________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हितप्रवृत्त (वि०) भलाई में लगा हुआ। 1 / 4 / 55 2. प्राथमिक कारण (बुद्ध०) 3. बाह्य हितवादः मैत्रीपूर्ण परामर्श, सत्परामर्श, भलाई की बात / संसार और उसके विषय (पाशुपत०) 4. मूल्य, कीमत हिन्दुधर्म: हिन्द (भारत) देश में रहने वालों का धर्म / .-धान्यखारीऋये हेतु:-राज. 571. कारण / हिमम् [हि--मक] 1. पाला, कुहरा 2. ठर 3 कमल सम० अवधारणम् तर्क करना (नाटक), उपमा 4. ताजा मक्खन 5. मोती 6. रात 7. चंदन / सम० तर्क यक्त उपमा अलंकार, तर्क संगत तुलना, --दृष्टि: -अभ्रः कपूर, ऋतुः जाड़े का मौसम, खण्डम कारण की परीक्षा, रूपकम् एक प्रकार का ओला, ज्योतिस् चन्द्रमा,-झटि: धुंध, कोहरा, रूपकालंकार,-विशेषोक्ति: एक अलंकार जिसमें -शर्करा एक प्रकार की खाँड / दो पदार्थों का अंतर तर्क देकर बतलाया जाता है हिरण्यकर्तृ,-कारः स्वर्णकार, सुनार / काव्य०२३२८-९। हिरण्यवर्चस् (वि०) गुनहरी आभा से युक्त / हेतुवनिगदः वेद के मूल पाठ का लेखांश जिसके साथ हीन (वि.) [हा+त, तस्य नः, ईत्व च] 1. जो मुकदमा प्रयोजन भी दिया गया हो मी० 0 24. पर हार गया है 2. यूथभ्रष्ट 3. परित्यक्त, मुझायो हुआ ! शा० भा० / 4. क्षीण। सम० पक्ष (वि.) अरक्षित पुं० दलील हेमन (नपुं०) हि ! मनिन्] 1. स्वर्ण, सोना 2. जल की दृष्टि से कमजोर पक्ष,-सामन्तः गद्दी से उतारा 3. बर्फ 4. धतूरा 5. केसर का फूल 6. बुधग्रह 7. जाड़े हुआ अधीनस्थ राजा, सन्धिः अधम राजा के साथ की ऋतु / सम० ---कलश: सोने की कलसी, स्वर्ण की गई सन्धि / निमित श्रृंगकलश,-- गर्भ (वि.) जिसके अंदर सोना हुतशेषम् यज्ञशेष, हवन का बचा हुआ अग। हो,-----नम् सीसा,-नी हल्दी. माक्षिकम सोनाहुण्डः (पुं०) (स्त्रो०) [हुण्ड्+इन्] पिडित ओदन / माखी (एक उपधातु),-व्याकरणम् हेमचन्द्र प्रणीत हृद् (नपुं०) [हत्, पृषो० तस्य दः] (इस शब्द के पहले व्याकरण का एक ग्रन्थ / पांच रूप नहीं होते, शेष वचनों में यह विकल्प से हंडिम्बः / [हिडिम्बा-+-अण, इन वा] हिडिंबा का पुत्र, 'हदय' के स्थान में आदेश होता है) 1. मन, दिल डिम्बिः / घटोत्कच / 2. आत्मा 3. किसी भी वस्तु का सत् 4. छाती। होतकर्मन् यज्ञ में होता का कार्य / सम०–आमयः हृदय का रोग,-...योतन (वि.) दिल होतप्रवरः होता का वरण करना / को तोड़ने वाला,-सारः साहस, हिम्मत; स्तम्भः होतस(ष)दनम् होता का आसन / हृदय को लकवा मार जाना, स्फोटः हृदय का होलाकाधिकरणन्यायः मीमांसा का एक नियम / इसके विदीर्ण होना। अनुसार यदि स्मृति या कल्पसूत्र की कोई उक्ति थति हवयम् ह+कयन, दुकागमः] 1. मन, दिल, आत्मा द्वारा समर्थन नहीं प्राप्त कर सकी, तो उसके समर्थन में 2. छाती 3. प्रेम, अनुराग 3. दिव्य ज्ञान 4. वस्तु का वेद का कोई अन्य सामान्य मंत्र, अनुमान के आधार सत 5. इच्छा, प्रयोजन। सम. उदङ्ककः आह भरना, पर ढूंढना चाहिए -मी० सू० 213325 28 / -उद्वेष्टनम दिल का सिकुडना, क्षोभः दिल की ह्रस्व (वि) [हम-बन्] जो महत्त्वपूर्ण न हो, अनाधड़कन, जः पुत्र, ज्ञः जो दिल की बात जानता है, वश्यक, नगण्य / दौर्बल्यम दिल की कमजोरी, शैथिल्यम् विपष्णता, हासः हस+घञ 1. ध्वनि, आवाज 2. क्षय, क्षीणता, अवसाद / अभाव, कमी 3. छोटी संख्या। हृद्य (वि०) हृदयत् स्वादिष्ट, रुचिकर / ह्रीका ही+कक] 1. लज्जा 2. भय,-क: (पुं०) हुषित (वि०) हिष्-+-क्त, बा० इट् कुंठित, ठुठा। 1. पिता 2- नेवला / हेतिः (0) (स्त्री०) हिन्-+ क्तिन्, नि० नया अंकुर। ह्रीपवम् लज्जा का कारण / हेतुः [हि-तुन] 1. प्रेरणार्थक क्रिया का अभिकर्ता-पा० For Private and Personal Use Only