंक्तिके यतियोंको अपने कर्तव्यका भान कराना । यदि यह होगा बो फिर जिस हेतु वेरा प्रयास है वह अवश्य पूर्ण होगा। .
इस अधिकारमें किसी स्थानपर कठिन शनोंका प्रयोग किया गया हो तो क्षमा करना । जिसप्रकार हो सके वैसे थोड़ा लिखनेका प्रयास किया गया था फिर भी लगाके बलसे कुछ अधिक लिख दिया गया हो वो अन्तःकरणसे क्षमा याचना है। तुम्हारे अन्त:करणमें हेमचन्द्राचार्य जैसी अद्भुत ज्ञानशक्ति, हीरविजयसूरि जैसी अद्भुत उपदेशशक्ति और हरिभद्रसूरि जैसा दृढ़ शासनराग बढ़े ऐसी अन्तःकरणकी प्रार्थना है। साधुजीवनको अन्तःकरणस्ने नमस्कार है और जैसा तैसा लिखनेपर भी उस जीवनकी ओर उच्च भाव और विशेष बहुमान रखनेका कर्तव्य निरन्तर ध्यानमें रक्खा गया है तथा है।
इति सविवरणो यतिशिक्षोपदेशनामा
त्रयोदशोऽधिकारः॥