________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1335 ) कभी न करना, --प्रसर (वि.) जिसकी प्रगति में / विडम्ब्यम् [ विडम्ब्+यत् ] दिल्लगी की चीज़, उपहास बाधा पड़ गई है, मद्य (वि०) जिसने सुरापान छोड़ | की वस्तु / / दिया है। वितर्कः [ वितर्क+अच् ] 1. मिथ्या अनुमान 2. इरादा / विच्छेदः [ विच्छिद् +धा ] भेद, प्रकार / सम० --पदवी अनुमान के क्षेत्र के अन्तर्गत / विच्छुरणम् [ विच्छुर् + ल्युट् ] बिखेरना, छिटकाना, बुर- वितानः, नम् [वितन+घन ] 1. शामियाना, चंदोआ कना। 2. राशि, ढेर 3. बहुतायत 4. अनुष्ठान 5. निष्पत्ति। विजाघ (नि.) [व० स० ] जिसके पहिये न हों, चक्र- वितानक: [वितान-+-कन् ] राशि, ढेर। हीन (रथ)। वितार (वि.) [प्रा० ब०] 1. जिसमें तारे न हों विजन्या (वि.) गभिणी।। (आकाश) 2. धूमकेतु के शीर्षभाग से रहित / विजल (वि.) [ब० स० ] जलहीन, जहाँ पानी न हो। वितृप्त (वि०) [वितृप्+क्त ] संतुष्ट, संतृप्त / विजर्जर (वि.) 1. जीर्णशीर्ण, टूटा-फूटा 2. विध्वस्त, वित्तविश्राणनम् मूल्यवान उपहारों का वितरण / उच्छिन्न / विदत् (वि०) विद्-+-शत] 1. जानने वाला 2. समझदार। विजयः [ विजि+अच् ] 1. जीत, फ़तह 2. एक विशिष्ट | विदितात्मन् (वि०) [व०स०] 1. जो अपने भापको मुहुर्त 3. तीसरा महीना 4. एक प्रकार का सैन्यज्यूह / जानता है 2. प्रसिद्ध / सम-जित (वि०) जीत (फ़तह) से प्रोत्साहित, विदुरः [विद्+करच ] वेत्ता, ज्ञाता। -दण्ड: सेना की एक विशेष टुकड़ी। विदुषः दे० 'विदुर / विजिघित्स (वि.) [ब० स०] जिसकी भूख नष्ट हो | विदुषी जानने वाली, समझदार स्त्री। गई हो। विदग्ध (वि.) [विदह,+क्त ] 1. परिपक्व 2. वक्ष विजिहीर्षा [वि --हृ + सन् --अ+टाप् ] इधर-उधर 3. भूरा, ईपद्रक्त, कुछ-कुछ लाल 4. जला हुआ, घुमने या खेलने की इच्छा। भस्मीभूत 5. पचा हुआ। सम०.-परिषद् (स्त्री०) विज़म्भिका 1. सांस लेने के लिए मुंह खोलना 2. जम्हाई ___ चतुर पुरुषों का समाज, -- मुखमण्डनम् एक ग्रन्थ का लेना। नाम, वचन (वि०) वाग्मी, वाक्पटु / विजृम्भित [ बिजृम्भ् + क्त ] 1. जो जम्हाई ले चुका है | विदण्डः दरवाजे की कुंजी।। 2. जम्हाई लेने वाला। विवश (वि.) [ब० स०] जिसके मगजी या मालर विज्जिका एक कवयित्री का नाम नीलोत्पलदलश्यामां अथवा किनारी न लगी हो, (वस्त्र) / विज्जिका मामजानता। वथैव दण्डिना प्रोक्ता सर्व- विदायः / फारसी का शब्द ] 1. बिदा करना 2. प्रभाग / शुक्ला सरस्वती // (उस कवयित्री का अब तक यही | विदुरनीतिः महाभारत के पांचवें पर्व में 33 से 40 एक श्लोक उपलब्ध हुआ है)। विदुरप्रजागरः तक अध्याय। यहाँ धृतराष्ट्र ने नीति विज्ञानम् [विज्ञा+ ल्युट] 1. ज्ञान का अंग या बुद्धि | पर व्याख्यान दिया है। 2. इन्द्रियातीत ज्ञान / विदूर संश्रव (वि०) जो दूर से सुनाई दे। विज्ञानभिक्षुः एक वौद्ध लेखक का नाम / विदतिः (स्त्री०) खोपड़ी की सन्धि या सीवन / विज्ञानस्कन्धः बौद्ध दर्शन के पांच स्कन्धों में से एक। विदेशज (वि०) विदेश में उत्पन्न / विशेष (वि.) [विज्ञा--- ण्यत् ] 1. जानने के योग्य संज्ञेय विदेहमुक्तिः (स्त्री०) मोक्ष के कारण जन्म मरण से 2. जिसकी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए 3. जिसका अर्थात शरीर से छुटकारा / ध्यान रखा जाय। विदोहः [ विदुह +घा ] अतिरिक्त लाभ / बिज्य (वि.) [व० स०] जिसमें डोरी या ज्या न हो | विद्धसालभजिका हर्षदेवकृत एक नाटक / (धनुष)। विद्या विद्+क्यप्+टाप्] 1. दुर्गा देवी 2. सरस्वती विटकान्ता 1. हल्दी, हरिद्रा 2. हल्दी का पौधा / देवी 3 ज्ञान, शिक्षा / सम०-आतुर (वि०) जो विटङ्कः (वि.) उत्तम, सुन्दर, मनोरम -केय रकुण्डल- ज्ञान प्राप्त करने के लिए उतावला हो-विद्यातुराणां किरीटविटङ्कवेपी भाग० 3 / 15 / 27 / न सुखं न निद्रा-नीति० --ईशः शिव का नाम, विटपः [विट:-पा+क] लता, बेल (जैसा कि 'भ्रू- --कोशगृहम-कोशसंग्रह,-कोशसमाश्रयः, पुस्तकालय, विटप' में)। -बलम् जादू की शक्ति,---भाज् (वि०) शिक्षित, विडम्बक (वि०) [वि --डम्व् + बुल् ] नक़ल करने पढ़ालिखा, -- वंशः अध्ययन की किसी विशिष्टशाखा वाला --परममम्बुदकदम्बकविडम्बकरालम् --पतंजलि के अध्यापकों की कालक्रमानुसार सूची। का तांडवस्तोत्र / / विद्युत्सम्पातम् (अ०)एक क्षण में. बिजली जैसी तेजी से। For Private and Personal Use Only