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अधिकार ]
यतिशिक्षा धर्मोपकरणका भार वहन कराने के सपा संयमापकरणउछलारपराम
भारयन् यदसि पुस्तकादिभिः । गोखरोष्ट्रमहिषादिरूपमृत्
तच्चिरं त्वमपि भारयिष्यसे ॥ २८॥
"संयम उपकरणके बहाने से दूसरोंपर तू पुस्तक आदि वस्तुओं का भार डालता है। परन्तु वे गाय, गधा, ऊँट, पाड़ा भादिके रूपमें तेरे पाससे अनन्तकालपर्यन्त भार वहन करावेंगे।"
रथोद्धता. विवेचन-उपकरणके बहानेसे तू दूसरोंपर अनेक प्रका. रका भार डालता है; पैसे खर्च करनेका भार, पुस्तक लिखनेवालेके वहां चक्कर लगानेका भार, वस्तुयें तैयार करनेका भार, भार बढ़जाने पर विहारके समय उसको दोनेका भार, और ऐसे ही अनेक प्रकारके भार तू दूसरोंपर डालता है, और उनके लिये संयमके उपकरणका बहाना ढूढ़कर निकालता है। यदि उन वस्तुओंको तू संयमके उपकरणरूपसे ही उपयोगमें लेता होगा, और वे भी तेरे उपयोगसे अधिक न होंगे तो समझना चाहिये कि कदाच ऐसा करने में कुछ आपत्ति नहीं है, परन्तु यदि तू उनपर ममत्व रखता हो, मूर्छा रखता हो, तो तेरे पर बहुत बुरी बितेगी । भडोचके पाडा, या ताँगेके घोडा, या मारवाड़के रेगिस्तानका ऊँट बनकर भार खेंच खेंचकर तुझे बहुत कष्ट भोगना होगा और तब कहीं इसप्रकार तेरा ऋण चुकाना होगा।
संयम और उपकरणकी शोभाकी स्पर्धा. वनपात्रतनुपुस्तकादिनः,
शोभया न खलु संयमस्य सान ।