________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1307 ) बकः [वङ्क अच्, पृषो०] खान से धातुओं तथा अन्य / बहः, हम् [बह +अच्] 1. मोर का चंदा 2. पक्षी की पुंछ खनिज पदार्थों को निकालने का एक उपकरण / 3. मोर की पूंछ 4. पत्ता 5. वृन्द / सम०–अवतंस सम-विञ्चका,-चिञ्ची एक प्रकार की मछली।। (वि०) जिसने सिर को पंख लगाकर अलंकृत किया हुआ बकाची (स्त्री०) एक प्रकार की मछली। है,-नेत्रम् मोर की पूंछ पर बना आँख जैसा चिह्न / बटुकः [बटु-+कन्] 1. लड़का, बच्चा 2. मन्दबुद्धि बालक / बहिन्यायः (पुं०) मीमांसा का व्याख्याविषयक एक नियम सम-भैरवः भैरव का एक रूप / जिसके आधार पर गौण अर्थ की अपेक्षा प्राथमिक बरिशम् (नपुं०) शल्योपयोगी उपकरण / अर्थ को प्रधानता दी जाती है-मी० सू० 3 / 2 / 1-2 / बत (अ०) यथार्थतः उक्त, ठीक कहा हुआ कल्याणी बहिणवासस् (नपुं०) पंखों से बना बाण, वह तीर जिसमें बत गाथेयम् - रा० 5 / 34 / 6 / / पर लगा है। बम् बड़ी संख्या (सायण के मत से सौ करोड़ की संख्या, | बलम् [बल+अच] 1. शक्ति, सामर्थ्य 2. सेना 3. मोटापा औरों के मत से एक हजार करोड़)। 4. शरीर, आकृति 5. वीर्य 6. रुधिर 7. अकुर बन्दिः [बन्दु+इ] 1. बन्धन, कैद 2. बन्दी, कैदी। सम० 8. शक्ति का देवता 9. हाथ, कान्ते विष्णुबले शक्रः —प्रहः बन्दो बनाना, ग्राहः सेंध लगाने वाला, -महा० 12 / 2398 10. प्रयत्न। सम०-अपिन -प्राहम् (अ.) बन्दी के रूप में ग्रहण करना, (वि०) शक्ति या सामर्थ्य का इच्छुक,-उपादानम् --पालः काराध्यक्ष, -शूला वारांगना, वेश्या / सेना में भर्ती होना-कौ० अ०,--तापनः इन्द्र का बद्ध (वि.) [बन्ध+क्त] 1. परिरक्षित 2. बन्धा हुआ, विशेषण,--पुच्छकः कौवा, ...पृष्ठकः हरिण विशेष, 3. श्रृंखलित 4. प्रतिबद्ध 5. संहित 6. दृढ़ 7. जड़ा ... मुख्यः सेनापति,-वजित (वि.) बलहीन, दुर्बल, हुआ 8. रचित 9. संकुचित। सम-अवस्थिति --समुत्थानम् सशक्त सेना की भर्ती करना। (वि०) सतत, अनवरत, आदर (वि०) व्यसन- | (पुं०) स्वप्न / ग्रस्त--बद्धादरोऽपि परदारपरिग्रहे त्वम् -- रा० च०५, बलवत् (वि.) [ बल+मतुप् ] 1. बलवान्, शक्ति संपन्न, ----मण्डल (वि०) वर्तुलाकार, मंडली में अवस्थित, प्रबल 2. सघन, मोटा 3. अधिक महत्त्वपूर्ण 4. ससैन्य --भूत्र (वि०) जिसने मूत्र रोक लिया है। (10) 1. आठवाँ मुहर्त 2. श्लेष्मा, कफ, बलगम बन्धः बन्ध् / घा] 1. वन्धन 2. केशबन्ध, चोटिला ---ती (स्त्री०) छोटी इलायची। 3. शृंखला, बेड़ी। सम०.- कर्त (पुं०) बांधने | बलासः (पुं०) 1. एक प्रकार का रोग 2. क्षय, तपेदिक / वाला,--मुद्रा बेड़ी की छाप / बलाहकः [बल---आ+हा--क्वन ] 1. बादल 2. एक बन्धनम् [बन्ध + ल्युट] सांसारिकबन्धन (विप० मोक्ष)। / पर्वत 3. विष्णु का एक घोड़ा 4: सांप की एक प्रकार / सम०, रक्षिन् (वि०) काराध्यक्षा। बलि: [ बल +इन् ] 1. यज्ञ में आहुति, उपहार 2. भूत बन्धनिकः [ बन्धन+ठन ] काराध्यक्ष / यज्ञ 3. पूजा, अर्चना 4. उच्छिष्ट भोजन 5. देवता बन्धुः [बन्ध-+-उ] 1. रिस्तेदार, सम्बन्धी 2. एक दूसरे से पर चढ़ाया गया उपहार 6. शुल्क, कर 7. चंवर का सम्बद्ध, भाई 3. मित्र +. नियंत्रक, शासक 5. ज्योतिष दस्ता 8. एक प्रसिद्ध राक्षस का नाम / सम०-क्रिया की दृष्टि से तीसरा घर। समा--दायादः रिश्तेदार, मस्तक पर एक रेखा,-बन्धनम एक नाटक का नाम उत्तराधिकारी,-प्रिय (वि०) सम्बन्धियों का प्यारा जो पाणिनि द्वारा रचित समझा जाता है,--बन्धनः बन्धुरित (वि०) [बन्धुर+इतच् ] प्रवृत्त, मुड़ा हुआ। (10) विष्णु का विशेषण, विधानम् उपहार रूप बन्धक (तना० उभ०) मित्र बनाना। में बलि देना,-षड्भागः आय का छठा भाग जो राजा बन्धर (वि.) [बन्ध-+ऊरच ] 1. तरंगित, लहरियादार को कर के रूप में दिया जाता है.--- अरक्षितारं राजानं 2. सुखद, प्रसन्नता देने वाला। बलिषड्भागहारिणम् मनु०८१३०८,-होमः अग्नि बभ्रुकः [ भृ-+कु, द्वित्वं; बभ्रू+उ वा, स्वार्थे कन् च ] | में आहुति देना। बलीशः (पुं०) 1. कौवा 2. चालाक, धूर्त, मक्कार। बर्बरः (पुं०) 1. वह हाथी जिसने चौथे वर्ष में पदार्पण | बस्तमारम (अ.) बकरे की हत्या के ढंग पर / कर लिया है . मात० 5 / 5 2. घुघराला। सम० | बस्तिः [वस्तु-+-इ, वबयोरभेद ] 1. मूत्राशय 2. सांभर -- अलका (स्त्री) वह स्त्री जिसके मस्तक के चूंघ- झील से उत्पन्न नमक / राले बाल हैं। बस्तिकः (पुं०) एक प्रकार का बाण जिसकी नोक शरीर बर्बरीकम् (नपुं०) 1. धुंघराले बाल 2. सफ़ेद चन्दन से खींचते समय उसी में रह जाती है.-महा०७। की लकड़ी। 189 / 11 पर भाष्य / बभ्रकः / नक्षत्रपुंज / बाथी जिसने For Private and Personal Use Only