________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1228 ) आक्रान्त (वि.) [आ+ऋम्+क्त] 1. अलंकृत, सजा मास्ते शिवास्सन्तु . रा०२।२५।२१ / सम०-अपायिन हुआ, न खलु नरके हाराकान्तं घनस्तनमण्डलम् (वि०) जिसका स्वभाव उत्पन्न होने और फिर नाश -- भर्तृ० 1167 2. आरूढ, चढ़ा हुआ-निर्ययुस्तु- हो जाने का हो, जिसका जन्ममरण होता है-आगरमाकान्ता रा०६।१२७।१३। सम०-मति (वि.) मापायिनोऽनित्याः भग० / 24, -शास्त्रम् मन से पराजित, अत्यन्त प्रभावित / (नपुं०) 1. 'आगम' से संबंध रखने वाला शास्त्र आक्रान्तिः (स्त्री०) [आ+कम+क्तिन् ] आक्रमण, 2. माण्डूक्य का परिशिष्ट, श्रुतिः ( स्त्री० ) लूटखसोट यो भूतानि धनाक्रान्त्या बधात्क्लेशाच्च परम्परा। रक्षति-महा० 12 / 9718 / आगमित (वि०) [आगम् +णिच्+क्त] 1. सीखा हुआ, आक्रोरगिरिः, पर्वतः) [त० स०] आमोद गिरि, आमोद (किसी से) शिक्षा प्राप्त प्रकृतिस्थमेव निपुणाप्रमोद के लिए पहाड़--आक्रीडपर्वतास्तेन कल्पिताः गमितम् शि० 979 2. पठित, जिसने पढ़ लिया स्वेषु वेश्मसु-कु० 2 / 43 / है 3. निश्चय किया हुआ। आक्लिन (वि.) [आ+क्लिद+क्त ] 1. स्विन्न 2. दया | आगुल्फम् (नपुं०) जूता-हर्ष / से पसीजा हुआ। अग्निहोत्रिक [अग्निहोत्र-+-ठक] अग्निहोत्र से सम्बन्ध रखने आक्षपटलिकः [त० स०] 1. पुरातत्त्व और अभिलेखाधि वाला। कारी 2. लेखाधिकारी कौ० अ०२। आग्रयणेष्टिः (स्त्री०) [ष० त०] ऋतु के प्रथम फल की आक्षरः [ अक्षर-+अण्] वर्णमाला संबंधी। आहुति / आक्षिप्त [ आ+क्षिप्+क्त प्रक्षिप्त, लूंसा हुआ। आङ्गिकः [अङ्ग+ठक्] घुटनों से नीचे तक पहुँचने वाला आक्षेपः [आ+क्षिप्+घञ्] परास, (तीर की) पहुँच | कोट / -सोऽयं प्राप्तस्तवाक्षेपम्-महा०७।१०।६ / सम० आङ्गारिकः [अङ्गार---ठक] कोयले को जलाने वाला --रूपकम् उपमा अलंकार का वह रूप जिसमें केवल - महा० 12171120 / उपमान ही संकेतित हो। आङ्गिरस (वि.) [अङ्गिरस+अण] विशिष्टता से युक्त मावलः [ आखण्डयति भेदयति पर्वतान्-खण्ड+डलच् ] | वर्ष का नाम - आङ्गिरस्त्वब्दभेदे मुनिभेदे तदीरितम् इन्द्र / सम०-चापः,-धनुः इन्द्रधनुष, सूनुः इन्द्र - नाना। का पुत्र अर्थात् अर्जुन-अनुस्मृताखण्डलसूनुविक्रमः आचन्द्रतारकम् (अ.) जब तक संसार में चांद और तारे -कि० 024 / हैं, अर्थात् सदा के लिए। आक्षणिशाला [ष० त०] दस्तकार या शिल्पी का / आचपराच (वि.) [आ+अञ्च् + क्विन्+ परापूर्वक कारखाना। +अण्] इधर उधर घूमने वाला / आखुवाहनः [प० त०] गणेश का नाम / आखेटोपवनम् [त. स.] शिकार या मगया के लिए | आचमनवाहिन् (पु०) [आचमन+बाह+णिनि] पानी राजकीय जंगल। निकालने वाला, पानी खींच कर निकालने वाला, पनिआल्या (स्त्री) [आख्यायतेऽनया, आ+ख्या+अ+टाप] हारा। 1. सूरत, शक्ल-न हि तस्य विकल्पाख्या या च मद्वी- आचान्तिः (स्त्री०) [आ+चम् +क्तिन्] मुखशुद्धि के क्षया हता--भाग०११।१८।३७ 2. सौन्दर्य, मनोज्ञता लिए आचमन करना। वसीषु रुचि राख्यासु-रा० 7460112 / आचरित (वि.) [आचर+क्त] बसाया हुआ, बसा हुआ आल्यात (वि.) [आ+ख्या+क्त ] पुकारा गया,-सेवा -. देशमुत्सादयत्यनमगस्त्याचरितं शुभम् - रा० 1125 / श्ववृत्तिराख्याता- मनु० 4 / 6 / आल्यातम् [आ-ख्या+क्त ] आरम्भ करने का शुभ | आचारचक्रिणः [आचार : चक्र+इनि] वैष्णव संप्रदाय के शकुन / सदस्य। आगतत्वम् (नपुं०) [आगत +त्व ] उद्गम, मूल, आचारपुष्पाञ्जलिः (स्त्री०) (प्रवेश करते समय घर के जन्मस्थान। द्वार पर ही) धार्मिक प्रथा के रूप में पुष्पों का उपहार आगतसाध्वस (वि.) [न० ब०] डरा हुआ, भीत / भेंट करना। आगमः [आ०+गम-घन ] 1. जो वाद में आने वाला | आचार्यदेशीय (वि.) [आचार्यदेश---छ] आचार्य से कुछ है-- आगमवन्त्यलोप: स्यात्-मी० सू० 105 / 1 निम्न पद का (भाप्यकर्ताओं ने इस उपाधि को उन 2. पूजा की एक रीति-लब्धानुग्रह आचार्यात्तेन विद्वानों के नामों के साथ जोड़ा है जिनकी उक्ति सन्दर्शितागमः-भाग 1143 / 48 3. यात्रा-आग- 'सत्य' के एक अंग को ही प्रकट करती है)। For Private and Personal Use Only