________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1278 ) दर्शनीयमानिन् (वि.) [ दर्शनीयमान+इनि ] जो अपने / का रथ, विमान,---नक्षत्रम् दक्षिणी दिशा में पहले ___ सौन्दर्य का अभिमान करता है, घमंडी। चौदह नक्षत्रों का नाम,--निन्दा नास्तिकता,-निर्माविवृक्षा (स्त्री०) [ दृश्+सन्-+-अ+टाप् ] देखने की ल्यम् देवताओं को उपहार देने में प्रयुक्त (फूल, माला इच्छा / आदि),-पुरोहितः 1. देवों का अपमा पुरोहित विक्षु (वि०) [दृश् +सन्+उ ] जो देखने का 2. बहस्पति ग्रह,--प्रसूतः (वि०) प्रकृति से उत्पन्न ___ इच्छुक है। (जल आदि), भोगः स्वर्गीय भोग, स्वर्गीय हर्ष, पश् (स्त्री०) [ दृश् / विवप् ] 1. दृष्टि 2. आंख / सम० ......माया दिव्य ध्रम -- तां देवमायामिव वीरमोहिनीम --अञ्चल: (दगञ्चल:) कटाक्ष, कनखी,-छत्रम् भाग० 10, मार्गः 1. बायु, अन्तरिक्ष 2. गुदा (दुकछत्रम्) पलक,—निमीलनम् (रहनिमीलनम) देवमार्ग च दर्शितम् रा० 5/62, रातः परीआँख मिचौनी, बच्चों का एक खेल,-प्रसाबा (दृक्- क्षित् का विशेषण, लक्ष्मम् ब्राह्मणत्व का चिह्न, यज्ञो. प्रसादा) एक नीला पत्थर जो अंजन की भांति प्रयक्त पवीत, सत्यम् दिव्य सचाई,-ह: बायाँ कान-भाग० किया जाता है, संगमः दृष्टिमिलन, नजर मिलना। 4 / 25 / 51 / दृशालुः (पुं०) [ दृश्+आलुच् ] सूर्य / देवितव्य (वि.) [दिन् | तव्यत् ] जए में दाँव पर दृश्यम् [ दृश् + क्यप् ] 1. देखे जाने योग्य 2. सुन्दर ... लगाने योग्य / 3. काव्य का एक भेद जो देखने के उपयुक्त है (विप० / देवीपुराणम् (नपुं०) एक उपपुराण का नाम / श्रव्य) / सम-इतर (बि०) जो दिखाई न दे, देवीभागवतम् (नपुं०) एक महापुराण का नाम / -स्थापित (वि.) आकर्षक रीति से रक्खा हुआ देवीमाहात्म्यम् (नपुं०) मार्कण्डेय पुराण का एक भाग , जिससे सभी उसको देख सकें दृश्यस्थापितमुद्दर्भ- जिसे सप्तशती कहते है। भिक्षाभाण्डमगाजिनाम्-कथा०२४।९२ देशः [ दिश--अच् ] 1. स्थान 2. प्रदेश 3. क्षेत्र 4. प्रान्त दृष्टसार (वि.) [ष० त०] जिसका बल या सामर्थ्य 5. विभाग 6. संस्थान 7. अध्यादेश / सम... अटनम् प्रमाणित हो चुका है- दृष्टसारमथ रुद्रकार्मुके रघु० / किसी, देश में भ्रमण करना,--कण्टकः सामाजिक बराई, देश की प्रगति में बाधक, काला (वि.) दृष्टिः (स्त्री०) [दृश्+क्तिन् 11. नजर, देखना 2. मान- जो व्यक्ति कार्य करने के सही स्थान और समय को सिक रूप से देखना 3. जानना 4. आँख 5. सिद्धान्त जानता है, विट (वि.) ठीक तरह से बिंधा हुआ (दे० दर्शन)। सम-प्रसादः दृष्टि की कृपा, दर्शन (मोती) दर्शक की सापेक्ष स्थिति के आधार पर का अनुग्रह,-मण्डलम् 1. आँख की पुतली 2. दुष्टि- बना गोल घेरा। क्षेत्र,-रागः आंख द्वारा प्रेमाभिव्यक्ति,--भवन्तमन्त-देशकः [दिश्+बुल | संकेतक, ज्ञापक, अनुबोधक / रेण कीदशोऽस्याः दृष्टिरागः श० 2011-12, सम० पटुम् (नपुं०) छत्रक, खुम्भी / -संभेवः पारस्परिक अवलोकन-रवयापि न निरूपिता | देशिकरूपिणी (स्त्री०) अध्यापिका के रूप में देवी, ललिता अनयोईष्टिसंभेद:---महा०७। का विशेषण। सुपरस्मन् (पुं०) चक्की का ऊपर का पाट। देष्टव्य (वि.) [दिश्+तव्यत् / इंगित या संकर्तित किये बुक्सारम् [ष० त०] लोहा - दृषत्सारस्तत्त्वामृतमपि न जाने के योग्य / -म० वी० 6.52 / / वेहः,-हम् [दिह+घञ्] 1. काया, शरीर 2. व्यक्ति देव (वि०) [दिव्+अच् ] 1. दिव्य, स्वर्गीय 2. उज्ज्वल 3. रूप / सम० . आसवः मूत्र,-कृत् 1. पाँच तत्व 3. पूजनीय, माननीय, ...1: (0) 1. देवता 2. वर्षा 2. पिता - अनरण्यस्य देहकृत् - भाग० 9714, का देवता 3. दिव्य मनुष्य, ब्राह्मण-दे० भूदेव -तन्त्र (वि.) शरीर धारी, मूर्तरूप धारण करने 4. देवर, पति का भाई, बम् (नपुं.) ज्ञानेन्द्रिय / वाला, पातः मत्यु,-भेदः मृत्यु,-यापनम् शरीर सम -अर्पणम् 1. देवों के प्रति उपहार 2. वेद-महा० का पालन पोषण करना,-विसर्जनम् मृत्यु,-वृन्तम् 13 / 86 / 17 पर टीका, कुसुमम् इलायची,-सातम्, नाभि,-सारः मज्जा। जातकम् 1. पहार की कन्दरा 2. सरोवर 3. मन्दिर देहिका (स्त्री०) एक प्रकार का कीड़ा। का निकटवर्ती तालाब,-गान्धारी संगीतशास्त्र में एक वक्ष (वि.) [दीक्षा+अण] 'अग्नीषोम' यज्ञ की दीक्षा राग का नाम, पहः भूत-प्रेतों की श्रेणी जो उन्माद लेने वाला। पैदा करती है, -तर्पणम् जल के उपहार से देयों को [वैप (वि.) [दीप-+अण] दीपक से सम्बन्ध रखने तप्त करना,-वत्य (वि.) जो देवताओं का भवि- याला / तव्य हो, उनके भाग्य से लिखा हो,-मिन्यम् देवों। देव (वि.) [देव---अण् ] 1. देवताबों से सम्बन्ध रखने For Private and Personal Use Only