________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1312 ) हारिन् जो अपना भाग ले लेता है,-धनम कोष, / भार्गवः | भृगु+अण्] ज्योतिषी, भविष्यवक्ता-भार्गदौ ----पत्रम्-लेख्यम विभाजन का दस्तावेज़ / शकदेवज्ञो वज०। भागिन् (वि.) [भाग+ इनि ] अत्यन्त उपयोगी। भार्यापतित्वम् दाम्पत्य संबन्ध / भागरिः एक विख्यात वैयाकरण और स्मतिकार का नाम। भाल्लविः सामवेद की एक शाखा / भाग्य (वि.) [ भज+प्रयत्, कुत्वम ] 1. बांटे जाने के | भावः / भ-घा ] 1. सत्ता, अस्तित्व 2. कल्याण-भाव योग्य 2. हिस्से का अधिकारी 3. भाग्यशाली, किस्मत- मिच्छति सर्वस्य-महा० 5 / 36 / 16 3. प्ररक्षणवाला,-ग्यम् (नपुं०) 1. भाग्य, किस्मत 2. अच्छी द्रोणस्याभाभावे तु--महा० 725 / 64 4. भाग्य किस्मत, सौभाग्य 3. समद्धि 4. कल्याण, सुख / 5. बासना, अतीत संकल्पनाओं की सुध 6. छः अवस्था सम-संक्षयः बुरी किस्मत, उन्नतिः भाग्य का अस्ति, वर्धते, विपरिणमति आदि / सम० कर्तक: उदय होगा, --ऋक्षम् पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र। भाववाचक क्रिया, गतिः (स्त्री) मानवी भावनाओं भाङ्गक: चीथड़ा। को प्रकट करने की शक्ति-भावगतिराकृतीनाम् भाजक (अ०) जल्दी से, तेजी से। प्रतिमा० ३,-चेष्टितम् प्रेमद्योतक संकेत या भाजनविषमः गलत उपायों के द्वारा गबन करना-- कौ० चेष्टाएँ, निर्वत्तिः भौतिक सष्टि सां का० 52, अ० 2 / 8 / 21 / -नेरिः एक प्रकार का नाच, शबलत्वम् नाना भाण्डम् [ भाण्ड + अच्] 1. सामान 2. पूंजी, मूलधन प्रकार की भावनाओं का मिश्रण / 3. बर्तन / सम० गोपकः बर्तन रखने वाला। भावंगम् (बि०) मनोहर, सुहावना / भानतः (अ०) प्रतीति के परिणामस्वरूप / भावयित (वि.) [भू-णिच +तच ] प्ररक्षक, प्रोन्नायक भानव (वि०) [भानु+अण्] सूर्यसंबंधी। क्रोधो भावयिता पुनः-महा० 3 / 29 / 1 / भानुभूः यमुना नदी का विशेषण / | भावित (वि०) [भूणिच् + क्त ] 1. अभिनिर्दिष्ट, भामहः अलंकारशास्त्र का एक विख्यात लेखक / स्थिर किया हुआ, गड़ाया हुआ 2. अधिकार में किया भारः [भ+घञ्] 1. बोझा 2. आधिक्य 3. परिश्रम हुआ, गृही, पकड़ा हुआ-दुदुहुः पृथुभावितम् 4. बड़ी राशि 5. किसी पर डाला गया कार्यभार / -भाग० 4 / 18 / 13 3. निमग्न, लीन, पूर्ण- रथाङ्गसम-अवतरणम् बोझा कम करना, आक्रान्ता पाणेरनुभावभावितम् -भाग० 12 // 10 // 42 4. प्रसन्न, एक छन्द का नाम,--- उद्धरणम बोझा उठाना, ऊढिः हृष्ट / सम० भावन् (वि०) स्वयं को आगे बढ़ाने (स्त्री०) भारवहन करना, बोझ उठाना,-गः खच्चर। बाला, तथा औरों की सहायता करने वाला। भारिका राशि, ढेर। भाव्य (वि०) [भ---ण्यत् ] 1. भावी 2. जो सम्पन्न हो भारती 1. वक्तृता, शब्द, वाक्पटुता 2. वाणी की देवता सके 3. सिख दोष होना श्यवर. साक्षिभिर्भाव्यो 3. नाट्यकला 4. किसी पात्र की संस्कृत बक्तता नृपब्राह्मणसन्निधो मनु० 8 / 60 / 5. सन्यासियों के दस भेदों में एक-गोस्वामिन् / भाषापत्रम् आवेदन पत्र ----शुक्र० 21309 / भारत (वि.) [भरतस्ये दम् - अण्] भरतवंशी,-तः भाषासमिति: बाणी का नियन्त्रण (जैन)। 1. भरतकुल में उत्पन्न (जैसे विदुर, धृतराष्ट्र, अर्जुन) भाषित (वि०) [भाष् - तृच् ] वोलने वाला, बातें करने 2. भारतवर्ष का निवासी 3. अग्नि,-तम् (नपुं०) वाला। 1. भारतवर्ष देश 2. संस्कृत का एक महान काव्य भाष्यभल (वि.) टीका या भाष्य का काम देने वाला (इसके लेखक व्यास या कृष्णद्वैपायन माने जाते हैं) --भाष्यभूता भवन्तु मे ---शि० 2124 / 3. संगीतशास्त्र तथा नाटयकला / सम०-आख्यानम, | भासः एक प्रसिद्ध नाटककार, स्वप्नवासवदतम् आदि इतिहासः, कथा भरतकुल के राजाओं की कहानी, | नाटकों का प्रणेता। महाभारत काव्य,- सावित्री एक स्तोत्र का नाम भिक्षा [भिक्ष+अ] 1. जीवन निर्वाह का एक साधन -इमा भारतसावित्रीं प्रातरुत्थाय यः पठेत् -- महा० 2. मांगना / सम.-- भुज् (वि.) भिक्षावृत्ति से 18 / 5 / 64 / निर्वाह करने वाला। भारद्वाजः [भरद्वाज+अण्] 1. भरद्वाज गोत्र से संबंध / भिक्षः भिक्ष + उन्] 1. भिखारी 2. साधु 3. संन्यासी रखने वाला 2. राजनीति का एक लेखक जिसका। 4. श्रमण / सम०-भादः श्रमणता, साधुता / कौटिल्य ने उल्लेख किया है। भिडिसी कम्बल का एक भेद-कौ० अ० 2 / 11 / 29 / भारविः किरातार्जुनीय काव्य का रचयिता। | भिद् (रुधा० पर०) 1 टुकड़े कड़े करना, काटना भारष: 1. अविवाहित वश्य कन्या में वैश्यवात्य के द्वारा 2. व्याख्या करना--वचांसि योगग्रथितानि साधो उत्पादित पुत्र 2. शक्ति की पूजा करने वाला। न नः क्षमन्ते मनसापि भेत्तम-भाग० 5 / 10 / 8 / For Private and Personal Use Only