________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बालों के बहाने - कैकेयी शङ्कयवाह पलितछद्मना / पाञ्चरात्रम् (नपुं०) 1. एक वैष्णव सम्प्रदाय तथा उसके जरा-रघु० १२।२,--दर्शनम् सफ़ेद बालों का सिद्धान्त, भक्तिमार्ग 2. पाञ्चरात्र सम्प्रदाय के दिखाई देना। शास्त्र, आगम / पल्यशनः (पुं०) बिच्छ / पाञ्चालेयः [पाञ्चाली+ढक] पाञ्चाली का पुत्र / पल्लवः [पल --क्विप, लू-+ अप, पल चासौ लवश्च, | पाटलकीटः (पुं०) एक प्रकार का कीड़ा। क० स०] 1. अङ्कुर, 2. कली 3. विस्तार 4. शक्ति पाट्यपकरः [पाटी+उपकरः] मुख्य लेखाधिकारी। 5. घास की पत्ती 6. कण 7. वस्त्र का किनारा | पाठक्रमः (पं०) [प० त०] मूलपाठ के अनुक्रम के 8. प्रेम 9. कामकेलि 10. कहानी, कथा। ___ अनुसार निर्धारित पाठ। पल्लवनम् [ पल+क्विप, ल + ल्युट, पल चासौ लवनश्च, / | पाठभेदः [ स० त०] मूलपाठ के रूपान्तर, अवान्तर क० स०] निरर्थक वक्तृता / पाठ। पवनम् [पू+ल्यट] 1. पवित्र करना 2. पिछोड़ना | पाठ्यपुस्तकम् (नपुं०) किसी श्रेणी के लिए निर्धारित 3. छलनी 4. पानी 5. कुम्हार का आवा। सम० पुस्तक / ---चक्रम् बवंडर, भभूला,-पदवी आकाश का प्रदेश। पाणिः [ पण इण, आयाभावः ] हाथ / सम० ---कच्छ पवमानसखः [ब० स०] अग्नि / पिका (स्त्री०) एक प्रकार की मुद्रा, -- गत (वि०) पवित्र (वि०) [पू--इत्र ] 1. पावन, निष्पाप 2. मन को निकट ही, दाक्ष्यम् हाथ की सफ़ाई,-वादः शुद्ध करने का साधन 3. सोमरस को छानने का वस्त्र, 1. तालियाँ बजाना 2. ढोल बजाना 3. केरल प्रदेश छलना या पोना। के ढोलकियों का समुदाय / / पवित्रीकरणम् [ पवित्र--च्चि+कृ+ल्युट ] 1, पवित्र पाण्डवप्रियः [ब० स०] कृष्ण का विशेषण / करना 2. पवित्र करने का साधन / पाण्डिमन् (पुं०) [पाण्डु+इमनिच ] सफ़ेदी / पशु (अ०) [ दृश्+कु, पशादेशः ] देखो! कितना | पाण्डलोहम (नपं०) चाँदी। अच्छा !,-शुः (पुं०) पालतू जानवर, मवेशी / सम० पातः / पत्+घन ] (मल्हम, चाकू आदि का) प्रयोग। --एकत्वन्यायः मीमांसा का नियम जिसके आधार पातालमूलम् (नपुं०) पाताल लोक की निम्न सतह / पर बाक्य का मुख्यार्थ क्रिया के द्वारा संयुक्त होकर | पात्र (वि.) [ पातात् त्रायते इति | पापों से छुटकारा अभिप्रेत वचन को अभिव्यक्त करता है, मै० सं० | दिलाने वाला ..सर्वेषामेव पात्त्राणां परपात्त्रं 4 / 1 / 1 / 16 पर शा० भा०, मतम मिथ्या सिद्धांत, / महेश्वरः-ना० पा० / -----समाम्नायः प्राणिजात के नामों का संग्रह / पात्रम् [पा+ष्ट्रन् ] 1. प्याला, कटोरा 2. बर्तन पश्चादहः (अ०)[पश्चात्+अहः ] तीसरा पहर। 3. आशय 4. योग्य व्यक्ति 5. नाटक में अभिनेता पश्चादुक्तिः (स्त्री०) पश्चात् +उक्तिः] आवृत्ति, 6. राजा का मंत्री 7. दरिया का पाट 8. योग्यता दोहराना। औचित्य / सम० उपकरणम् अलङ्करण के पश्चिमोत्तर (वि०) [ब० स०] उत्तरपश्चिमी / बर्तन, सजावट के पात्र जैसे चौरी आदि,---प्रवेशः पश्चिमसन्ध्या (स्त्री०) सायंकालीन झुटपुटा / (नाट० में) रङ्गमंच पर अभिनेता का आगमन, पश्य (वि०) [दृश्+अच् पश्यादेशः ] जो केवल देखता | ---मेलनम् भिन्न-भिन्न प्रकार का अभिनय कराने रहता है-ददर्श पश्यामिव' 'पुरम् -नै० 16 / 122 / के लिए अभिनेताओं का एकत्रीकरण,-शोधनम पष्ठीही (स्त्री०) बछिया-महा० 13 / 93 / 32 / किसी उपहार को ग्रहण करने के योग्य व्यक्ति पातव्य (वि.) [पा+तव्यत 1 1. पीने के योग्य, पेय की योग्यता की परीक्षा करना, संस्कारः किसी 2. रक्षा किये जाने के योग्य / पात्र या बर्तन को पवित्र करना। पांसुः [पंस्+कु, दीर्घः ] चूर्ण, धूल। सम-क्रीडनम् पात्रकरणम् (नपुं०) विवाह-ममैव पात्रोकरणेऽग्नि धूल में खेलना, गुण्ठित (वि०) धूल से भरा साक्षिक-नै० 668 / हुआ, लवणम् एक प्रकार का नमक / पादः [ पद्+घञ ] मशक की तली में छिद्र-तेनास्य पांसक (वि.) [पंस +णिच-+-बुल ] भ्रष्ट करने क्षरति प्रज्ञा दृतेः पादादिवोदकम्-मनु० 2 / 99 / वाला, बिगाड़ने वाला। सम० कृच्छम् एक प्रकार का व्रत जिसमें हर पांसवः (पुं०) विकलांग / तीसरे दिन उपवास रखना पड़ता है,-निकेतः पाकः [पच्+घा ] शोथ, सूजन / सम-क्रिया पादपीठ, मूंढा, स्टूल,—पद्धतिः (स्त्री०) पदचिह्न, पकाने की क्रिया। --परिचारकः चरण सेवक, विनीत सेवक,-भटः पाजस्यम् (नपुं०) 1. जानवर का पेट 2. पार्श्व भाग। / पदाति, पैदल सिपाही,-लग्नः पैर में चिपका हुआ, For Private and Personal Use Only