________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1339 ) विलग्न (वि०) [विलग् + क्त ] 1. लटकता हुआ / विवृत् (म्वा० आ०) रूपान्तर करना - उभे सह विवर्तेत 2. पिंजरबद्ध (पक्षी)। -महा० 121174 / 22 / विलापनम् [वि+लप्+णिच् + ल्युट् ] रुलाने वाला, विवर्तनम् [ विवृत्+ ल्युट ] रूपान्तरण / विलाप का कारण / विवृत्ताक्षः [व० स०] मुर्गा / विलम्ब (म्वा० आ०) सहारा लेना, निर्भर करना। विवेकमन्थरता निर्णय करने में अशक्तता। विलासः [विलस् +घा 1. सजीवता, हावभाव 2. कामु- विवेकविरह, अज्ञान, ज्ञान का अभाव / कता, लंपटता। विश (तुदा० पर०) 1. रंगमंच पर प्रकट होना 2. संयुक्त विलायः वि--ली+णिच् ।घाल्युट् वा] होना 3. आ पड़ना 4. (किसी कार्य में) व्यस्त हो विलायनम घोल देना, मिलादेना, (चीनी की भाँति) जाना। मिला, देना। विश् (पुं०) [विश+क्विप् ] 1. बस्ती 2. संपत्ति, विलिङ्ग (वि.) [प्रा० ब०] भिन्न लिङग का / दौलत / विलिम्पित (वि.) विलिम्प --क्त ] सना हुआ, लिपा विशङ्कनीय (वि.) [वि+शङ्क+अनीय ] प्रष्टव्य, हुआ, लेपा हुआ। पूछने के योग्य, शङ्का किये जाने के योग्य, जिस पर विलेपिन् (वि.) लसदार, चिपका हुआ। शङ्का की जा सके। विलीन (वि०) [ विली+क्त ] मन में बैठाया हुआ। विशद (वि०) [वि+शद्+अच् ] 1. सुकुमार, मृदु विलोप्त (पुं० [विलप-णिच्+तच ] डाकू, लुटेरा।। 2. दक्ष / विलोभनीय (वि०) [वि.+लभ-अनीय ] ललचाने / विशल्यकरणी शस्त्रों के लगाने से उत्पन्न घावों को स्वस्थ वाला, मुग्ध करने वाला। करने की विशेष जड़ी-बटी। विलोचनपथः दष्टि क्षेत्र, दृष्टि का परास / विशसनम् [ विशस्+ल्युट् ] 1. युद्ध 2. काटना 3. बध विलोमपाठः विपरीत क्रम से सस्वर पाठ। करना, हत्या करना। विलोमविधिः किसी कार्य के विपरीत अनुष्ठान का विधान | विशारद (वि.)[विशाल+दा+क] 1. प्रवीण 2. बुद्धिकरने वाला नियम। मान्, 3. प्रसिद्ध 4. साहसी 5. सौन्दर्योपपन्न शरद् विवक्षितान्यतरवाच्यम एक प्रकार का व्यङग्यार्थ। ऋतु सम्बन्धी 6. वक्तृत्व शक्ति से रहित / विवदनम् [वि-+-वद् + ल्युट् ] कलह झगड़ा, मुकदमे ! विशालकुलन् उत्तम परिवार, प्रसिद्ध वंश / बाजी। विशिखा [ विशिख+टाप ] रुग्णालय / विवधा [प्रा० स०] 1. जूआ 2. हथकड़ी, बेड़ी। विशेषकरणम् उन्नति, सुधार / विवरम् [वि-वृ+अच् ] पाताल लोक / विशेषधर्मः विशेष कर्तव्य, विशिष्ट धर्मकृत्य या यज्ञ-अनचिणित (वि०) [विवर्ण -- इतच् ] अननुमोदित, ष्ठान / __ अस्वीकृत। विशेषणासिद्धः एक प्रकार का हेत्वाभास / विवलग (भ्वा० पर०) कूदना, उछलना, फांदना। विशेषणपवम् 1. विशेषता द्योतक शब्द 2. सम्मान सूचक विवस्वती (स्त्री०) [ विवस्वत्+ङोप् ] सूर्य देव की उपाधि / नगरी। विशेषतः (अ०) अनुपात की दष्टि से निःस्वेभ्यो देयविवाहनेपथ्यम् दुलहिन की वेशभूषा / मेतेभ्यो दानं विद्या विशेषत:--मनु० 1112 / विविक्त (वि.) [ विविच्+क्त ] जिसने समझ लिया, | विशद्धधी निर्मल मन या उज्ज्वल बुद्धि वाला। या सही अनुमान लगा लिया विविक्त परव्यथो विशवसत्त्व (नि.) सच्चरित्र, सदाचारी। ---- भाग० 5 / 26 / 17 / विशुद्धिः [ विशुध् + क्तिन् ] 1. ऋण परिशोध करना विवित्सा [विद्- सन् + अङ+टाप् ] जानने की इच्छा। 2. प्रायश्चित्त। विवीताध्यक्षः चरभूमि का अधीक्षक / विशृंखला 'देवी' का विशेषण / / विवृ (स्वा० ऋया० उभ०) 1. म्यान से तलवार निकालना विशीर्ण (वि०) [ विश+क्त ] 1. रगड़ा हुआ 2. विफली2. कंधे से (बालो को) माँग फाड़ना। भूत 3. गिरा हुआ (गर्भ आदि)। विवृतम् [ विवृ + क्त ] अनाहत, जिसके धाव नहीं हुआ। विश्रान्तकय (वि०) [ ब० स० ] 1. वक्तृत्व शक्तिहीन, विवृतपौरुष (वि०) अपने पराक्रम का प्रदर्शन करने मूक 2. मृत। वाला। विश्रामः[वि+श्रम-घज 1 आराम करने का स्थान / विजित (वि०)[ विवज+क्त वह जिससे कोई वस्तू विश्रब्धालापिन (वि०) विश्वस्त या गुप्त बातें करने ले ली जाय, वञ्चित, विरहित / ! विश्रब्धालापिन वाला / For Private and Personal Use Only