Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1350
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जनन वेदिम श्रुतिः ईश्वरीय सम०-आधा ( 1341 ) वीरवादः [ष० त०] शक्ति का दावा, वीरता जन्य , --अनध्ययनम् वह अवकाश का दिन जिस दिन वेद कीर्ति। का पढ़ना निषिद्ध हो, ... बाह्य (वि.) 1. वेद के वीरवत (वि०) अपनी प्रतिज्ञा पर अटल, दृढ़ संकल्प | विपरीत 2. वेदाध्ययन के क्षेत्र से बाहर,--वादः वेदों वाला। के विषय में होने वाली धर्मान्ध व्यक्तियों की बहस वीरकः [वीर+कन ] 1. 'करवीर' नाम का पौधा - वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः--भग०, ___2. नायक 3. एक शिवगण का नाम / ध्रुतिः ईश्वरीय ज्ञान का देवी संदेश / वीर्यम् [वो+यत् ] 1. विष 2. सोका 3. पुंस्त्व, जनन | वेदिमेखला वेदी के चारों ओर को सीमा को बाँधने वाली -शक्ति 4. वीज, धातु / सम०-आधानम् गर्भा रस्सी / धान,-शुल्क (वि.) चुनौती देकर युद्ध, शक्ति के | वेधः (पुं०) [विधा+असुन्, गुणः ] ज्योतिष का पारिबल पर कोत। भाषिक शब्द जिसका अर्थ है ग्रहों की स्थिति का वृतिद्रुमः [ष० त०] सीमावर्ती वृक्ष / निर्धारण। वृतिमार्गः [ष० त०] ऐसी सड़क जिसके दोनों ओर बाड़ वेलातिक्रमः [ष० त०] सीमा का उल्लंघन / लगी हो। वेलातिग (वि.) किनारे से बाहर रहने वाला / वृकः [वृ+कक् ] 1. भेड़िया 2. सूर्य / वेश्यापतिः [प० त०] जार, वेश्या का पति / वृकधूर्तक: 1. रीछ 2. गीदड़ / वेश्यापुत्रः [10 त०] वेश्या का पुत्र, अवैध पुत्र, हरामी / वृक्षामयः [ष० त०] लाख, रेजन (वेरजा) / वेष्टनम् [ वेष्ट् + ल्युट ] दियाम, एक सिरे से दूसरे सिरे वृत्तम [वृत्+क्त ] 1. रूपान्तरण 2. अधिचक्र / तक का सारा फैलाव / वृत्तवन्धः छन्दोबद्ध रचना / वैकारिक (वि०) [विकार-+-ठक ] 1. परिवर्तनीय वृत्तयुक्त (वि०) गुणों से सम्पन्न / 2. सत्त्व से संबद्ध-वैकारिकस्तजसश्च तामसश्चेत्यह वृत्त्यर्थम् (अ०) जीविका के लिए। त्रिधा-भाग० 3 / 5 / 30 / वसिमलम जीविका की व्यवस्था, जीविका का आधार। वैकार्यम विकार, परिवर्तन। वृथान्नम् [वृथा+अन्नम् ] केवल एक व्यक्ति के अपने वैकृतम् [ विकृत+अण् ] कपट, धोखा / उपभोग के लिए आहार। बैजन्यम् [विजन-यन ] निर्जनता, एकान्त / वथार्तवा [वृथा--आर्तवा ] बांझ स्त्री। वैडूर्यम् एक प्रकार का रत्न / वृद्धयुवतिः (स्त्री०) 1. कुट्टिनी 2. दाई, धात्री। दैतानसूत्रम् यज्ञविषयक कुछ सूत्र / वृद्धिः (स्त्री०) [वध-+ क्तिन् ] 1. आपात, चोट (वृद्ध दुरिकम् | विदुर+ठक | विदुर का सिद्धांत / हिसायाम्) 2. भूमि का ऊँचा करना 3. लम्बा वैद्यविद्या [ष० त०] आयुर्वेद शास्त्र / करना। वैधय॑समः असमानता के कोणों पर आधारित तर्कसंगत वृन्दम् [बृ+दन्, नुम् ] गुच्छा, झुंड / म्रान्ति, हेत्वाभास / वृषः [वष्+क] 1. जल 2. भवन निर्माण के लिए भखंड वभावर (वि.) [ विभावर-- अण् ] रात परक / __3. नरजन्तु 4. साँड / सम० - लक्षणा मरदानी स्त्री, | बयवहारिक (वि.) [व्यवहार-1-ठक] व्यवहारसिद्ध, -- सक्विन् (पुं०) भिड़ / रूढ़, प्रचलित। वृषभयानम बैल गाड़ी। वैयाकरणखसूचिः केवल वैयाकरण का विडम्बनाद्योतक वृषल: [ वृष्-कलच ] 1. नाचने वाला 2. बैल / शब्द / वषलीफेनः [ष० त०] ओष्ठ की आर्द्रता / वैरायितम् [ वैर+क्यच् +क्त ] शत्रता, द्वेष, विरोध / वृष्णिपाल: ग्वाला, गडरिया। वैराग्यम् [विराग+ध्या ] वर्ण या रंग का लोप / बेडघरः सौन्दर्य का अभिमान / वैराग्यशतकम् भर्तहरिकृत एक काव्यरचना / वेणिः [ वेण+इन् ] 1. फिर संयुक्त की गई संपत्ति जो | वैवस्वतमन्वन्तरम् सातवाँ मन्वन्तर, वर्तमान समय / पहले से बंटी हुई थी 2. जल प्रवाह, झरना। बैशसम् [विशस+अण् ] हिंसा भाग० 5 / 9 / 15 / वेणुदलम् बाँस का फट्टा / / वैश्वस्त्यम् [ विश्वस्त+ध्या 1 विधवापन / वेण्यवः बाँस का चावल, बांसबीज। वैष्टिक: बेगार करने वाला, जिसे कार्य करने के लिए वेतालपञ्चविंशतिः पच्चीस कहानियों की एक कृति। बाध्य होना पड़े। बेवः [ विद्+अच्, घन वा ] 1. ज्ञान 2. हिन्दुओं की | वैष्णवस्थानकम् (नाटक०) रंगमंचपर लम्बे-लम्बे डग भर पुनीत धर्म पुस्तक -ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा कर इधर-उधर टहलना / अधर्ववेद 3. 'कुश' का गुच्छा 4. विष्णु। समबोलकः आवर्त, भंवर, बवंडर / For Private and Personal Use Only

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