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भुज्यते, असिधाराव्रतं नाम वदन्ति भनिपंगवाः । । असिद्धिः (स्त्री) [ न० त०] 1. अपूर्ण निष्पन्नता, विफअथवा--युवा युवत्या साधं यन्मुग्धभत वदाचरेत्, लता 2. परिपक्वता की कमी 3. निष्पत्ति का अभाव अन्तनिवृत्तसंग: स्यादसिधारावतं हि तत्—यादव (योग० में) 4. (तर्क० में) वह उपसहार जो प्रतिज्ञा 2. (अत: आलं०) कोई भी अत्यन्त कठिन कार्य से सम्मोदित न हो।
-सता केनोदिष्टं बिपममसिधाराव्रतमिदम्-भत. असिरः [ अस्+किरच ] 1. शहतीर, किरण 2. तीर, २।२८,६४,-धावः,-धावकः शस्त्रकार, सिकलीगर सिटकिनी। या शस्त्र-परिष्कारक,-धेन:,-धेनुका चाक-विक्रमांक० असुः [ अस्+उन् ] 1. श्वास, प्राण, आध्यात्मिक जीवन ४१६९,---पत्र (वि०) जिसके पत्ते तलवार की आकृति 2. मृतात्माओं का जीवन 3. (ब० ब०) शरीर में के हैं -रघु० १४१४८, (-त्रः) 1. गन्ना, ईख 2. रहने वाले पाँच प्राण -असुभिः स्थास्न यशश्चिचीएक प्रकार का वृक्ष जो कि निचले संसार में उगता षतः-कि० २।१९, (नपुं०--सु) शोक, दुःख । है, (-त्रम्) 1. तलवार का फल 2. म्यान °वनं एक सम० -धारणम् - णा जीवन धारण, जीवन, अस्तित्व, प्रकार का नरक जहाँ वृक्षों के पने ऐसे तीक्ष्ण होते -भंग: 1. जीवन का नाश, जीवहानि–मलिनमसूहैं जैसे कि तलवार,--पत्रकः गन्ना, ईख,—पुच्छः, भङगेप्यसुकरम् -भर्तृ ० २१२८, 2. जीवन का भय -पुच्छकः संस, शिशुमार, सकुची मछली- पुत्रिका, या आशंका, भृत् (पु०) जीवित जन्तु, प्राणी,
-पुत्री छुरी,-मेदः विट्खदिर,-हत्यम् तलवार या -सम (वि०) प्राणों के समान प्यारा (-मः) छरियों से लड़ना,-हेतिः खङ्गधारी पुरुष, तलवार पति, प्रेमी। रखने वाला।
असुमत (वि.) [असू+मतप] 1. जीवित, प्राणी-(५०) असिकम् [ असि+कन् । ठोडी और निचले ओठ के बीच
___ 1. जीवित प्राणी ४।२९, 2. जीवन। का भाग।
असुख (वि०) न० ब०] 1. अप्रसन्न, दुःखी 2. जिसका असिवनी [ सिता केशादौ शुभ्रा जरती तद्भिन्ना अवृद्धा
प्राप्त करना आसान न हो, कठिन । खम् न० त०] - असित-तकारस्य क्नादेश: डीप च ] 1. अन्त: पुर
दुःख, पीडा। सम० - आवह (वि०) दुःख से की युवती परिचारिका 2. पंजाब देश की एक नदी।
पीडित,-आविष्ट (वि०) अत्यन्त पीड़ाकर, उदय असिक्निका [ संज्ञायां कन् ह्रस्वः ] युवती सेविका।
(वि०) अप्रसन्नता पैदा करने वाला मनु० ११।१०, असित (वि.) [न० त०] जो सफेद न हो, काला, नीला, | - जीविका विषण्ण जीवन।
गहरे रंग का,-असिता मोहरजनी---शा० ३।४, याज्ञ० असुखिन् (वि.) [न० त०] अप्रसन्न, दुःखी। ३।१६६, 'लोचना, नयना आदि,--त: 1. गहरा नीला | असुत (वि०)/न० ब०] निस्सन्तान, पुत्रहीन । रंग 2. चान्द्रमास का कृष्ण पक्ष 3. शनिग्रह, 4. काला
असुरः [असु। र, न सुरः इति न० त० वा] 1 दैत्य, राक्षस साँप,-.-ता 1. नील का पौधा, 2. अन्तः पुर की दासी
--... रामायण में नामों का कारण बतलाया गया है (जिसके बाल अधिक आयु के कारण सफेद न हुए ...... सुराप्रतिग्रहाद्देवाः सुरा इत्यभिविश्रुता, अप्रतिहों) दे० 'असिवनी' 3. यमुना नदी। सम०-अंबुजम्
ग्रहणात्तस्या देतेयाश्चासुरास्तथा। 2. देवताओं का -उत्पलम् नील कमल,-अचिस (0) अग्नि,
शत्रु, दैत्य, दानव 3. भूत, प्रेत 4. सूर्य 5. हाथी 6. -अश्मन् (पुं),-- उपल: गहरा नीला पत्थर,—केशा
राहु, 7. बादल -रा 1. रात्रि 2. राशिविषयक संकेत काले वालों वाली स्त्री,-केशांत (वि.) काली जल्फों
3. वेश्या-री दानवी, असुर की पत्नी । सम० वाला,-गिरिः, नगः नील गिरि, - ग्रीव (वि०)
-अधिपः,-राज-राजः 1. असुरों का स्वामी 2. बलि काली गर्दन वाला(-वः) अग्नि,-नयन (वि.) काली
की उपाधि, प्रह्लाद का पौत्र,-आचार्यः,---गुरुः 1. असुरों आँखों वाला-मेघ० ११२,--पक्षः कृष्ण पक्ष,--फलम् के गुरु शुक्राचार्य 2. शुक्रग्रह,---आह्वम् तांबे और टीन मीठा नारियल-मृगः काला हरिण ।
की मिश्रित धातु,-क्षयण,--क्षिति (वि०) राक्षसों असिद्ध (वि.) [न० त०] 1. जो पूरा या संपन्न न हो 2. का नाश करने वाला,--द्विष (पुं०) राक्षसों का शत्रु
अपूर्ण, अधुरा 3. अप्रमाणित 4. अनपका, कच्चा 5. अर्थात् देवता,-माया राक्षसी जादु,-- रिपुः,-सूदनः जो अनुमेय न हो,-बः हेत्वाभास के पाँच मुख्य भागों राक्षसों का हन्ता, विष्णु-हन् (पुं०) 1. राक्षसों का में से एक, यह तीन प्रकार का है (1) आश्रयासिस नाश करने वाला, अग्नि इन्द्र आदि 2. विष्ण ।
-जहाँ गुण के आश्रय की सत्ता सिद्ध न हो (2) | असुरसा [न० ब०न सुष्ठ रसो यस्याः) एक प्रकार का स्वरूपासिद्ध-जहाँ निदिष्ट स्वरूप पक्ष में न पाया | पौधा, तुलसी का एक भेद । जाय तथा (3) व्याप्यतासिद्ध-जहाँ सहवर्तिता की असुर्य (वि.) [अमुराय हिता: गवा० यत्] राक्षसी, उक्त स्थिरता वास्तविक न हो।
आसुरी।
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