Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1326
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1317 ) कवि का नाम (सूर्यशतक का प्रणेता) 1. सम० / / विस्तृत 4. प्रबल, बलशाली 5. महत्त्वपूर्ण, आवश्यक ..... नरयम् मोर का नाच, पिच्छम मोर का चंदा।। 6. ऊँचा, प्रमुख, पूज्य / सम-आयुधम् महान् दास्त्र, मयूरिका (स्त्री०) 1. नथ, नाक का छल्ला 2 एक जह- बड़ा भारी हथियार, औषधिः (स्त्री०) एक आश्चर्य रीला जंतु / जनक बूटी, कुलम् उत्तम घराना, तम्बः सैनिक, मरकतश्याम (वि.) पन्ने जैसा काला, ऐसा काला जैसा कि ' जत्था,-फल: बेल का वृक्ष,-व्यतिक्रमः 1 भारी मरकतमणि - माता मरकतश्यामा मातङ्गी मदशालिनी / अतिक्रमण 2. महान् पुरुष का अनादर। ---श्याम / महा (कर्मधारय और बहव्रीहि समास के आरंभ में 'महत' मरणम् [म+ल्युट्] 1. मरना मत्यु 2. एक प्रकार का शब्द का स्थानापन्न-इसके कुछ उदाहरण निम्नांकित विष 3. अवसान 4. जन्मकुंडली में आठवाँ घर हैं)। सम. - अनिल: बवंडर महानिलेने 5. शरण, शरणालय / सम०-दशा मृत्य का समय, निदाघजं रजः -कि० 14 / 59, आरम्भः महान् -शील (वि०) मर्त्य, मरणधर्मा। कार्य, विशाल पैमाने पर कार्य का आरंभ करना, मरीचिः[म+ईचि] 1. प्रकाश की किरण 2 प्रकाशकण / आलयः देवालय, मन्दिर, तीर्थ स्थान आलया 3. प्रकाश 4. मगतृष्णा 5. आग की चिंगारी। सम.. मावस्या वह अमावस्या जिससे महालयपक्षः आरंभ —पाः (मरीचिपाः) ऋषिवर्ग जो सूर्य की किरणें : होता है,-आलयपक्षः माघ और पौष मास का पुनीत पीकर जीवित रहते हैं-रा० 3.62 / पितुपक्ष, आलयश्रासः महालय पक्ष में श्राद्ध करना, महः [म+उ] 1. रेगिस्तान, निर्जल प्रदेश 2. पहाड़, चट्टान ऊमिन् (पुं०) समुद्र,-ओघ (वि.) प्रबल धाराओं 3. कुरबक नाम का पौधा 4. मद्यपान का त्याग / से युक्त,-कल्पः ब्रह्मा के सौ वर्ष,-बक्रम शक्ति की सम-प्रपतनम् पहाड से छलांग लगाना। पूजा में रहस्यमय चक्र, जयः ऊँट,-जयः बारहमक्त् (पुं०) म+उति 1. वायु, हवा, समीर 2. प्राण सिंगा हरिण,-दंष्ट्रः बड़े व्याघ्र की एक जाति,-दुर्गम् वायु 3. वायु का देवता 4. देवता 5. मरुबक नाम का महान् संकट, - पराक: एक प्रकार की तपस्या, पौधा 6. सोना 7. सौन्दर्य / सम० बृद्धा, वृषा -पुराणम् अठारह पुराणों में एक पुराण, प्रश्नः एक कावेरी नदी। जटिल सवाल, बिसी एक प्रकार का चमड़ा,-भाग्डम् मधु (पुं०) [मृ+3] 1. धोबी 2. पीठमर्द, (स्त्री०) मुख्य कोष, मृत्युंजयः 1. मत्य के विजेता शिव को सफाई, पवित्रता। प्रसन्न करने का मन्त्र 2. एक औषधि का नाम,-यानम् मर्मन् (नपुं०) [मृ + मनिन्] 1. शरीर का महत्त्वपूर्ण : एक बड़ी सवारी (पश्चवर्ती बौद्ध शिक्षण), रवः भाग (शरीर का दुर्बल या सुकुमार अंग) 2. त्रुटि, मेंढक, रजः (वि०) अत्यन्त पीड़ाकर,..-लयः विफलता 3. हृदय 4. गुप्त अर्थ 5. रहस्य 6. सत्यता / 1. महा प्रलय 2. परमपुरुष जिसमें सब महाभूत लीन सम०-घात: मर्मस्थान पर आघात करना, - जम हो जाते हैं,-विपुला एक प्रकार का छन्द,-शिवरात्रि: रुधिर। फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष का चौदहवां दिन, शिवपूजा मर्यादा [मर्या (सीमा)+दा+क] 1. सीमा 2. अन्त का माङ्गलिक दिवस, लक्षणा रेत, बालू,-सन्नि: 3. किनारा, तट 4. चिह्न 5. नैतिकता की सीमा (पुं०) एक प्रकार का संगीत माप,-सुधा चाँदी / प्रचलित नियम, प्रचलन 6. औचित्य का सिद्धान्त | महिनम् (नपुं०) प्रभुसत्ता, उपनिवेश / 7. करार। सम० . बन्धः सीमा के अन्दर रहना, महिमन् (पुं०) [महत् + इमनिच्] आठ सिद्धियों में से एक / -----वचनम् सीमाविषयक वक्तव्य,-व्यतिक्रमः सीमा महिषमदिनी दुर्गादेवी। का उल्लंघन / मही [मह +अच्+डोष] 1. पृथ्वी,घरती,भूमि 2. भूसंपत्ति, मल (वि.) [मज-कल, टिलोप:] 1. मैला, गन्दा जायदाद 3. देश, राजधानी 4. खम्बात की खाड़ी 2. लालची 3. दुष्ट, - लः लम् 1. मल, गन्दगी, में गिरने वाली एक नदी 5. (ज्या० में) किसी आकृति धूल अपवित्रता 2. विष्ठा, बीट 3. धातुओं का मोर्चा की आधाररेखा 6. विशाल सेना 7. गाय / सम० 4. शरीर के मल 5. कपूर 6. कमाया हुआ चमड़ा .. जीवा क्षितिज, . पृष्ठम्, धरतीतल, भूमि की सतह, 7. वात, पित्त तथा कफ नामक दोष / सम-अपहा -करोति बड़ा बनाता है, प्रोन्नत करता है। एक नदी का नाम,- पङ्किन (वि०) धूल या गन्दगी मांसम् [ मन्-+स, दीर्घश्च ] 1. गोश्त, 2. मछली का से भरा हुआ। मांस 3. फल का मांसल भाग,-स: 1. कीड़ा 2. संकर मल्लनालः (संगीत) एक प्रकार की माप / जाति, जो मांस बेचती है। सम.---कामः मांस का महत् (वि०) (म० महीयस, उ० महिष्ठ) [मह +अति] शौकीन, ...कीलः रसौली, चक्षुः नंगी आँख,--परि 1 बड़ा, विशाल, विस्तृत 2. पुष्कल, असंख्य 3. दीर्घ, I वर्जनम् मांस-भक्षण का त्याग / For Private and Personal Use Only

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