________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1254 ) काष्ठा (स्त्री० ) 1. पीला रंग 2. शारीरिक रूप या मुद्रा | किशोरः [किम् ++ओरन्, किमोन्त्यलोपः, धातोष्टि -काष्ठां भगवतो ध्यायेत् ~भाग० 3 / 28 / 12 / | लोपः ] किसी जानवर का बच्चा, शिश, शावक / कासनाशिनी [50 त०] खांसी या दमे का नाश करने | कोकट (वि.) [ की+कट + अच् ] 1. निर्धन, बेचारा वाली औषधि का पौधा। ___ कंजूस, लालची। काइन् ( नपुं० ) [ क+अहन् ] ब्रह्मा का एक दिन कोकसास्थि (नपुं०) [ की+कस् + अच्-५० त०] कशे( 1000 युग)। रुका, मेरुदण्ड, रीढ़ की हड्डी। काहारकः (पुं०) एक जाति का नाम जिसके लोग पाल-कीचक: [चीक-+-वन, आद्यन्तविपर्ययश्च ] बांस जो हवा कियों में सवारियों को ढोते हैं। भर जाने पर शब्द करता है-कीचका वेणबस्ते स्यः कि (जुहो० पर०) चिकेति, जानना। ये स्वनन्त्यनिलोद्धताः - केवल 'बांस' के अर्थ में बहषा किकिरिः (स्त्री०) [ किं किरतीति-कृ+क, स्त्रियां-इ] / प्रयक्त-स कीचकैस्तिपूर्णरन्ध्रः कु० 118, रघु० कोयल। 2 / 12 / किञ्चन्यम् [किञ्चन-+-ष्य ] संपत्ति-किञ्चन्ये कीचकवधः [प० त० कीचक+हन-+अप, वधादेश: 1 नास्ति बन्धनम् महा० 12 / 32050 / 1. भीम के द्वारा कीचक की हत्या 2. एक नाटक का किट्टिनम् (नपुं० ) मैला पानी। नाम / किम् [ कु+ डिमु बा० ] समासान्त शब्दों में प्रायः 'कु' | कीट: [ कीट-+-अच् ] 1. कीड़ा / सम० ----अवपन्न (वि०) के स्थान में प्रयुक्त होता है, और 'तुच्छता', 'घटिया- | कोई वस्तु जिसमें कीड़ा लग गया हो, कीड़े से खाई पन' दोष या ह्रास का अर्थ प्रकट करता है / सम० | हई,-उत्करः बमी, ---तत्र कीटोत्कराकीणे - कथा. --कथिका (स्त्री०) संदेह, संकोच, -- कृते (अ.) 101 / 290 / 11, .--नामा, पावका,-पादी,-माता किसलिए, --ज (वि.) जो कहीं उत्पन्न हुआ हो, (स्त्री०) एक पौधे का नाम / जिसका नीचकुल में जन्म हुआ हो, -- तुघ्नः 'करण' | कोनाश (वि.) [क्लिश्-कन्, ईत्वं, लस्य लोपो नामानामक काल के ग्यारह भागों में से एक, ..नु (अ०) | गमश्च] 1. धरती जोतने वाला 2. निर्धन, दरिद्र परन्तु फिर भी, तो भी-किन्नु चितं मनुष्याणामनि- ____3. गुप्त हत्या-उपांशुघातिनि-नाना० 4. क्रूर। त्यमिति मे मतम् ... रा० 2 / 4 / 27, -पाक (वि.) कोरिभारा (स्त्री०) जें। अपरिपक्व, अज्ञानी,-पाक: आयुर्वेद शास्त्र में वर्णित कीर्तनीय, कीर्तन्य (वि.) [कृत-+अनीय, ण्यत् वा] स्तुति एक जड़ी बूटी, -पुरुषः 1. अर्धदेव 2. घटिया मनुष्य, किये जाने के योग्य, जिसके यश या कीति का गान -राजन् बुरा राजा, विवक्षा निन्दा, बुराई। किया जाय किंवरः (पुं०) मगरमच्छ, घड़ियाल / कोतिः (स्त्री०) [कृत्+क्तिन] 1. यश, ख्याति 2. कृपा, किमीय (वि०) [किम्+छ ] किसका, किससे संबंध रखने प्रसाद / सम-मात्रशेषः जो केवल ख्याति या यश वाला। के संसार में ही जीवित है, मृत,--स्तम्भः यश या कियत (वि.) [किमिदंभ्यां बोषः] (पुं० --कियान, ख्याति के कृत्य का खम्बा। स्त्री० - कियती, नपुं० - कियत्) 1. कितना अधिक, कोर्तितव्य (वि०) [कृत्+तव्य] जिसकी स्तुति की कितना बड़ा, कितना 2. कुछ, थोड़ा सा। सम० / जाती है। एतद् किस महत्त्व का, अर्थात् तुच्छ, अतिसामान्य, | कीलः [कील+घञ्] 1. जुआरी 2. मूठ, दस्ता / -मात्रः नगण्य, तुच्छ बात। कोलप्रतिकोलन्यायः (पु.) एक न्याय जिसके अनुसार किराटः (0) बेईमान सौदागर, निर्लज्ज व्यापारी-भाग० क्रिया एक में रहती है तो प्रतिक्रिया दूसरों में रहती 12 / 335 / है-पा० 2 / 2 / 6 पर म० भा०। किरातकः किरं पर्यन्तभूमि अतति गच्छतीति,स्वार्थे कन] कोलालिन कीलाल+-इनि] छिपकिली, गिरगिट / किरात जाति का मनुष्य / कोशपर्णः, (-- पणिन्) [ब० स०] अपामार्ग नाम का किरीरत्वच [ब० स० ] सन्तरे का पेड़। पौधा। किलफिलितम् (नपुं०) हर्षसूचक ध्वनियाँ / कु (अ०) [कु+डु] बुराई, ह्रास, अवमूल्य, पाप, ओछापन किलाटः (पुं०) जमा हुआ दूध / और कमी को प्रकट करने वाला अव्यय / सम०-चर: किलातः (पु.) बौना, कद में छोटा / घूमने वाला,-मः,-पुत्रः मंगल, बलयम् मण्डल,-बाच् किल्विषम् [किल्+टिषच्, वृक् ] 1. संकट, पाप - पितेव | (पुं०) गीदड़,-बोधम् शरारत से भरा प्रश्न, तपः पुत्र धर्माद्धि त्रातुमर्हसि किल्विषात् -- रा० 116217 | 1. एक प्रकार का कम्बल जो पहाड़ी बकरियों के 2. धोखा, जालसाजी। बालों से बनता है 2. दिन का आठवाँ मुहूर्त 3. दोहता For Private and Personal Use Only