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उत्तराध्ययनसूत्रे अविरतसम्यग्दृष्टयपेक्षया सदाचारवन्तः, विरताऽविरताऽपेक्षया तु-अणुव्रतवन्तः, विरतापेक्षया महाव्रतादिमन्तः, तथा सविशेषाः = विशेषेण उत्तरोत्तरगुणप्रतिपत्तिलक्षणेन वर्तन्त इति सविशेषाः, अत एव - ' अदीनाः ' परीषहोपसर्गोपस्थितौ दैन्य भाववर्जिता, अथवा - अदीनाः- संतुष्टचित्ताः, मौलिकं मूलधनमिव मानुषत्वम्, अतिक्रान्ताः = उल्लङ्घितवन्तः, यद्वा-' अतिच्छिया ' अतिक्रम्य उल्लङ्घ्य, देवतांदेवयानि को कौन प्राप्त कर सकते हैं ? सो दिखलाते हैं'जेसिं तु विउला सिक्खा ' - इत्यादि ।
अन्वयार्थ - ( जेसिं तु येषां तु) जिन जीवों की (सिक्खा - शिक्षा) ग्रहणरूप एवं आसेवनरूप शिक्षा (विउला - विपुला) विस्तृत है- निःशंकित आदि अष्ट गुणों से युक्त सम्यक्त्व को पालन करनेके अणुव्रत तथा महाव्रतों के आराधन करने के उपदेश से युक्त होने की वजह से विस्तीर्ण है- (ते) वे जीव ( सीलवंता - शीलवन्तः ) अविरत सम्यग्दृष्टि की अपेक्षा सदाचार शाली होते हैं, विरताविरत की अपेक्षा अणुव्रती होते हैं, और विरत की अपेक्षा महाव्रती होते हैं तथा (सविसेसा-सविशेषाः ) विशेषरीति से उत्तरात्तर गुण प्रतिपत्तिरूप विशेषता से विशिष्ट होते हैं. इसीलिये वे ( अदीणा - अदीनाः ) परीषह एवं उपसर्गों की उपस्थिति में दैन्यभाव से रहित होते हैं अथवा अदीन सदा संतुष्टचित्त रहा करते हैं । ऐसे जीव ( मूलियं अहच्छिया- मौलिकं अतिक्रान्ताः ) " अतिक्रम्य " ( देवयं जंति - देवतां यान्ति ) मूलद्रव्य के समान इस मनुष्यभव को उल्लंघित करके देवगति को प्राप्त करते हैं । દેવચૈાનીને પ્રાપ્ત કરી શકે છે? તે ખતાવવામાં આવે છે
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जेसिं तु fazer fazer-Sale,
मन्वयार्थ — जेसिं तु येषां तु ने भवानी सिक्खा - शिक्षा ग्रहण ३५ ने यासेवन ३५ शिक्षा बिउला - विपुला विस्तृत छे, निःशक्ति याहि मां गुलोथी ચુકત સમ્યકત્વનું પાલન કરવામાં, અણુવ્રત તથા મહાવ્રતેનાં આરાધન કરવાના उपदेशथी युक्तडोवाना अरणथी विस्तीर्बु छे ते त्र सिलवंता - शीलवन्तः अविरत સમ્યક્ દષ્ટિની અપેક્ષાએ સદાચારશાળી હાય છે, વિતાવિરતની અપેક્ષાએ मायुवती होय छे भने विरतनी अपेक्षाये महाव्रती होय छे. सविसेसा - सवि - शेषाः विशेष रीतथी उत्तरोत्तर गुणु प्रतिपत्ति३५ विशेषताथी विशिष्ट होय छे मारणे ते अदीणा - अदीनाः परीषडु भने उपसगोनी उपस्थितिमां हैन्यભાવથી રહિત હાય છે. અથવા અદીન—સદા સંતુષ્ટચિત્ત રહ્યા કરે છે એવા व मूलियं अइच्छिया - मौलिकं अतिकान्ता " अतिक्रम्य " भूज द्रव्यनी भाई
ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૨