Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1368
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1356 ) स्तिमितप्रवाह (वि.) बहुत धीमी गति से बहने वाला।। स्थितिज (वि.) नैतिकता की सीमा को जानने वाला। . स्तीविः [स्तृ+क्विन् ] भय, डर / स्थितिभिद् (वि०) सामाजिक नियमों का उल्लंघन करने स्तेन (चुरा० उभ०) असत्य भाषण से वाणी को अपवित्र वाला। करना---तां तु यः स्तेनयेद्वाचम् मनु० 4 / 256 / / स्थिर (वि.) [स्था-+किरच ] 1. दृढ़, जमा हुआ स्तोकतमस् (वि०) कुछ काला, जिसमें थोड़ा अंधेरा हो / 2. अचल, निश्चेष्ट 3. स्थायी 4. निरावेश 5. कठोर स्तोकायुस् (वि.) थोड़ी आयु वाला।। सख्त 6. ठोस 7. मजबूत / सम० -- अपाय (वि०) स्तोभः 'साम' के रूप में गाये जाने वाले ऋग मन्त्रों की क्षपशील, जिसका निरंतर ह्रास हो रहा है, -आयति साम की अपेक्षा विविक्तध्वनि-य ऋगक्षरेभ्योऽधिको (वि०)टिकाऊ, देर तक चलने वाला,-वाच (वि०) न च तैः सवर्णः स स्तोभो नाम - मी० सू० 9 / 2 / 39 / जिसकी बात का विश्वास किया जाय, विक्रम पर शा० भा०। (वि०) दृढ़ता पूर्वक कदम बढ़ाने वाला। स्तोमक्षार साबुन / स्थूणाकर्ण: 1. एक प्रकार का सैन्यव्यह 2. रुद्र का एक स्त्री [स्त्य+इट+डीप] दीमक, सफेद चींटी। रूप 3. शिव का एक अनुचर / स्त्रीकितवः स्त्रियों को फुसला कर छलने वाला। स्थरीपृष्ठः वह घोड़ा जो अभी सवारी करने के काम न स्त्रीविषयः मैथुन / _ आया हो--शि० 18 / 22 / स्थपत्यः कञ्चुकी –स्थपत्यशुद्धान्त जनः परीता-जानकी० | स्थूल (वि.) [स्थूल-+अच् ] जो बारीकी या ब्यौरे 7 // 1 // (व्याख्या या विवरण) के साथ न देकर मोटे तौर स्थलकमलः (पुं०) स्थलपद्म, (लाङ्गली) भूकमल, स्थल पर दिया गया हो, भौतिक / सम०-- इच्छ (वि.) पर उगने वाला कमल पुष्प / जिसकी इच्छाएँ बहुत बढ़ी हुई हों,-काष्ठाग्निः स्थलोशायिन् (वि.) बिना कुछ बिछाये (खोरड़े) भूमि स्कंधाग्नि, पेड़ के जलते हुए तने की आग,-प्रपञ्चः पर सोने वाला। भौतिक संसार। स्थविराति (वि.) बूढ़ों की मर्यादा रखने वाला। स्थर्यम [ स्थिर-व्यञ ] इन्द्रियों का दमन या नियन्त्रण / स्थाणुः [स्था+न, पृषो० णत्वम्] 1. तना, पेड़ का ठूठ | स्नानकलशः, कुम्भः नहाने के लिये जल का घड़ा। 2. बैठने की एक विशेष मुद्रा।। स्नानतीर्थम् नहाने के लिए पुण्यस्थान, घाट / स्थाणुभूत (वि०) जो पेड़ के ठूठ की तरह गति हीन हो | स्नानशारी नहाने का जांघिया, अधोवस्त्र / गया हो। स्नायुबन्धः धनुष की डोरी, ज्या। स्थानम् [स्था+ल्युट] 1. जीवन क्रम 2. जीवित रहना | स्नायुस्पन्दः नाड़ी। 3. युद्ध में आक्रमण की एक रीति 4. ज्ञानेन्द्रिय / स्नेहकुम्भः तेल रखने का वर्तन / स्थानकुटिकासनम् घर छोड़कर झोंपड़ी में रहना ---शिरसो | स्नेहकेसरिन (पुं०) एरंड / मुण्डनाद्वापि न स्थानकुटिकासनात्-महा० 31200 स्नेहविदित (वि.) जिसके शरीर में तेल मला गया हो। 104 / स्पन्द (भ्वा० आ०) अकस्मात् फिर जान आ जाना, स्थानपतित (वि.) [ अलुक्समास ] दूसरे के स्थान पर / नाड़ी चलने लगना। अधिकार करने वाला। स्पर्शानुकूल (वि०) छूने पर अच्छा लगने वाला। स्थापनम् [स्था+णिच् + ल्युट, पुकागमः] 1. बाँधना स्पर्शक्लिष्ट,-खर (वि.) छूने में रूखा या पीडा 2. दीर्घायु होना 3. भाण्डार / कर। स्थापना [स्थापन+टाप्] 1. नाटक की प्रस्तावना या स्पर्शगुणः [ष० त०] छूने का गुण (जैसे कि वायु का। आमुख 2. भण्डार भरना। स्पष्टाक्षर (वि.) स्पष्ट रूप से बोला गया। स्थाप्य (वि.) [स्था+णिच+ण्यत् ] 1, बंद किये जाने स्पृष्टपूर्व (वि०) जिसे पहले छू चुके हैं। ___ या कैद किये जाने योग्य 2. (शोक में) डूब जाने स्पष्टमात्र (वि.) जिसे केवल छुआ ही गया है। योग्य / स्फीत (वि.) [स्फाय+क्त, स्फीभावः ] बढ़ा हुआ, स्थायिता 1. नरन्तयं 2. टिकाऊपन / फूला हुआ। स्थालीपुरीषम पाकपात्र की तली में जमी त छ या मल। स्फीतानन्द (वि०) अत्यन्त प्रसन्न, परम आनन्दित / स्थितलिङ्ग (वि.) वह पुरुष जिसका लिङ्ग उत्तेजना- स्फुट (म्ब० तुदा० पर०) 1. फूट पड़ना, फटना, टूटना वस्था में है। 2. खिलना, फूलना 3. (रोग) शान्त होना। स्थितसत, संविद (वि०) प्रतिज्ञा का पालन करने | स्फुट (वि.) [स्फुट+क] अद्भुत असाधारण / वाला। / स्फुरणम् [स्फुर् + ल्युट फूलना, बढ़ना, विस्तृत होना / For Private and Personal Use Only

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