________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1330 ) पदणात्मजः [ष० त०] जमदग्नि ऋषि का नाम / वर्धमानः [वध+शानच] 1. जैनियों का 24 वा तीर्थंकर बरेण्यः गणेशमाहात्म्य में वर्णित एक राजा का नाम / / 2. पूर्व दिशा का दिकपाल हाधी। सम० - गृहम् बर्गाष्टकम् [ष० त०] व्यंजनों के आठ समूह / आमोद घर रा०२।१७।१८ / बगोत्तमम् 1. अनुनासिक वर्ण 2. ज्योतिष में किसी ग्रह | वर्धमानकः [वर्धमान-कन हाथों में दीपक लेकर नाचने विशेष की उच्चता को प्रकट करने वाला शब्द / वालों की मण्डली। वर्गीकृत (वि०) | वर्ग+च्चि++क्त श्रेणियों में वर्धापनिकम् 1. बधाई 2. बधाई के चिह्नस्वरूप उपहार / विभक्त जिसके समुदाय बने हुए हों। वर्धापिका परिचारिका, नर्स / वर्णः[वर्ण+अच् ] 1. रंग 2. सूरत, शक्ल 3. मनुष्यों वर्मः हर्णिया रोग / की जाति 4. अक्षर, ध्वनि 5. शब्द, मात्रा 6. यश | वर्षः विष्+घञ] 1. वर्षा होना 2. छिड़काव 3. वर्ष 7. प्रशंसा 8. चोंगा 9. गीतक्रम। सम० - अनुप्रासः (केवल नपुं० में) 4. महाद्वीप 5. बादल 6. दिन अक्षरों का अनुप्रास अलंकार,-अन्तरम् 1. भिन्न जाति -रा० 717315 पर टीका 7. वासस्थान / सम० 2. स्थानापन्न अक्षर,-अवकृष्टः शूद्र---अवर ----- काल: बरसात की ऋतु, गणः वर्षों की लम्बी (वि.) जाति की दृष्टि से अधम. ओछा,-तर्णकम् शृंखला,--पदम् पत्रा, कलेण्डर, रात्र: बरसा का ऊनी कालीन,--परिचयः संगीत में दक्षता, भेदिनी मौसम। मोटा अनाज, (बाजरा, कोदों), विक्रिया 1. अक्षरों वर्षा [ वर्ष +अ+टाप् ] (स्त्रीलिंग ब० व० प्रयुक्त) में परिवर्तन 2. जाति में परिवर्तन / बरसात, वर्षा ऋतु / सम० -अघोषः बड़ा मेंढक, वर्णकः [वर्ण+पवुल ] 1. वक्ता, वर्णन करने वाला ---भू (पुं०) 1. मेंढक 2. इन्द्रवधू नामक कीड़ा 2. आदर्श, नमूना। वीरबहूटी, मदः मोर। वणिः [वर्ण+इन् ] 1. सोना 2. सुगन्ध / वर्षीयस (वि०) [ वृद्ध+ ईयसुन्, वर्षादेशः ] बहुत बूढ़ा वर्तनम् [वृत्+ल्युट् ] 1. होना, रहना 2. ठहरना, बसना ___ या पुराना। 3. कर्म, गति 4. जीविका 5. जीवित रहने का साधन | वर्षीयस् (वि.) [ वृष- ईयसुन् ] बौछार करने वाला, 6. आचरण, व्यवहार 7. मजदूरी, वेतन 8. तकवा ----तपः कृशा देवमीढा आसीद्वर्षीयसी मही- भाग० 9. जिससे रंगा जाय - निहितमलक्तवर्तनाभिताम्रम् 1012017 / --कि० 10142 10. बार बार दोहराया गया। वर्मवीर्यम् [10 त०] शरीर का बल / शब्द 11. काढ़ा बनाना। सम-विनियोगः मजदूरी | वलना [वल + युच् ] घुमाव, फिराव / बांटना। वलितम् [ वल् + क्त ] काली मिर्च। वर्तमानम् [वृत्+शानच् ] विद्यमान काल, मौजूदा समय / वलजः अन्न का संग्रह- कर्षकेण वलजान् पुपूषता --शि० सम-आक्षेपः वर्तमान का विरोध,-कालः मौजूदा 147 / समय। बलम्बः [ अव+लम्ब्+अच्, भागुरिमते अकारलोपः ] वतिः [ वृत्+इन् ] अस्थिभङ्ग के कारक सूजन / लम्ब रेखा। बतिका [वृत्+तिकन् ] यष्टिका, लाठी---पलाशवर्तिकामे- | वलभिनिवेशः [ स० त० ] ऊपर का कमरा। का वहतः संहतान् पथि . महा० 11338 / वलयम् [वल+अयन् ] समुदाय।। बर्तित [वत्+क्त ] 1. मुड़ा हुआ, लुढ़का हुआ 2. उत्पादित | बलि: [वल-+इन् ] 1. तह, झुरी (खाल पर) 2. पेट के निष्पन्न 4. खर्च किया हुआ, बीता हुआ। ऊपर के भाग में तह 3. चौरी की मुठ - रत्नच्छायापतिन् (वि.) [वृत्+णिनि ] आज्ञा मानने वाला। खचितवलिभिश्चामरैः क्लान्तहस्ता मेघ० 37 / वर्मन् (नपुं०) [वृत्+मनिन् ] 1. पथ, मार्ग, रास्ता सम-पलितम् झुर्रियाँ और सफ़ेद बाल (जो बुढ़ापे 2. कमरा,कक्ष 3. पलक 4. किनारा। सम० का चिह्न है), -शान: बादल--नेष. 1 / 10 / -मायासः यात्रा के परिणामस्वरूप थकान / Jबल्कः [ वल+क] 1. वृक्ष की छाल, वक्कल. 2. मछली -पातनम् ताक में रहना, ताड़ में रखना। की खाल 3. वस्त्र / सम० - फलः अनार का पेड़, बस्य॑त् (वि.) [वृत+स्य+शतृ ] होने वाला, प्रगति / वासस् (नपुं०) बक्कल की बनी हुई पोशाक / करने के लिए तत्पर / | बल्कलिन् (वि.) [ वल्कल+णिनि ] 1. वल्कल देने , वर्षम[वर्ष +अच] चमडे का तस्मा या फीता। वाला (वृक्ष) 2. वल्कल से आच्छादित / वर्षको वेश्या, व्यभिचारिणी स्त्री। वल्गकः [ वल्ग+अच्, स्वार्थे कन् ] कूदने वाला, नाचने वर्षनक (वि०) [वृष् +णिच्+ल्युट्, स्वार्थे कन्] आह्लाद- वाला / कर, हर्षप्रद, आनन्ददायक / | वल्मीकः [ वल् +ईक, मुटु च ] 1. बमी, दीमकों से For Private and Personal Use Only