Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1325
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शराब, 9. मधु 10. वीर्य 11. सोम 12. नद / सम० स्थिति (जैन),-रागः हृदयानुराग, प्रेम,-समृद्धिः --भङ्गः घमंड का टूट जाना,-मत्ता एक छन्द का | मन का सन्तोष,----संवरः मन का दमन / दाम। | मनुः [मन् +3] मानसिक शक्तियाँ देहोऽसवोऽक्षा मनवो मदमम् [ मद् + ल्युट्] 1. नशा करना 2. उल्लास, हर्षा- भूतमात्रा-भाग० 6 / 4 / 25 / तिरेक, न: 1. जन्मकुंडली में सातवाँ घर 2. एक | मनुस्मृति मनुसंहिता, मनु द्वारा प्रणीत धर्मशास्त्र / प्रकार को संगीतमाप / सम०-अत्ययः नशे का मनुष्ययानम् [ष० त०] पालकी, शिविका / आधिक्य, मदातिरेक / / मनुष्यसंकल्पः मानव की इच्छा / मधिरामदान्ध (वि.) शराब पीकर धुत, अत्यंत नशे में / मनोन्मनी दुर्गा का एक रूप / मद्यकुम्भः शराब की सुराही, सुरा पात्र / मन्त्रः [ मन्त्र-+अच् ] 1. विष्ण का नाम, शिव का नाम मद्यबीजम् खमीर उठाने के लिए औषधि / 2. जन्मकुंडली में पांचवाँ घर 3. वैदिक सूक्त 4. वेद मद्रदेशः मद्रों का देश। का वह अंश जिसमें संहिता सम्मिलित है 5. प्रार्थना मनाभः एक संकर जाति / 6. गुप्त योजना 7. नय, नीति। सम० कर्कश मधु (नपुं०) [ मन्--उ, नस्य धः] 1. शहद 2. फूलों का (वि०) दृढ़नीति का समर्थक, जागरः रात के रस 3. मधुमक्खियों का छत्ता 2. मोम। सम०-पाका जागरण के अवसर पर मन्त्रों का सस्वर पाठ,---रक्षा तरबूज,-पात्रम् सुरापात्र, मांसम् शराब और मांस, किसी नीति. विचार या रहस्य को गुप्त रखना, -बल्ली 1. एक प्रकार का अंगर 2. मीठा नींबू / -संवरणम् किसी रहस्य, मन्त्रणा या नीति को गुप्त मधुकाश्रयम् मोम। रखना,--स्नानम् स्नान करने के स्थान पर 'अघमर्षण' मधुमती [मधु+मतुप + डीप्] 1. एक नदी का नाम 2. एक मन्त्रों का सस्वर पाठ करना। बेल का नाम 3. 'मधु वाता ऋतायते' से आरंभ होने मन्थ् (भ्वा० ऋया० पर०) मिश्रित करना, मिला देना / वाली तीन ऋचाएँ। मन्थः [ मन्थ + घा] 1. मथना, बिलोना, हिलाना मधुरस्वनः [ ब० स० ] शंख / 2. मार डालना, नाश करना 3. मिश्रित पेय 4. रई, मधुराङ्गकः कषाय स्वाद, तोखा स्वाद / बिलोने का उपकरण, मन्थनदण्ड 5. सूर्य 6. आँखों मध्यमणिन्यायः एक नियम जिसके आधार पर मुख्य वस्तु के रोहे 7. पेय तैयार करने के लिए आयुर्वेद का एक दोनों पाश्वों के बीच में रहे जैसे कि हार में मणि / योग। सम० विष्कम्भः मन्थनदण्ड / मध्यकम् सामान्य संपत्ति / मन्द (वि.) [ मन्द् + अच् ] 1. ढीला, शिथिल, निष्क्रिमध्यम (वि.) [मध्ये भवः म 11. बीच का, केन्द्रीय यात्मक, अलस 2. शीतल, उदासीन 3. मूढ, दुबैद्धि, 2. अन्तर्वर्ती 3. मध्यवर्ती,---मः 1. नितान्त बीच का मर्ख 4. नीचा, गहरा, खोखला 5. मृदु, सुकुमार पुत्र 2. राज्यपाल 3. भीम का विशेषण (मध्यमव्या- 6. छोटा 7. दुर्बल, न्दः (पुं०) 1. शनिग्रह 2. यम योग), - मम् (नपुं०) 1. जो अतिप्रशंसनीय न हो का विशेषण। सम-आस्यम् संकोच, झिझक, 2. ग्रहण का मध्यवर्ती बिन्दु। सम गतिः किसी कर्मन् (वि०) कार्य करने में शिथिल,-जरस् (वि.) ग्रह की औसत चाल, ग्रामः (संगीत० में) मध्यवर्ती शनैः शनैः बढ़ा होने वाला, पुण्य (वि०) दुर्भाग्यलय, व्यायोगः भासकृत एक नाटक / ग्रस्त, बदकिस्मत / मध्यमीय (वि.) [ मध्यम+छ ] बीच का, केन्द्रीय / / मन्दामणिः पानी भरने का बड़ा घड़ा। मध्योहात (वि०) ऐसा शब्द जिसके मध्यवर्ती अक्षर पर | मन्दिरम् [ मन्द --किरच ] 1. भवन 2. आवास 3. नगर उदात्त स्वर हो। __ 4. शिविर 5. देवालय 6. काया, शरीर / मन् ( दिवा० तना० आ० ) स्वीकार करना, सहमत | मन्दुरा [ मन्द्+उरच् ] 1. अश्वशाला, अस्तबल, तबेला होना। 2. शय्या, चटाई। सम० पतिः,-पालः अश्वशाला मनस् (नपुं०) [मन्---असुन् ] 1. मन, हृदय, समझ, का प्रबन्धकर्ता, भूषणम् बन्दरों की एक जाति / बुद्धि 2. (दर्शन० में) संज्ञान व प्रज्ञान का एक अन्त- मन्यसूक्तम् (नपुं०) मन्यु नामक सूक्त जो ऋग्वेद के दसवें वर्ती अंग, वह उपकरण जिसके द्वारा ज्ञानेन्द्रियों के मण्डल के 83 व ८४वें सूक्त हैं। विषय आत्मा को प्रभावित करते हैं 3. अन्तःकरण | ममतायुक्त (वि.) 1. अहंमन्य 2. कंजूस / 4. अभिकल्प 5. संकल्प / सम-ग्राह्य (वि०) | ममताशुन्य (वि.) 1. अहंशन्य 2. अनासक्त / मन से ग्रहण किये जाने के योग्य,-लानिः मन का | मयिवसू (वि०) मेरे प्रति शुभ / अवसाद,-धारणम् अनुग्रह की संराधना करना | मयूखमालिन् (पुं०) सूर्य, सूरज / -पर्यायः सत्य के प्रत्यक्षीकरण में अन्तिम के पूर्व की 'मयूरः [मी ऊरन्] 1. मोर 2. एक प्रकार का फल 3. एक For Private and Personal Use Only

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