Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1310
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाहिए। प्रतिबू (अदा० पर०) 1. उत्तर देना, 2. (आ०) मुकर / प्रतिसरबन्धः [50 त०] किसी भी मंगलमय कार्य के आरंभ जाना। 1 के अवसर पर हाथ की कलाई में राखी या पहुँची प्रतिभा [प्रति-भा+क+टाप ] उचाटपना, ध्याना- (पुनीत कलावा) बाँधना। पकर्षण निद्रां च प्रतिभा चव ज्ञानाभ्यासेन तत्त्ववित प्रतिस्वम् (अ०) एक-एक करके, एकैकगः / --महा० 12 / 274 / 7 / प्रतिहत (वि.) [प्रति+हन / क्त] 1. चौधियायी हुई प्रतिभोजनम् [ प्रतिभूज-ल्यट] विहित पथ्य, नियत (आँखें) 2. कुण्ठित, ठूठा / किया हुआ आहार। प्रतिहारः [ प्रति--- ह ।-धज ] आगमन की सूचना देना प्रतिमागहम [ष० त०] मतियों का घर / __ -रा० 7 / 17 / / प्रतियातनिद्र [ (वि०) ब० स०] जागा हुआ, जागरूक। प्रती (प्रति+इ-अदा पर०) (शत्रु का) मुकाबला प्रतियातबुद्धि (वि०) [ब० स०] जिसे (पिछली भूली / करना,--ससैन्यानहं तांश्च प्रतीयां रणमूर्धनि महा० - बाते) याद आ गई हों। 5 / 172 / 13 / प्रतियोगः [ प्रति यज्--घा ] प्रत्युनर, प्रत्युक्तिवचन प्रतीतात्मन् [प्रति+ इत--आत्मन्] विश्वस्त, दृढ़ / -बु०च०४।४१। | प्रतीकम् [प्रति - कन्- नि० दीर्घः 1. चिह्न 2. प्रतिलिपि / प्रतियोस [प्रति+-युध -- तच ] युद्ध में प्रतिपक्षी। सम० दर्शनम् चिह्नपरक संकल्पना / प्रतिरूद्ध (वि०)[प्रति-रुह + क्त ] 1: प्रविष्ट, अधि प्रतीचीन (वि०) [प्रत्यञ्च+ख, अलोपः, नलोपः, दीर्घश्च] कृत 2. स्थापित-भाग० 1013013 / अन्तर्मुखी, अन्दर की ओर मुड़ा हुआ। प्रतिवक्तव्य (वि.) [प्रति-वच ---तव्यत् ] 1. उत्तर प्रतीपदीपकम् (नपुं०) दीपक अलेकार का एक भेद / दिये जाने के योग्य 2. वादविवाद किये जाने के योग्य / प्रतूलिका (स्त्री०) एक प्रकार की शय्या। प्रतिविधातव्यम् (भाव० क्रि०) ध्यान (सावधानी) रखना प्रत्यक्ष (वि.) [अक्ष्णः प्रति] 1. आँखों को जो दिखाई दे, दर्शनीय 2. नयनगोचर, 3. स्पष्ट, साफ् / सम०--पर प्रतिविशेषः [प्रा० स०] विशेषता, विलक्षणता ! (वि०) प्रत्यक्ष को ही उच्चतम प्रमाण मानने वाला, प्रतिण्याहारः [प्रति वि+आ+ह+घञ] उत्तर, जवाब / / -विधानम् स्पष्ट विधि, स्पष्ट आदेश, विषयीभू प्रतिशीर्षकम् [प्रा० स०] निष्कृतिधन, बन्दी मोचन धन / दृष्टिपरास के अन्तर्गत आना / रा०२१५५ पर मल्लि० / प्रत्यक्षरम् (अ०) प्रत्येक अक्षर पर-- प्रत्यक्षरश्लेषमयप्रतिश्रयः [प्रति+थि अच] आश्रम, मठ (जहां सदाव्रत प्रपञ्च वासव० / लगा रहता है)। प्रत्यक्प्रवण (प्रत्यञ्च+प्रवण) (वि०) आत्मोन्मुख, एक प्रतिषेधः[प्रति+सिध+घा] 1. निषेधात्मकता का ध्यान वात्मा का भक्त / दिलाना 2. बाधा। प्रत्यभिज्ञादर्शनम् (नपुं०) शैवदर्शन पर लिखा गया एक प्रतिष्ठा प्रतिस्था +अ+टाप] व्रत की पूर्ति / / ग्रन्थ / प्रतिष्ठापनम् प्रति---स्था-णिचल्यूट] समर्थन / प्रत्यभिनन्द (भ्वा० चुरा० पर०) 1. बदले में नमस्कार प्रतिष्ठासु (वि.) [प्रति--स्था+सन्+उ] कहीं पर बस करना 2. स्वागत करना / जाने का इच्छुक / प्रतिष्ठित (वि०) [प्रति+स्था-+ णिच् + क्त] पूरा किया प्रत्यभ्युत्थानम् (नपुं०) [प्रति+अभि उद्- स्था+ल्यट] __अतिथि का स्वागत करने के लिए अपने आसन से हुआ महा० 3385 / 114 / उठना / प्रतिसयात (वि०) [प्रतिसम् +या - क्त] आक्रमणकारी, प्रत्ययः [प्रति ---इ+अच्] इन्द्रियों का कार्य-सर्वेन्द्रियहमला करने वाला। गुणद्रष्ट्र सर्वप्रत्ययहेतवे भाग०८।३।१४ / प्रतिसंरुख (वि०) [प्रतिसम् +- रुध+क्त] संकुचित किया प्रत्यर्चनम् [प्रति ।-अर्च+ल्युट] बदले में नमस्कार करना / हुआ। प्रत्यवकर्शन (वि.) [प्रति+अव + कृश्+स्युट्] विफलप्रतिसक्रमः [प्रतिसम् / क्रम् --अच्] [विच्छेद विघटन / / कर, संहारकारी। प्रतिसङ्ख्यानम् [प्रतिसम्+ख्या--ल्यट] 1. किसी बात का | प्रत्यवस्थापनम् प्रति+अव--स्था+णि+ल्युट्] सुखद, शान्तिपूर्वक विचार करना 2. सांख्य दर्शन / विश्रान्तिदायक, स्फूर्तिजनक / प्रतिसंधानम् [ प्रतिसम+धा+ल्यट] 1. स्मति, याद | प्रत्यवेक्षणा (स्त्री०) [प्रति+अव+ईक्ष् +युच--टाप] 2. उपचार, चिकित्सा। पाँच प्रकार के ज्ञानों में से एक (बुद्ध० में)। प्रतिसन्मासित (वि.)[प्रतिसमास+ इतच] समीकृत, बरा- | प्रत्यस्त (वि०) [प्रति+अस-1-क्त] फेंका हुआ, छोड़ा बर किया हुआ। हुआ-प्रत्यस्तव्यसने माल० 10123 / For Private and Personal Use Only

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