Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1346
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1337 ) विपक्षः [प्रा० ब०] 1. निष्पक्षता, तटस्थता 2. वह दिन / विप्रतिपन्न (वि.) [विप्रति+पद+क्त] परस्पर संयुक्त, जब कि चन्द्रमा एक पक्ष से दूसरे पक्ष में संक्रमण आपस में मिले हुए। सम० -- बुद्धि (वि.) मिथ्या करता है। | विचार या धारणा रखने वाला। विपाट:[विपट+घञ एक प्रकार का बाण, तीर- विपाट- विप्रत्ययः [वि-+प्रति+5+अच] अविश्वास,---यदि पञ्जरेण-शि० 2017 / विप्रत्ययो ह्येष--महा० 121111155 / विपाटित (वि०) [विपट् +णिच् क्त] फाड़ा हुआ, टुकड़े विप्रथित (वि.) [वि-प्रथ्+क्त प्रसिद्ध, यशस्वी। टुकड़े किया हुआ। विप्रधर्षः [विप्र+धूष-+घन] तंग करना, सताना / विपणः [वि+पण+अच्] कार्यभार ग्रहण, व्यापार, व्यव-विप्रलम्भित (वि.) [विप्र+लम्भु+क्त] 1. अपमानित सायन तत्र विपणः कार्यः खरकण्डयनं हि तत् / 2. अतिक्रान्त / / -महा० 3133166 / | विप्रलीन (वि.) [विप्र+ली+क्त] तितर-बितर किया विपणिजीविका [ष० त०] क्रयविक्रय या व्यापार के द्वारा हुआ, छिन्न-भिन्न किया हुआ। जीवननिर्वाह करना। विप्रलम्पक (वि.) [विप्र+लप्+ण्वुल, मुमागमः] लुटेरा, विपणिवीथी षि० त०] मण्डी, बाजार / डाकू। विपण्य (वि.) 1. जिसने - व्यवसाय छोड़ दिया है। विप्रलोकः [विप्र+लोक-घा] बहेलिया, चिड़ीमार / 2. तटस्थ, उदासीन / विप्रवाबः [विप्र-+व+घञ्] असहमति, मतिभिन्नता। विपत्तिः [विपद्+क्तिन्] अवसान, समाप्ति / विप्रवसित (वि.) [वि+वस+णिच-+क्त] प्रवास के विपत्तिकालः [ष० त०] विपत्ति का समय / लिए गया हुआ, जो परदेश में चला गया है। विपनदीधिति (वि.) [ब० स० कान्तिहीन, निष्प्रभ / विप्रहत (वि.) विप्र+हुन+क्त] 1. पटक दिया हआ. विपरिक्रान्त (वि.) साहसी, बलशाली। गिराया हुआ 2. कुचला हुआ, रौंदा हुआ। विपर्ययः [वि०+परि---इ-+अच] मिथ्याबोध, गलतफ़हमी | विहीण (वि.) [विप्र-+हि+क्त] वञ्चित, विरहित / -ईशादपेतस्य विपर्ययोऽस्मृति:--भाग०११।२।३७ / विष् (स्त्री०) बोलते समय मुंह से निकले थूक के कण / विपर्यासः [विपरि+अस्--घञ्] 1. ह्रास 2. मृत्यु / विप्लवः [वि+प्लु-अप] पोतभंग, जहाज का विनाश / सम० -- उपमा, उल्टी उपमा / विप्लुतभाषिन् (वि.) असंगत बोलने वाला, हकलाने विपाकः [वि०+पच्+घञ] कुम्हलाना, मुरझाना / सम० वाला। ... वारण (वि.) परिणाम में भयंकर,--दोषः अग्नि- विप्लुतिः [वि+प्लु+क्तिन्] विनाश, ध्वंस / मांद्य, अजीर्ण। | विबन्धु (वि.) [ब० स०] बन्धहीन, जिसका कोई सगाविपिनोकस् (पुं०) [ब० स०] 1. लंगूर 2. जंगली जन्तु / सम्बन्धी न हो-भ्रातुर्यविष्ठस्य सुतान् विबन्धून् विपंसक (वि० प्रा० ब०] पुंस्त्वहीन, जिसमें पौरुष न हो। -भाग० 3 / 116 / / विपुलग्रीव (वि०) [ब० स०] लम्बी गर्दन वाला। विबुधः [वि+बुध+क] 1. बुद्धिमान, विद्वान् पुरुष विष्ट (वि.) [वि+पुष+क्त] जिसे पूरा आहार न 2. देवता 3. चन्द्रमा। सम-अनुचरः दिव्य सेवक, मिला हो, जिसे पूरा पोषण न मिला हो। -आवासः देवमन्दिर,-इतरः राक्षस / विपूयकम् [वि+पू+क्यप्, स्वार्थे कन् च] सड़ांध, दुर्गध / विबुभूषा [वि+भू+सन्+अ+टाप्] अपने आप को विप्रः [वप्+रन्, अत इत्वम्] भाद्रपद का महीना / सम. प्रकट करने की इच्छा / -ब्राह्मण माता पिता की जारज सन्तान / विभज (भ्वा० उभ०) 1. अलग कर देना, दूर भगा देना विप्रकृ (तना० उभ०) नियत करना, (साक्षी के रूप में) -विभक्त रक्षः संबाधम्रा० 5 / 53 / 73 2. खोलना स्वीकार करना। 3. बांटना। विप्रकार: [विप्र++घा] 1. विविधरीति 2. दुष्कृत्य, विभङ्गः [वि+भ +घञ्] लहर। गलत तरीका। विभगुर (वि.) [वि+भ +उरच अस्थिर, चंचल / विप्रकृतिः [वि+प्र++क्तिन्] परिवर्तन। विभवः [वि+भू+अच्] प्ररक्षा, बचाव-नियन्ता जन्तूनां विप्रकर्षः विप्र-कृष+घञ] 1. खींचकर दूर करना निखिलजगदुत्पादविभवप्रतिक्षेप-विश्व० / 2. (व्या० में) से व्यंजनों के बीच में कोई स्वर जो विभानुगा [विभा+ अनुगा] छाया। उन दोनों की भिन्नता दर्शावे / विभागरेखा [ष० त०] विभाजन रेखा।। विप्रतिपद (दिवा० आ०) मिथ्या उत्तर देना। विभावर ( वि० ) [ विभा+वनिप, र आदेश: 1 उज्वल विप्रतिपतिः [वि+प्रति+पद+क्तिन्] 1. विरोधी भावना चमकदार, चमकीला--विभावरी सर्वभूतप्रतिष्ठां गंडां 2. गलती, त्रुटि / गता-महा० 13 / 26 / 86 / For Private and Personal Use Only

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