Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1330
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1321 ) युवकः [ युवन् + कन्, नलोप: ] जवान,तरुण / का अभ्यास करते समय बैठने की विशेष मुद्रा, युवानक (वि.) [ युवन्+आनक न लोपः तरुण, -पुरुषः गुप्तचर,-यथा योगपुरुषरन्यान् राजाधिजवान। तिष्ठति-कौ० अ० 1121, - भ्रष्ट (वि.) जो युवति: [ युवन+ति ] जवान स्त्री, तरुणी। सम.....इष्टा योग के मार्ग से पतित हो गया है-शचीनां श्रीमतां पीले रंग की चमेली,--जनः तरुणी स्त्रियाँ / गेहे योगभ्रष्टोऽभिजायते--भग०,-यात्रा परमेश्वर युष्मवर्थम् (अ.) आपके लिए, आपकी खातिर / से सायुज्य प्राप्त करने का मार्ग,-युक्त (वि०) युष्मवायस (वि.) जो कुछ आपके अधीन है, आपके योगमार्ग में संलग्न-योगयुक्तो भवार्जुन-भग० नियन्त्रण में है। ८।२७,-वामनम् गुप्त उपाय,कूटयुक्ति, कपटयोजना, युज्मद्वाच्यम् (व्या०) मध्यम पुरुष / कौ० अ०,-वाहक ( वि० ) विघटनकारी (रसायुष्मद्विध (वि.) आप जैसा, आपकी तरह का। यन०), विद्या योगशास्त्र,--संसिद्धिः योगाभ्यास युष्मत्क (वि०) आपका, आपसे संबंध रखने वाला। में पूर्णसाफल्य प्राप्त करना,-सिद्धिन्यायः एक न्याय यूकालिक्षम् 1. जू और उसका अंडा (ल्हीक) 2. ल्हीक / जिसके अनुसार नाना प्रकार के फलों को देने वाली यूथम् [यु+थक्, पृषो० दीर्घः] रेवड़, लहंडा, समूह, एक विशिष्ट प्रक्रिया एक समय में केवल एक ही समुदाय / सम०-चारिन् (वि.) जो सामूहिक रूप फल दे सकती है. दूसरा फल प्राप्त करने के लिए से (हाथियों की भांति) घमता है, किसी रेवड़ में या उस प्रक्रिया का पृथक् रूप से दूसरा प्रयोग करना लहंडे में,-परिभ्रष्ट (वि.) अपने समूह से भटका पड़ेगा मी० सू० 4 / 3 / 27-28 पर शा० भा०। हुआ, बन्धः रेवड़, लहंडा / यौगिक (वि.) [योग+ठक ] अभ्यास के लिए अयुक्त यूयशः (अ०) [यथ +शस्] रेवड़ में, लहंडे में, पंक्ति में / (जैसा कि 'यौगिकं चापं तीरन्दाजी अभ्यास प्राप्त यूपः [यु+पक, पृषो० दीर्घः] 1. यज्ञीय स्थणा (जो प्रायः करने के लिए धनुष)। बाँस या खैर की लकड़ी की होती है। जिससे यज्ञीय | योग्य (वि०) [युज् ण्यत्, योग+यत् वा] 1. उपयुक्त, पशु बाँध दिया जाता है 2. विजयस्तम्भ / सम० समुचित 2. पात्र 3. उपयोगी, कामचलाऊ-ग्यः कर्मन्यायः वह नियम जिसके अनुसार विकृति से (0) 1. पुष्प नक्षत्र 2. भारवाही पशु,---ग्यम् संबद्ध किसी विवरण का उत्कर्ष या अपकर्ष केवल 1. सवारी, गाड़ी 2. चन्दन 3 रोटी 4. दूध। उसी विवरण तक लागू रहेगा जिससे कि तदादि योग्या [ योग्य+टाप] 1. एक देवी का नाम ---योगिनी तदन्त न्याय का उपयोग न हो सके-म० सं० 5 / 1 / योगदा योग्या ललिता० 2. पृथ्वी 3. सूर्य की 27 पर शा० भा०। पत्नी का नाम / योगः [ युज+घञ कुत्वम् ] 1. आक्रमण ---योगमाज्ञा-योजनम् [ युज् + ल्युट ] 1. जोड़ना, मिलाना 2. तत्परता पयामास शिवस्य विषयं प्रति--शिव० 1317, व्यवस्था 3. परमात्मा 4. अंगुली 5. चार कोस की 2. सतत संसक्ति, लगातार मिलाना--मयि चानन्य- दूरी। योगेन भक्तिरव्यभिचारिणी-भग. 1310 योजित (वि.) [युज+णिच्+क्त] 1. जूए में जोता हुआ 3. समता, साम्य--समत्वं योग उच्यते-भग० 2 / 40 2. प्रयुक्त, काम में लिया गया 3. मिला, संयुक्त 4. दुःख के' 'जों से छुटकारा-दूःखसंयोगवियोगं 4. सम्पन्न / योगजितग भग 5. मिलाना, जोडना 6. संपर्क योधेयः [योघा-ढक्] 1. योद्धा, एक वंश का नाम / 7. उपयोग 8. परिणाम 9. जुआ। सम-अभ्या- योन (वि.) [योनि+अण् ] वंश या कुल से संबन्ध सिन् (वि.) जो योग का अभ्यास करता है, रखने वाला। --आख्या केवल आकस्मिक संपर्क के कारण व्यत्पन्न | योनिः [यु+नि] 1. ऋग्वेद की वह आधारभूत ऋचा नाम-एषा योगाख्या योगमात्रापेक्षा न भूतवर्तमान- जिस पर 'साम' का निर्माण हुआ 2. तांबा 3.मल भविष्यत्संबन्धापेक्षा मी० सू० 121 पर कारण 4. समझ का स्रोत-योनिर्जप्तिकारणं 'वेदोशा. भा०-आपत्तिः प्रचलन में परिवर्तन,-क्षेमः ऽखिलो धर्ममूल'मित्यादिनोक्तमित्यर्थः-मी० सू० 1. समृद्धि, सुरक्षा 2. कल्याण, भलाई 3. धार्मिक 2 / 25 पर शा० भा० 5. इच्छा -योनिपातालकार्यों के निमित्त कल्पित संपत्ति-मनु० 9 / 219, दुस्तराम्-महा० 12 / 250 / 15 / सम-गुणः -दण्डः योग की शक्ति से युक्त छड़ी जादू की गर्भाशय या मूलस्थान से व्युत्पन्न गुण,-दोषः छड़ी,--नाविकः,--नाविक, एक प्रकार की मछली, 1. योनिसंबन्धी विकार 2. स्त्री की जननेन्द्रिय में -पबम् स्वसंकेन्द्रण की स्थिति,-पानम मर्जी लाने कोई दोष,-मुक्त (वि.) जन्म मरण के चक्र से वाले पदार्थों से युक्तशराब, पीनक,-पीठम योग | छुटकारा पाये हुए,- मुद्रा अंगुलियों द्वारा ऐसी For Private and Personal Use Only

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