Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1317
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1308 ) बहिस् (अ.) [वह +इसुन् ] 1. के बाहर, बाहर 2. घर / बादरिः (पुं०) एक दार्शनिक का नाम / के बाहर 3. बाह्यरूप से 4. पृथक् रूप से 5. सिवाय। | बाधानिवृत्तिः (स्त्री०) [पं० त०] भूत प्रेत की पीडा से सम० - अङ्ग (वि०) बाहरी, दूर से संबन्ध रखने | मुक्ति / वाला~-अन्तरङ्गबहिरङ्गयोरन्तरङ्ग बलीयः मै० बाधक ( वि० ) [बाध् + वुल्] पीडादायक, छेड़छाड़ सं० 12 / 2 / 29 पर शा० भा०, -दश (बहि- करने वाला। दृश) (अ०) अतिरिक्त या फ़ालतू दिखाई देने वाला, / बायित (पुं०)[बाध् + णिच् ---तृच्] बाधा पहुंचाने वाला, पवमानम् सोमयाग में प्रयुक्त सामतंत्र, प्रज्ञ हानि पहुंचाने वाला। (वि.) जिसकी योग्यता बाह्य पदार्थों की हो, मनस् / बाध्यबाधकता (स्त्री०) अत्याचारग्रस्त और अत्याचारी (वि.) जो मन से बाहर हो,-मनस्क (वि.) जो की अन्योन्यक्रिया, पीडित और पीडक का पारस्परिक मानस क्षेत्र की बात न हो, यति (वि०) जो बाहर प्रभाय / बँधा हुआ या रक्खा हुआ हो..तिन् (वि.) बाहर | बान्धवः [बन्धु-|-अण] हितैषी-पतष्वस्रयप्रीत्यर्थ तदगोत्ररहने वाला,--व्यसनिन् (वि०) लंपट, कामुक, __ स्यात्तबान्धवः भाग० 1 / 19 / 35 / इन्द्रियपरायण,--स्थ,-स्थित (वि.) बाहरा, बाहर बाईस्पत्याः बहस्पति-यका राजनीति पर लिखने वालों का,- कार्य (वि०) निकाल बाहर फेंकने के योग्य / की शाखा जिसका उल्लेख कौटिल्य ने किया है-को० बह (वि० ) [बह + कु, नलोपः] ( हु, ह्वी, भूयस्, / प्र० 1.15 / भूयिष्ठ) 1. बहुत, पुष्कल, प्रचुर 2. बहुत से, असंख्य बाल (वि.) [बल् + ण, बाल+श्च] 1. बालक, बच्चा 3. बड़ा, विशाल। सम-उपयुक्त (वि.। जो 2. अविकसित (पूरुष या वस्तु) 3. नवोदित (जैसा कई प्रकार से काम का हो,-क्षारम् साबुन,-क्षीरा कि सूर्य या उसकी किरणें) 4. अंजान, लः (पु०) अधिक दूध देने वाली गाय, गुरुः जिसने अध्ययन 1. बच्चा 2. अवयस्क 3. मुर्ख 4. भोलाभाला बहुत कुछ किया है परन्तु भलो प्रकार नहीं, दोहना 5. पाँच वर्ष का हाथी 6. नारियल। सम०-अरिष्टः दे. बहुक्षीरा, बहुत दूध देने वाली गाय, नाडिकः बच्चों को दाँत निकलने का कष्ट, ---आमयः बच्चों शरीर, काया,--प्रकृति (वि०) जिसमें क्रियापरक की बीमारी, बालरोग, चिकित्सा बच्चों के रोगों तत्व बहुत हों (जैसे समस्त शब्द), -प्रज्ञ (वि.) का इलाज, चुम्बाल: मछली, - चूतः आम का पौधा, बहुत बुद्धिमान्, बड़ा समझदार, प्रत्याथिक (वि.) ---मनोरमा सिद्धान्तकौमुदी पर लिखी गई टीका जिसके प्रतिपक्षो और प्रतिद्वन्द्वी अनेक हों, प्रत्य- ---मरणम् मूर्ख की मृत्यु,-यतिः बालसंन्यासी,-प्रतः वाय (वि.) जिसके मार्ग में अनेक कठिनाइयाँ हों, मजुधोष (बौद्धश्रमण) का विशेषण / - रजस् (वि.) बहुत धूल से भरा हुआ,-बादिन बालकः [बाल+कन] 1. बालक, बच्चा 2. आवश्यक (वि.) बहुत बोलने वाला, शस्त (वि.) बहत ___3. बुद्ध 4. कड़ा 5. हाथी या घोड़े की पूंछ 6. बाल उत्तम, संख्यकः (वि.) अनगिनत, सत्त्व (वि०) 7. पाँच वर्ष का हाथी-शि० 5 / 47 / जिसके पास बहुत से पशु हो, साहस्त्र (वि.) वाला | बाल--टाप] दुर्गा का विशिष्ट रूप। सम०-मन्त्रः हजारों की संख्या में। बालादेवी का पुनीत मंत्र। बहुल (वि०) [बह, +कुलच्, नलोपः] (म०-बहायस्, / बालिशमति ( वि० ) बच्चों जैसी छोटी बुद्धि वाला, उ० --बंहिष्ठ) 1. मोटा, सधन, सटा हुआ 2. चौडा, / बालबुद्धि। पुष्कल 3. प्रचुर, यथेष्ट 4. असंख्य, अनगिनत बालेयशाकः एक प्रकार का शाक / 5. समृद्ध 6. काला, कृष्ण। सम---अश्वः एक बाष्कल: एक अध्यापक, पैल अषि का शिष्य, ऋग्वेदशाखा राजा का नाम,-पक्षशितिमन् कृष्णपक्ष का अंधकार का संस्थापक / -कूजायुजा बहुलपक्षशितिम्नि सीम्ना-नै० 21 / 124 / / बाष्पविक्लव (वि०) औसुओं से अभिभूत / बाणः [बण्+घञ] 1. तीर 2. निशाना 3. बाण की बास्तिकम् बास्त+ठक बकरियों का झंड-रा० 21772 / नोक 4. ऐन, औडो (गाय की) 5. शरीर 6. एक बाहिरिकः विदेशी, दूसरे देश का न च बाहिरिकान राक्षस, बलि का पुत्र 7. एक कवि का नाम जिसने कुर्यात् पुरराष्ट्रोपचातकान - कौ० अ०९।४।२२ / कादम्बरी और हर्षचरित लिखे हैं 8. अग्नि 9. पाँच | बाहुः [बाध्- कु, हकारादेशः] 1. भुजा 2. चौखट का की संख्या का प्रतीक 10. चाप को शरज्या। सम० बाजू 3. पशु का अगला पाँव 4. (ज्या० में) समकोण -निकृत (वि.) बाण से बिंधा हुआ,- पत्रः (पुं०) त्रिकोण को आधार रेखा 5. रथ का पोल 6. सूर्य एक पक्षी,--लिङ्गम् नर्मदा नदी पर उपलब्ध एक घड़ी पर शकु की छाया 7. बारह अंगुल की नाप, श्वेत पत्थर जिसे शिवलिङ्ग के रूप में पूजा जाता है। एक हाथ की नाप 8. धनुष का अवयव / सम० For Private and Personal Use Only

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