________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपसर्पणमसे ( विखारी, भिक्षक पराभवः पुचालीसवाँ वर्ष पराजीनम् पराडीनम् 160 वर्ष में ( 1292 ) प्रमुख 6. विदेशी 7. प्रतिकुल 8. अन्तिम,.--: पराक दे० 'पराजु'। (पुं०) 1. दूसरा 2. शत्रु 3. सर्वशक्तिमान्,--रम् | पराकष्ट (वि.) [परा+कृष्+क्त ] तिरस्कृत, (नपं०) 1. उच्चतम बिन्दु 2. परमात्मा 3. मोक्ष अप्रतिष्ठित, निरादत / 4. दाब्द का गौण अर्थ 5. भावी लोक, इससे परे / पराक्षिप्त (वि.) [परा+क्षिप्+रत] उथलपुथल, की दुनिया। सम०-अयनम (परायणम्) बलात् दूर किया गया। 1. उच्चतम पदार्थ 2. सारांश 3. दृढ़ भक्ति, परागः [परा + गम् +3] सुगन्धित चूर्ण, पुष्परज / 4. धार्मिक आश्रम,-अर्षः 1. मुक्ति-महा०१२।२८८ पराच् (वि.) [परा+अञ्च+ क्विन् ] अनावृत्त, जो 19 2. दूसरों के लिए उपयोगी पदार्थ-संघात- दोहराया न गया हो----अनम्यासे पराक शम्दस्य परार्थत्वात् --सा का० १७,-अध्यं (वि०) तादात् / मै० सं० 105 / 45 पर शा० भा० / दिव्य-- असावाटीत् संख्ये परायंवत्-भट्टि सम०-दृश् (वि.) बहिर्मखी, जिसने अपनी आंख ९।६४,-अवसपशायिन् (वि०) दूसरे के घर सोने बाहरी संसार की ओर लगाई हुई है। वाला, आचित (वि.) दूसरों के द्वारा पालित पराचीन (वि०) [पराच +ख] 1. अनुपयुक्त पोषित, दास,---उदहः कोयल,-उपसर्पणम् दूसरों 2. बाहरी। के निकट जाना,काल (दि०) भावी समय से | पराजीनम [ परा+डी+स्यट1 पीछे की ओर उड़ना संबंध रखने वाला,--तर्कक: भिखारी, भिक्षुक, ___....पश्चाद्गतिः पराडीनम् -महा० 8 / 4 / 27 / . तल्पगामिन् (वि.) दूसरे की पत्नी के साथ सोने / पराभवः (पुं०) [परा+भू+अप् ] 60 वर्ष के संवत्सर वाला,-परिग्रहः दूसरों की संपत्ति (जैसे कि 'पत्नी') चक्र में चालीसवाँ वर्ष / श०५, ... परिभवः दसरों से अपमान या तिरस्कार | मिfas | परासिक्त (वि०) / परा+सि-+क्त ] फेंका हुआ, दूर प्राप्त करना, पाकनिवृत्त (वि०) जो दूसरों के डाला हुआ। यहाँ भोजन नहीं करता,-पाकरत (वि०) जो परासेषः (पुं०) बन्दी बनाना, कारागार में डालना। अपने पालन पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर करता परिकल्पित (वि०) [परि+मलप्+ज्युट] विभक्त, है,-पाकरचिः दूसरों के घर पके भोजन की चाह / बंटा हुआ। करना। परिकमः [ परि+क्रम् - घन ] नदी के प्रवाह का अनुपरवा (अ.) [पर+थाल] अन्यथा, वरना चोल० 5 / 5 / / सरण करना। सम०-सहा बकरी। परम (बि०) [ परं परत्वं माति-क] 1. अत्यन्त दूर का, परिक्रिया (स्त्री०) [प्रा० स०] व्यायाम करना। अन्तिम 2. उच्चतम, श्रेष्ठतम, महत्तम 3. मुख्य, परिक्षत (वि.) [परि+क्षण+क्त ] घायल, आहत / प्रमुख, प्रधान,-मम् (10) 1. अच्छा, बहुत अच्छा, परिक्षिप् (सुदा. पर०) बुरा भला कहना --प्रणयाज्याभिहां 2. अत्यन्त / सम० --अक्षरम् पुनीत अक्षर मानाच्च परिचिक्षेप राघवम्--रा० 213012 / 'ॐ',-आयुधम् चक्र नामक शस्त्र--रा० 6 / 58 / 12, | परिगाह (वि.) [परि+गाह+क्त] बहुत अधिक, -कारः मङगलमय क्षण,-गहन (वि०) अत्यन्त अत्यन्त / रहस्ययुक्त,--पुंस परमात्मा, परमपुरुष,-परम(वि.) परिगणित (वि.) [परि+गुण+क्त ] 1. जोड़ कर अत्यन्त श्रेष्ठ, --राजः सर्वोपरि राजा,---समुदय या गणा करके परिवर्षित 2. पुनरुक्त, पुनरावृत्त। (वि.) अत्यन्त सफल,---सम्मत (वि.) परमादर-परिग्रहः परिग्रह+अच] 1. शरीर 2. प्रशासन / गीय, अत्यन्त माननीय। सम-पत्नियों की बड़ी संख्या--परिग्रहबहुत्वेपि परम्परयात (वि.) [त० स०] परम्परा प्राप्त, क्रमानु। द्वे प्रतिष्ठे--२०३। सार प्राप्त। परिणाद्य (वि.) [परि+ग्रह+णि+ ण्यत् ] नम्रता परम्परसम्बन्धः (पुं०) अप्रत्यक्ष सम्बन्ध / तथा शिष्टता पूर्वक सम्बोषित किये जाने के परम्परित (वि०) [परम्परा इतच ] श्रृंखला के रूप योग्य / में, श्रेणीबद्ध / परिधगुरु (वि.)[क. स.] लोहे की भौति भारी। परशुमुद्रा (स्त्री०) [त० स०] तंत्रशास्त्र में वर्णित परिधस्तम्भः (0) चौखट, दरवाजे की बाजू / अंगस्थिति। परिघ्रा (जुहो० पर०) सर्वत्र चुम्बन करना। परस्परविलक्षण (वि०) आपस में एक दूसरे का विरोध | परिचरणतन्त्रम् (नपुं०) श्राद्ध के अनुष्ठान की विशेष करने वाला। रीति / परस्परण्यावृत्तिः (स्त्री०) आपसी निराकरण, पारस्परिक परिचारिका [परि+च+णि+ण्वुल+टाप् ] सेविका बहिष्करण। वासी, सेवा करने वाली नौकराना। For Private and Personal Use Only