Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1333
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1324 ) राजन् [राज्+कनिन्] सोम का पौधा-ऐन्द्रश्च विधिव- रमणीयता [रम् +अनीय+तल्] सौन्दर्य, चारुता / इत्तो राजा चाभिषुतोऽनघ: ... रा० 1114 / 6 / सम रामण्यकम् सौन्दर्य, मनोज्ञता। - उपसेवा, राजा की सेवा करना,--गुह्यम् ऊँचे / रामा (स्त्री०) एक छन्द का नाम / / जे का रहस्य,-देयम (भागम) राजकीय दावा, राषितम रूणिच+क्ता ध्वनि, स्वन-स्यन्दनेभ्यश्च्यता --पट्टिका (स्त्री०) चातकपक्षी,-पिण्डः राजा से वीरा शहरावितदुर्बलाः .. रा. 7 / 7 / 12 / आजीविका,-प्रसादः राजा का अनुग्रह, महिषी राशिः [अश्- इन धातोरुडागमश्च] 1. ढेर, संग्रह, समुपटरानी, --मार्तण्डः 1. (संगीत०) एक प्रकार को चय 2. संख्या (गणित में) 3. ज्योतिष का घर माप 2. इस नाम का एक ग्रन्थ,--राज्यम कुबेर का जिसमें 21 नक्षत्र समिमलित होते हैं। सम-गत राज्य,--लिङ्गम् एक राजचिह्न, वर्चस् शाही मर्यादा, (वि.) बीजगणित विषयक, --पः ज्योतिष के एक --वल्लभः राजा का प्रिय व्यक्ति, पत्तम राजा का घर का स्वामी, दे० राश्यधिप। आचरण,- स्थानीयः राजा का प्रतिनिधि, वाइसराय।। राष्ट्रकः [राष्ट्र+कनदे० राष्ट्रिक। राजन्य (वि.) [राजन-+यत, राजकीय, शाही, न्यः ! राष्ट्रिक: राष्ट्र+ठक 1. किसी देश का निवासी 2. राज्य क्षत्रिय जाति का पुरुष। सम० बन्धुः क्षत्रिय का शासक 3. राज्यपाल / राज्यम् [राजन् +यत्, नलोप:] 1. राजकीय अधिकार, रासः रास्+घञ] 1. कोलाहल 2. शोर 3. वक्ता 4. एक प्रभसत्ता 2. राजधानी, देश, साम्राज्य 3. प्रशासन | प्रकार का नृत्य 5, शृंखला 6. खेल, नाटक। सम० 4. सरकार। सम.---अधिवेवता राज्य की प्रधानता -केलिः वर्तलाकार नाच जिसमें कृष्ण और गोपिकाएँ करने वाली देवता, अभिभावकदेव, परिक्रिया सम्मिलित होती हैं। प्रशासन, लक्ष्मी:-श्रीः, प्रभुसत्ता की कीर्ति, रासायन (वि.) [रसायन+अण] रसायनसंबंधी / .- स्थितिः सरकार / रासायनिक (वि० [रसायन+ठक] रसायन संबंधी / राजिः -- 1 (स्त्री०) [ राज्-+-इन्, डीप् वा ] 1. पंक्ति रिक्तीक (तना० पर०) 1. रिक्त करना, खाली करना जी52. काली सरसों 3. धारीदार साँप 4. खेत | 2. ले जाना, चुरा लेना 2. चले जाना। 5. ताल जिह्वा, काकल। सम० फला एक प्रकार | रिक्थजातम् (नपुं०) (किसी मृतक व्यक्ति की) समस्त की ककड़ी। ___संपत्ति संपूर्ण आस्ति / राणायनीयः 1. एक आचार्य का नाम 2. वैदिक शाखा का रिष्ट: [रिष्+क्त] तलवार, कृपाण / प्रवर्तक / रीतिः री+क्तिन] नैसगिक संपत्ति, स्वाभाविक गण / रात (वि०) प्रदत्त, अनुदत्त / रुक्म (वि.) [रुच्+मन्, नि० कुत्वम्] 1. उज्ज्वल, रात्रिः,-त्री रा+त्रिप, डीप वा] 1. रात 2. रात का अंघ ___ चमकदार 2. सुनहरी,-मः। स्वर्णाभूषण 2. धतूरा। कार 3. हल्दी 4. ब्रह्मा के चार रूपों में से एक 5. दिन सम-आभ (वि.) सोने की भाँति चमकीला-पात्री रात-मै० स० 851116 पर शा० भा०। सम० सुनहरी तश्तरी, पुल (वि.) 1. स्वर्णशर से युक्त --आगमः रात का आना, . द्विषः सूर्य,-नाथः चन्द्रमा सुनहरी बाण वाला 2. सुनहरी मूठ वाला। -भुजङ्गः--मणिः चन्द्रमा,-सत्रन्यायः मीमांसा का रुचिप्रद (वि.) स्वादिष्ट, भूख लगाने वाला। एक सिद्धान्त जिसके अनुसार अर्थवाद में वर्णित फल , रुचिर (वि०) [रुच्+किरच्] सुहावना, सुखद अथ वासही ग्रहण किया जाता है जब कि विधि में कर्मफल वस्य वचनेन रुचिरवदनस्त्रिलोचनम् .. कि० 12 / 1 / का वर्णन न किया गया हो। सम-अङ्गदः विष्णु का नाम / राषा [राध +अच्+टाप् | 1. वैशाख महीने की पूणिमा रुचिष्य (वि.) [रुच् + किष्यन्] भूखवर्धक, भूख लगाने 2. भक्तिमत्ता। वाला। राम (वि.) [रम् +-घा ण वा] 1. आह्लादमय, सुखद, ! हण्डः [रुण्ड+अच घोड़ी और खच्चर के मेल से उत्पन्न / सुहावना 2. सुन्दर, लावण्यमय 3. श्वेत, मः तीन रुद्र (वि०) [रुद् + रक] 1. भयानक, भयंकर 2. विशाल ख्याति प्राप्त व्यक्ति (क) जमदग्नि का पुत्र परशुराम / -: 1. ग्यारह देवगण, जो शिब का ही अपकृष्ट (ख) वसुदेव का पुत्र बलराम जिसका भाई कृष्ण था रूप है, शिव उनमें मुख्य है 2. अग्नि 3. ग्यारह की (ग) दशरथ और कौशल्या का पुत्र रामचन्द्र, सीता- संख्या 4. यजुर्वेद का सूक्त जिसमें रुद्र को संबोधित राम। सम० काण्डः गन्ने का एक भेद, तापन, किया गया है। सम० प्रयागः एक तीर्थकेन्द्र का .--तापनी, तापनीय उपनिषद् एक उपनिषद् का नाम,-यामलम् एक तन्त्र ग्रन्थ का नाम,--वीणा एक नाम, --लीला उत्तरभारत में नवरात्र के दिनों में / प्रकार की वीणा। 'रामायण' का नाटक के रूप में प्रस्तुतीकरण / रुद्रटः अलंकार शास्त्र के एक लेखक का नाम / For Private and Personal Use Only

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