________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . ( 1294 ) परिवेल्लित (वि० ) [ परिवेल्ल्+क्त ] घिरा हुआ / पर्यवस्थित (वि.) [परि+अव+स्था+क्त ] 1. पड़ाव --भामि० 2 // 18 // डाला हुआ 2. अधिकृत 3. स्वस्थ, शान्त / परिशङ्का [परिशङ्क+अ+टाप्] 1. संशय, आशंका पर्यादानम् [परि+आ---दा+ल्युट ] अन्त, समाप्ति / 2. आशा, प्रत्याशा / पर्याप्तकाम (वि.) [ब. स.] जिसकी इच्छाएं पूर्ण परिशब्दित (वि.) [ परिशब्द् + क्त] सम्प्रेषित, वणित / हो गई हों। परिशुश्रूषा [ परिश्रू- सन् +टाप, द्वित्वम् ] बिना विचार पर्यापतत (वि०) [परि+आ+पत्+शत ] शीघ्रता आज्ञापालन / ___ करता हुआ, तेजी के साथ दौड़ता हुआ। परिष्प (स्प) न्दः [ परिस्पन्द्+घञ्] शौर्य, पराक्रम। पर्याम्नात (वि.) [परि+आ+ना+क्त ] विख्यात, परिसंचक्ष (अदा० आ०) 1. पृथक करना, निकाल देता प्रसिद्ध। मै० सं० शश६१ पर शा. भा० 2. गिनना / पर्यायः [ परि++घञ्] 1. अन्त-पर्यायकाले धर्मस्य परिसामन् (नपुं०) सामसूक्त जिसकी विरल आवृत्ति / प्राप्ते कलिरजायत - महा० 5 / 74 / 12 2. एक अलंहोती है। कार का नाम --काव्य० 10, चन्द्रा० 5 / 108, सा० परिसरः [ परि-+स-1 ] शिरा, धमनी, वाहिनी / द०७३३ / सम० ...क्रमः परम्परा का सिलसिला। परिस्कन्धः [परि+स्कन्ध +घञ ] संग्रह, समुच्चय। / पर्यायत (वि.) [परि+आ+यम्+क्त] अत्यन्त लम्बा / परिस्तोमः [परि+स्तोम् +अच् ] 1. रंगीन कपड़ा जो | पर्यासित (वि०) [ परि+अस्+णि+क्त ] रही किया हाथी पर डाला जाता है 2. यज्ञपात्र / गया, नष्ट किया गया-परैरपर्यासितवीर्यसंपदाम परिनुत (वि०) [परि++क्त ] बहा हुआ, बूंद-बूंद | | कि० 1141 / करके टपका हुआ। दासः [परि + उद्-+-अस्+घञ ] 'ना' के प्रयोग परिहूत (वि०) [परि + ह्वे -क्त ] आमंत्रित, बुलाया / द्वारा निषेधार्थककृति-(अग्राह्मणम् आनय)-दे० हुआ। मै० सं० 108 / 1-4 पर शा० भा०। परिह (भ्वा० पर०) 1. निराकरण करना 2. आवृत्ति / पर्युपासीन (वि.) [परि+उप+आस-+-शानच, ईत्वम् / करना 3. पोषण करना। ___ 1. बैठा हुआ 2. घिरा हुआ। परिहारः [परि+ह+घन ] 1. त्यागना, छोड़ना पर्युषित (वि०) [परि+वस्+णिच्-+-त] जिसके 2. हटाना, दूर करना 3. निराकरण करना 4. टालना / ऊपर से रात बीत गई हो, बासी, जो ताजा न हो 5. शुल्क से मुक्ति। सम०--विशुद्धिः (स्त्री०) (जैसे रात का रक्खा भोजन)। सम० --वाक्यम् तपश्चरण द्वारा पवित्रीकरण (जैन),-सू वह गाय वह वचन जिसका पालन न किया गया हो, ट्टी जो बहुत अधिक दिनों के पश्चात् बछड़ा सूती है। हुई प्रतिज्ञा। परीष्ट (वि०) [परि+इष+क्त ] वाञ्छनीय, उत्तम, ष्टि (वि.) [परि+वस्+क्त ] बासी। बढ़िया-अन्ते परीष्टगतये हरये नमस्ते - भाग० पर्वतः [ पर्व+अतच् ] 1. पहाड़ 2. एक ऋषि का नाम / 6 / 9 / 45 / सम- उपत्यका पहाड़ की तलहटी में स्थित समतल परषाक्षेपः [क० स०] कठोर शब्दों में व्यक्त किया गया | भूमि,-रोधस् (नपुं०) पहाड़ी ढलान / आक्षेप, ऐतराज / पर्वन् (नपुं०)[ +वनिप्] 1. गाँठ, जोड़ 2. पोरी, परेतकल्पः (पुं०) मतप्राय, मरे हुए के समान / अंश 3. अंग 4. अनुभाग। सम-आस्फोट: परेतकालः (पु.) मृत्यु का समय / अंगुलियां चटखाना (अभिशाप का चिह्न समझा जाता परोशजित (वि.) [परोक्ष+जि+क्विप् ] जो विजय है),---विपद् चन्द्रमा। प्राप्त करता हुआ किसी से देखा नहीं जाता है, अदृष्ट-पलः [पल+अच् ] भूसी, छिल्का,- लम् 1. मांस 2. 4 विजयी। __कर्ष का बट्टा 3. समय की माप 4. एक छीटी तोल / परोक्षबुद्धि (वि.) [ब. स.] तटस्थ, उदासीन / सम०-अन्नम् मांस से मिले चावल। पणनाल: (0) पत्ते के रूप में डंठल / पलाल: [पल्+आलच ] भूसी, तुष, तिनके। सम० पर्णालः [पर्ण-आलच् ] 1. किश्ती 2. एकाकी संघर्ष / --भारकः तिनकों का बोझ, भूसी का भार / पर्पटौदनः [द्व० स०] पर्पटमिश्रित चावल / पलिः (स्त्री०) [पल् + इ ] हाथी के मस्तक से ठीक पर्यम्बद्ध (वि.) [त० स०] दीरासन पर विराजमान / / ऊपर का भाग। पर्यन्तस्थित (वि.) [त० स०] सीमा पर विद्यमान / पलित (वि.) [पल+क्त बढ़ा, जिसके बाल पक गये पपर्यः [परि++मच्] हानि, माश-स्कन्धपर्ययः -महा. हो, जिसके सिर के बाल सफ़ेद हो गये हों,-तम् 1 / 15 / 26 / | 1. सोच बाल 2. पण पाश। सम.-छान् सफ़ेद For Private and Personal Use Only