Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

View full book text
Previous | Next

Page 1223
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1214 ) तिकता, दुष्टाचरण,-नयनः अन्याय, अनुचित व्यवहार-1 अप्रकट (वि०) [न० ब०] जो प्रकट या व्यक्त न हो, शृणु राजन् स्थिरो भूत्वा तवापनयनो महान-महा० / जो स्पष्ट या प्रदर्शित न हो। ६४४९।२२,-नी (भ्वा०) दुर्व्यवहार करना-शत्रौ | अप्रत्यता [न० त०] वदनामी, अपकीर्ति-महा० 12 // हि साहसं यत्तत्किमिवानापनीयते रा० 6164 / 10, / 158 / 5 / --लीन (वि०) गुप्त, छिपा हुआ---औषसातमभयाद- अप्रचोदित (वि०) [अ+प्र+चद्+णिच+क्त ] जिसे पलीनम् -कि० ९।११,-वत्स (वि०) विना वछड़े | अभिप्रेरणा या प्रोत्साहन न मिला हो, अनादिष्ट / का,- वत्सय (ना० धा) ऐसा व्यवहार करना जैसा अप्रज्ञात (वि.) [अ+प्र-+-ज्ञा|क्त ] अज्ञात, जो समझ कि बिना बछड़े वाले के साथ किया जाता है, (न में न आया हो आसीदिदं तमोभूतमप्रज्ञातमलक्षणम् बहुत प्यार, न निर्दयता),-वरः अन्दर का कमरा, | -मन०१५।। सुरक्षित कक्ष - नै० 18118, महा० 121139-40, अप्रतिम (वि०) [न० ब०] अनुपयुक्त, तस्मास्वया --वर्गः अवसान, अन्त, वल्गित (वि०) निलम्बित, समारब्धं कम ह्यप्रतिम परैः- रा०६।१२।३५ / लटकाया हुआ, शद्रः जो शूद्र न हो, द्विज,--छु अप्रतिषेधः [ न० त०] वह आक्षेप जो विश्वासोत्पादक न (वि०) [अप-+स्था---कु] गलत, त्रुटिपूर्ण... अपष्ठु हो, अवैध निराकरण / पठत: पाठयमधिगोष्ठि शठस्य ते नै० 17496, अप्रतिहतः देवताओं का एक प्रकार अपराजित-अप्रतिहत-सज् (तुदा०) छोड़ना, त्यागना,- स्वानः झंझावात, जयन्त-वैजयन्त कोष्ठकान्"पुरमध्ये कारयेत् ...-कौ० आंधी, हारः संग्रह, अवाप्ति / अ० 2 / 4 / अपरक (अ०) 1. के सामने 2. पश्चिम की ओर। अप्रवृत्त (वि०) [अ-1-प्र--वृत् + क्त ] 1. जो किसी कार्य अपरान्तः [न० व.] द्वीप वासी। में व्यस्त न हो 2. जो संस्थित या प्रतिष्ठापित न हो अपरापरम (अ.) [अपर--अपर) आगे और आगे, फिर / 3. अनुपयुक्त / अपाठ्य (वि.) निव०] जो पढ़ा न जा सके। | अप्रसहिष्णु (वि.) [ अप्र+सह, +-इष्णुच ] जो सहन न अपाणिग्रहणम् [न० त०] ब्रह्मचर्य / किया जा सके, जिसका मकाबलान किया जा सके अपादानम् [अप --आनंदा+ल्युट्] स्रोत, कारण नै० | .... जगत्प्रभोरप्रसहिष्णु वैष्णवम् (चक्रम्) --कु० 221141 1154 / अपारवार (वि०) [न० ब०] असीम, अपारवारमक्षोभ्यं | अप्राज्ञ (वि०) [न० व.] जो जानकार न हो अज्ञानी / __ गाम्भीर्यात्सागरोपमम् - रा० 5 / 38540 / अप्रादेशिक (वि०)[न० ब.] 1. जो कोई सुझाव न दे अपिन (वि.) [अपि नह+क्त] बन्द, ढका हुआ, गुप्त / सके 2. किसी प्रदेश विशेष से सम्बन्ध न रखता हो / अपिपरिक्लिष्ट (वि.) अपि परि+क्लिश-:-छत अत्यन्त | अप्राधान्य (वि.) [न० ब.] जिसका कोई महत्त्व न उत्पीडित, तंग किया हुआ। हो, गौण / अपिस्वित् (अ०) प्रश्नसूचक अव्यय / अप्रोक्षित (वि.) [ न.ब.] जहाँ छिड़का न हुआ हो, अपीत (वि.) [अपि-+इ+क्त 1. विलीन, अन्तर्गत जो पवित्र न किया गया हो। -लोकानपीतान्द दृशे स्वदेहे-भाग० 6 / 8 / 12 2. मृत। | अप्रोटः एक पक्षिविशेष, कुकुडकुंभा। अपूतिः (स्त्री०) [अ-- पृ+क्तिन्] कार्य का पूरा न | अप्सुयोनिः [ अलुक् समास ] जो जल में पैदा हुआ हो, करना। घोड़ा। अपूर्विन् (वि.) (पुंर्वी) जिसने विवाहित जीवन का अबधवत् (वि०) [अ-बन्ध-|-वतवतु] अर्थहीन, जो अपनी पत्नी के साथ इससे पहले उपभोग न किया हो। व्याकरणसम्मत न हो-यस्मिन्प्रतिश्लोकमबद्धवत्यपि ---अपूर्वी भार्यया चार्थी वरुण:---रा० 3 / 18 / 4 / भाग०१।५।११। अपृयक्त्विन (वि०) जो पुरुष और प्रकृति के भेद को नहीं अवधा (स्त्री०) किसी त्रिकोण की आधार रेखा का छिन्न समझता-. "पृथकत्वं प्रकृश्योविवेकः, तदस्यास्तीति अंश या खण्ड। पृथकत्वी, तदन्यस्य" नील०; वर्णाश्रमपृथकत्वे च अबाधित (वि०) [न० ब०] बाधारहित, निर्बाध, अनि दष्टार्थस्यापथकत्विनः- -महा० 12 / 308 / 177 / यन्त्रित, अनिर कृत / अपेहि (अप-+एहि इ लोट, म० ए०) दूर हो, जाओ | अबीज (वि.) [न० ब०] 1. नपुंसक, निर्वीर्य 2. अका-~-अम्बष्ठापेहि मार्गात् - नारा। रण,--जः (न० त०) मन पर नियन्त्रण, -जा एक अपोहित (वि.) [ अप-+उह+-णिच् + क्त] 1. हटा प्रकार के अंगूर,--जम् अनुत्पादक बीज / हुआ, दूर किया हुआ न च सामर्थ्यमपोहितं क्वचित् / अभय (वि०) [न० ब०] प्रतिमा के हाथ की मुद्रा जो ---कि० 2 / 27 2. वादविवाद में निराकृत। भक्त की रक्षा सूचित करती है। सम०-वरवः For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 1221 1222 1223 1224 1225 1226 1227 1228 1229 1230 1231 1232 1233 1234 1235 1236 1237 1238 1239 1240 1241 1242 1243 1244 1245 1246 1247 1248 1249 1250 1251 1252 1253 1254 1255 1256 1257 1258 1259 1260 1261 1262 1263 1264 1265 1266 1267 1268 1269 1270 1271 1272 1273 1274 1275 1276 1277 1278 1279 1280 1281 1282 1283 1284 1285 1286 1287 1288 1289 1290 1291 1292 1293 1294 1295 1296 1297 1298 1299 1300 1301 1302 1303 1304 1305 1306 1307 1308 1309 1310 1311 1312 1313 1314 1315 1316 1317 1318 1319 1320 1321 1322 1323 1324 1325 1326 1327 1328 1329 1330 1331 1332 1333 1334 1335 1336 1337 1338 1339 1340 1341 1342 1343 1344 1345 1346 1347 1348 1349 1350 1351 1352 1353 1354 1355 1356 1357 1358 1359 1360 1361 1362 1363 1364 1365 1366 1367 1368 1369 1370 1371 1372