Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1323
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1314 ) रथ हाँकने वाला,-समीकृत (वि०) भूमि जैसा 1. औषधि 2. उपचार 3. रोगनाशक मंत्र। सम० बराबर किया हुआ, फर्श के साथ मिलाया हुआ, / --करणम् औषधियों का तैयार करना, कृत (वि०) -संभवः, ... सुतः 1. मंगलग्रह 2. नरकासुर / स्वस्थ किया हुआ, वीर्यम् औषधियों की स्वास्थ्यकर भूयस् (वि.) [बहु+ ईयसुन्] 1. अपेक्षाकृत अधिक शक्ति / 2. अधिक बड़ा 3. अधिक आवश्यक / सम-काम | भोगः [भज+घञ] 1. खाना, खा लेना 2. सुखोपभोग (वि.) बहुत अधिक इच्छुक,-भावः बुद्धि, विकास, 3. वस्तु 4. उपयोगिता, उपयोग 5. शासन करना --मात्रम् अधिकतर अधिकांश / 6. उपयोग, प्रयोग 7. सहन करना 8. अनुभव करना, भूरि (वि.) [भू+क्रिन्] बहुत, पुष्कल, असंख्य, पुष्कल। | संकल्पना 9. स्त्रीसंभोग 10 आनन्द लेना 11 आहार सम०-कालम् (अ०) बहुत समय तक,-कृत्वम् 12. लाभ 13. आय 14. धन / सम०--नाथः पोषक, (अ०) बहुत बार, बार-बार, गण (वि.) 1. बहुत भरणपोषण करने वाला,-पत्रम किराये का दस्ताअधिक बढ़ता हुआ 2. भांति-भांति के फल देने वाला, वेज़,-भुज (वि.) सुखोपभोग करनेवाला / --फेना पौधों की एक जाति, -भोज (वि.) भोगिराजः [ष० त०] शेषनाग / नानाप्रकार से सुखोपभोग करने वाला। भोग्यवस्तु विलास की सामग्री। भूरिशः (अ०) [भूरि-+शस्] विविध प्रकार से, नाना | भोज (वि.) [भुज+अच] 1. सुखोपभोग देने वाला प्रकार से। . 2. उदार, दानशील,-जः (पु.) 1. एक प्रसिद्ध भूषणवासांसि (नपुं० ब०व०) वस्त्र और आभूषण / राजा का नाम 2. विदर्भदेश का राजा। सम० भू (जुहो० पर०) संतुलित रखना, समसंतुलन करना। --- चम्पू भोज द्वारा रचित रामायण चम्पू,- प्रबन्धः भूतक (वि.) [भृत+कन्] 1. पालन पोषण किया हुआ | बल्लाल की भोजविषयक कृति / 2. किराये का, कः (पुं०) भाड़े का सेवक / सम० भोल: वैश्य द्वारा नटी में उत्पादित पुत्र / --अध्यापनम् वैतनिक अध्यापक द्वारा दिया गया भौजिष्यम् (नपु०) दासता, सेवकत्व / शिक्षण --भूतिः मजदूरी, पारिश्रमिक, किराया। भौत (वि.) [भू-+-अण् ] 1. प्राणिसंबन्धी 2. भौतिक भूतिः [भ+क्तिन्] 1. सहन करना, सहारना, सहारा 3. पागल, तः 1. भूत पिशाचों की पूजा करने देना 2. भरणपोषण 3. आहार 4. ले जाना, नेतृत्व | वाला 2. भूतयज्ञ। सम० प्रिय (वि० ) मूढ, करना 5. मुलधन 6. पारिश्रमिक। सम० अर्थम दुर्बुद्धि। निर्वाह के निमित्त, जीविका के लिए। भौमम् भूमि+अण्] 1. तत्त्वविषयक वस्तु 2. फर्श भगः (पुं०) 1. एक मुनि का नाम 2. जमदग्नि का नाम 3. भवन की ऊपर की मंजिलें- सप्तभौमाष्टभौमश्च 3. शुक्र का विशेषण 4. शुक्र नामक ग्रह 5. चट्टान / - रा० 5 / 2 / 50 / 6. पठार 7. शिव का विशेषण 8. शुक्रवार / सम० भौमी [भौम + डीप्] सीता का विशेषण / ----कच्छ:---कच्छम् नर्मदा नदी पर एक तीर्थस्थान, भ्रंशः [भ्रंश---घा] 1. गिरना, फिसल जाना, अधः-पतनम् चट्टान से गिरना,-पातः चट्टान मे कूदना, पतन 2. ह्रास, मुझना 3. नाश, ध्वंस 4. दूर भाग छलांग लगाना, - भृङ्गः एक प्रकार का संगीत का | जाना 5. ओझल होना 6. (नाटय० में) उत्तेजना के माप,--अभीष्टः आम का वृक्ष / कारण वाक्स्खलन / भूशवण (वि.) कठोर दण्ड देने वाला। भ्रष्ट (वि.)[भ्रंश+क्त] 1. गिरा हुआ, पतित 2. माया भेवः [भिद्+घञ] 1. दारुण पीड़ा 2. ग्रहों का योग हुआ 3. भागकर जो बच गया। सम-अधिकार 3. पक्षाघात 4. सिकुड़ना 5. समभुज त्रिकोण की (वि.) जिससे अधिकार छीन लिये गये हों, पदच्यत, कर्ण रेखा / - क्रिय (वि.) जो विहित कर्म करने में असफल भेवक (वि.)[भि+बुल] 1. वियोजक, विभाजक, तोड़ने रहा,-योग (वि०) जो भक्ति से पतित हो गया हो। वाला 2. नाशक 3. विवेचक 4. रेचक 5. (स्रोतों | भ्रम् (भ्वा०, दिवा० पर०) लड़खड़ाना, घबड़ाना। को) मोड़ने वाला 6. पथभ्रष्ट करने वाला। | भ्रम् (प्रेर०) 1 ढिंढोरा पीटना 2. अव्यवस्थित करना। भेवन (वि०) [भिद+णिच् + ल्युद] 1. तोड़ने वाला, भ्रमः [भ्रम्+घञ] 1. छाता, छतरी 2. वृत्त / - विभाजक 2. रेचक,-नम् (किसी पशु का) नासा- | भ्रमरः [भ्रम् +करन्] 1. मधुमक्खी 2. प्रेमी 3. कुम्हार छेदन करना। का चाक 4. जवान 5. लटू। सम-निकरः मधुमेलनम् (ना.) तैरना। मक्खियों का छत्ता,-पदम् एक छन्द / भेवन (वि.) मेष रोगमयं जयति-जि+3] स्वस्थ करने | भ्रमरित् (वि.) भ्रिमर+इतच जो नीला हो गया है वाला, चिकित्सा किये जाने योग्य, ..जम् (नपुं०) -यदतिविमलनीलवेश्मरश्मिभ्रमरितभा:-+०२।१०३। For Private and Personal Use Only

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