________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ACT ( 1170 ) सवारी करने वाला-इति बोधयतीव डिडिमः करिणो 13 / 64, आविर्भूतानुरागाः क्षणमुदयगिरेरुज्जिहानस्य हस्तिपकाहतःक्वणन्-हि० 2 / 86,- मवः मस्त हाथी भानोः मुद्रा० 4 / 21, नै०२२।४५, 55, उज्जिहीषे के मस्तक से चूने वाला मदरसः,-मल्ल: 1. ऐरावत महाराज त्वं प्रशान्तो न किं पुनः भट्टि० 18 / 27, 2, गणेश 3. राख का ढेर 4. धूल की बौछार 'तुम क्यों नहीं उठते हो अर्थात् जीवित होते हो' 5.कुहरा,-पृथ-थम् हाथियों का समूह,-वर्चसम् कोलाहलो लोकस्योदजिहीत- दश० 'लोगों से एक हाथी की शान, कान्ति:,- वाह: 1. पीलवान 2. हाथियों शोर उठा' 2. जुदा होना, चले जाना-उज्जिहानको हकिने का अंकुश,-बड्गवम् छः हाथियों का समूह, जीवितां वराकी नानुकम्पसे--मा० 10 3. उठाना स्मानम् गजस्नान, हाथी का स्नान अवशेन्द्रिय- -शिरसा यूपमुज्जिहीते-कात्या० 4. चढ़ाना, (भौहें) पितानां हस्तिस्नानमिव क्रिया हि० १६१८--हस्तः उठाना, सिकोड़ना-भट्टि० 3 / 47, उप-, नीचे आना, हाथी की सूड। उतरना-निजीजसोज्जासयितुं जगद्व्हामुपाजिहीथा न हस्तिन (ना) पुरम् [ अलुक् समास हस्तिना तदाख्यनृपेण महीतलं यदि - शि० 1121, सभ्-, जाना, पहुँचना, चिह्नितं तत्कृतत्वात् ] राजा हस्तिन् द्वारा बसाया | उपभोग करना-जनता...'' समहास्त मुदम् -नलो० गया नगर, (वर्तमान दिल्ली से लगभग 50 मील 1154 / उत्तरपूर्व दिशा में, यही वह नगर है जहाँ महाभारत ii (अदा० पर० जहाति, हीन) 1. छोड़ना, त्यागना, के कृत्य का केन्द्रीय दृश्य था, इसके अन्य नाम यह परिहार करना,-छोड़ देना, तजना, तिलांजलि देना, है-गजाह्वय, नागसाह्वय, नागाह्व और हास्तिन)। पदत्याग करना मूढ जहीहि धनागमतृष्णां कुरु तनुबुद्धे हस्तिनी [हस्तिन्+डीप्] 1. हथिनी 2. एक प्रकार की मनसि वितृष्णाम्--मोह० 1, सा स्त्रीस्वभावादसहा औषध और गन्धद्रव्य 3. कामशास्त्र में वर्णित चार भरस्य तयोर्द्वयोरेकतरं जहाति- मुद्रा० 4 / 13, रघ० प्रकार की स्त्रियों में से एक (इस स्त्री के होठ, 5 / 72, 8152, 12 / 24, 14 / 61, 87, 15 / 59, अंगुलियां और कुल्हे मोटे, तथा स्तन भारी होते हैं, श० 4113, भग० 2 / 50, भट्टि० 3 / 53, 5 / 91, इसका रंग काला और कामलिप्सा अधिक होती है, 1071, 20110, मेघ० 49, 60, भामि० 2 / 129, रतिमंजरी में इसका वर्णन इस प्रकार है-स्थूलाघरा ऋतु० 1138 2. पदत्याग करना, जाने देना 3. गिरने स्थलनितम्बविम्बा स्थलागुलि: स्थूलकुचा सुशीला / देना 4. भूल जाना, उपेक्षा करना, अवहेलना करना कामोत्सुका गाढरतिप्रिया च नितान्तभोक्त्री-नितंबखर्वा 5. बचना, बिदकना-कर्म० (हीयते) 1. छोड़ दिया -सलु हस्तिनी स्यात्-(करिणी मता सा)। जाना, कि० 12 / 12 2. निकाल दिया जाना, हस्स्य (पि.) [हस्त+यत् ] 1. हाथ से संबंध रखने वञ्चित किया जाना, लप्त होना (करण. या अपा० वाला 2. हाथ से किया गया 3. हाथ से दिया हुआ। के साथ)---विरूपाक्षो जहे प्राणः --भट्रि० 14135, हालम् [ह+हल+अन् ] एक प्रकार का घातक विष / जनयित्वा सुतं तस्यां ब्राह्मण्यादेव हीयते-मनु०३।१७, सस (पुं०) [ह+हा+क्विप् ] एक गन्धर्वविशेष---तु० 5 / 161, 9 / 211 3. कम होना, थोड़ा हो जाना, हाहा। प्राय: 'परि' के साथ 4. घटना, कम होना, मुर्माना, हा (मध्य.) [हा+का] 1. शोक, उदासी, खिन्नता को क्षीण होना, आलं० से भी) क्षय को प्राप्त होना प्रकट करने वाला अव्यय, आह, हाय, अरे-हा प्रिये --प्रवृद्धो हीयते चन्द्रः समुद्रोऽपि तथाविध:--रघु० जामकि-उत्तर. 3, हा हा देवि स्फुटति हृदयं-उत्तर. 17 / 71, हि०प्र० 42 5. (जैसे मुकदमे में) हार 3138, हा पितः क्वासि, हे सुभु-भट्टि०६।११, हा जाना-भूपमप्युपन्यस्तं हीयते व्यवहारतः-याज्ञ. बत्से मारुति क्वासि-मा० 10 आदि (इस अर्थ में 2 / 19 6. छूट जाना, भूल जाना 7. कमजोर होना 'हा' प्रायः कर्म के साथ प्रयुक्त होता है-हा -प्रेर० (हापयति-ते) 1. छुड़वाना, परित्यक्त कृष्णाभक्तम्-सिद्धा०)2. आश्चर्य-हा कचं महाराज- कराना 2. अवहेलना करना, भूलना, अनुष्ठान में देर बशरवस्य धर्मवाराः प्रियसखी मे कौसल्या उत्तर०४ करना-शि० 16133, मनु० 3 / 71, 421, याज्ञ. 3.कोष या सिड़की। 1 / 121, इच्छा० (जिहासति) छोड़ने की इच्छा हात (हो. मा० जिहीते, हान, कर्मवा. हायते, इच्छा० / करना, अप,--छोड़ना, त्यागना, तज देना-विललाप बिहासते). 1. जाना, हिलना-जुलना-जिहीथा स बाष्पगद्गदं सहजामप्यपहाय धीरताम-रघु० 8 / 43 विस्माता स्फुटमिह भवद्वान्धवरयम्-हंस० 28, अपा-, छोड़ना, त्यागना, अव--, छोड़ना, वञ्चित कि. 13323, नलो० 1138 2. प्राप्त करना, हासिल होना, परि-, 1. छोड़ना, त्यागना, छोड़ कर चल करना, -, 1. ऊपर की ओर जाना, (सभी अर्यों देना 2. भूल जाना, अवहेलना करना-यथोक्तान्यपि में) उठना-यवो रजः पार्थिवमज्जिहीते-रघु० कर्माणि परिहाय-मनु० 12 / 92, (कर्मवा०) 1. अल्प For Private and Personal Use Only