________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1323 ) रतोत्सवः कामकेलि श्रृंगार परक क्रीडा। रमणकः [रम्--ल्युट, कन्] एक द्वीप का नाम / रतवपरीत्यम् सम्भोग या मैथुन की प्रक्रिया जिसमें स्त्री | रम्या [रम् + यत्-टाप्] (संगीत०) श्रुति का एक भेद / पुरुष की भाँति आचरण करती है। रवणः [रु+ युच्] 1. ऊँट 2. कोयल 3. मधुमक्खी 4. ध्वनि रतिः [रम्+क्तिन्] 1. हर्ष, आह्लाद 2. आसक्ति, अनु- 1 5. एक बड़ा खीरा। राग 3. यौनसुख 4. संभोग, मैथुन 5. कामदेव को | रवि कामदव का रविः [रु+अच ()] 1. सूर्य 2. पर्वत 3. मदार का पौधा अ न पत्नी 6. चन्द्रमा की छठी कला। सम० खेदः 4. बारह की संख्या। सम० इष्टः नारंगी, संतरा, मैथुन करने से उत्पन्न थकावट, पाशः,-बन्धः मैथुन -ध्वजः दिन,-बिम्ब: सूर्यमंडल,-सारथिः 1. अरुण करने की विशिष्ट रीति,-रहस्यम् कोक्कोक पंडित 2. उषःकाल / द्वारा प्रणीत 'कामशास्त्र',-सुन्दरः एक प्रकार का रशना [ अशक्यच, रशादेशः ] 1. रस्सी 2. लगाम रतिबंध। 3. तगड़ी। सम-पदम् कूल्हा,- पाहः रथवान, रतः (स्त्री) 1. दिव्यनदी, स्वगंगा 2. सत्य से यक्त - मालिन् सूर्य / शब्द या भाषण रतूस्यात् सत्यभाषक: कोश० / रसः [रस्+अच्] 1. (वृक्षों का) रस 2. तरल पदार्थ रत्नम् [रम्+न, तान्तादेशः] 1. रत्न, जवाहर, मूल्यवान् 3. सुरा, पेय 4. चूंट, (दवा की) मात्रा 5. स्वाद, पत्थर 2. कोई भी अमूल्य पदार्थ 3. कोई भी उत्तम रस 6. प्रेम 7. प्रेम, अनुराग 8. हर्ष, आमोद 9.(साहिया श्रेष्ठ वस्तु 4. जल 5 चुम्बक। सम.--अङ्गः त्यिक) रस 10. सत, अर्क 11. वीर्य 12. पारा मूंगा,-अचल: आख्यानों में वर्णित लंका में स्थित 13. विष 14. गन्ने का रस 15. पिघला हुआ मक्खन एक पहाड़,-कुम्भः रत्नों से भरा हुआ घड़ा, कूटः 16. अमृत 17. रसा (शाक भाजी का) 18. हरा एक पहाड़ का नाम, .. गर्भः 1. कुबेर 2. समुद्र, प्याज 19. सोना 20. छ: की संख्या का प्रतीक -गर्भगणपतिः गणपति की एक विशेष मति,-च्छाया 21 रसग्रहण करने का अंग जिह्वा -- भाग०८।२०१२७ रत्नों की कान्ति रत्नच्छायाव्यतिकरमिव प्रेक्ष्यमेतत् 22. पिघली हुई धातु। सम-बः गन्ना,-उत्पत्तिः पुरस्तात् -- मेघ०,-धेनुः रत्नों के ढेर में (दान के (अलं०) 1. रस की निष्पत्ति 2. संजीवन रस की लिए) दी जाने वाली प्रतीकात्मक गाय, पञ्चकम उपज,--धन (वि०) रस से भरा हुआ,-जानम् पाँच रत्न-सोना, चाँदी, मोती, हीरा, और मुंगा, भैषज्यविज्ञान,- तन्मात्रम् रस या स्वाद का सूक्ष्म -- वरम् सोना। तत्त्व,-निवृत्तिः स्वाद का न होना, रसहीनता, रथः [रम्+कथन] 1. गाड़ी, बहली 2. पैर 3. अंग, -भेदः पारे का निर्माण / भाग, 4. शरीर 5. हर्ष, आह्लाद। सम० आरोहः रसना [रस् + युच्] जिह्वा / सम० अग्रम् जिह्वा का जो रथ पर बैठ कर युद्ध करता है, उडुपः,-उडुपम् अग्रभाग,—मूलम् जिह्वा की जड़ / रथ का ढांचा,--घोषः रथ के चलने का घरघर | रसवत्ता रिस--मतप+तल+टाप] कला की परख-सा शब्द,-चारकः शूद्र द्वारा सैरन्ध्री में उत्पन्न पुत्र, रसवता विहता-वासवः / -विज्ञानम्,--विद्या रथ हाँकने की कला। रसातलम् [ष० त०] 1. सात लोकों में से एक, पृथ्वी के रयन्तरम् एक साम का नाम / नीचे का लोक, पाताल 2. लग्न से (जन्मकुंडली में) रथिन् (वि.) [रथ--इनि] 1. रथ में सवार 2. रथ / चौथा घर / का स्वामी,--(पुं० ) 1. क्षत्रिय जाति का पुरुष | रस्या [रस-+यत्+टाप्] एक देवी का नाम / 2. रथ पर बैठ कर युद्ध करने वाला योद्धा। रहस्यत्रयम् विशिष्ट द्वेत शाखा के तीन मुख्य सिद्धान्त रच्या रथ-यत्+टाप] 1 सड़क 2. सड़कों का संगम (ईश्वर, चित् और अचित्) / स्थान 3. बहुत से रथ या गाड़ियाँ। सम०-मुखम रहितात्मन् [ब० स०] जिसके आत्मा न हो (अर्थात् जो किसी सड़क पर प्रविष्ट होने का द्वार,-मुगः गली अपने आत्मा की बात का आदर न करता हो)। का कुत्ता। राक्षसः [रक्षस्+अण] 1. भूत प्रेत, पिशाच 2. हिन्दुओं रचनः [रद्+ ल्युट्] दाँत / में आठ प्रकार के विवाहों में से एक 3. एक संवत्सर रवनम् [रद् + ल्युट्] फाड़ना, कुतरना, खुरचना / का नाम / रन्ता (स्त्री०) गाय / रागः [रज+घञ] 1. प्रज्वलन 2. मिर्चमसाला 3. प्रेम, रन्ध्रम् [रध् + रक्, नुमागमः] 1. छिद्र 2. जन्मकुंडली आवेश, यौनभावना 4. लालिमा / सम०-वर्धमः में लग्न से आठवाँ घर। सम०-गुप्तिः दोषों या एक प्रकार का (संगीत का) माप / अटियों का छिपाना। राघवायणम् रामायण / रभसः [रभ् +असच्] विष, जहर / राघवीयम् राधव की एक रचना, कृति / For Private and Personal Use Only