________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Y ( 1282 ) पेय (वि०) [घे+ण्यत्] कार्य में परिणेय, प्रयोज्य, सम-केतुः एक प्रकार की उल्का, टूटा हुआ तारा, -~-अव्याकुलं प्रकृतमुत्तरघेय कर्म-शि० 5 / 60 / -गतिः निश्चित मार्ग,-मण्डलम् ध्रुवीय क्षेत्र,-यष्टिः पर्यम् धीरस्य भावः-व्यञ] 1. दृढ़ता, सामर्थ्य, टिकाऊ- ध्रुवों की धारा, शील (वि.) जिसका आवास पन 2. स्वस्थचित्तता, प्रशान्ति 3. साहस / सम० | निश्चित है। --कलित (वि०) धीर, अक्षुब्ध,--वृत्तिः धीरज से ) ध्वंसः [ध्वंस्-+-घा] 1. अधःपतन, डूबना 2. लुप्त होना, पूर्ण आचरण ओझल होना 3. नाश, विनाश, खंडहर। सम० चौत (वि.) [घाव+क्त] 1. धोया हुआ, प्रक्षालित, ---अभावः पदार्थ के विनाश से उत्पन्न अभाव या स्वच्छ किया हुआ 2. उज्वल किया हुआ, चमकाया सत्ताहीनता,-कारिन् (वि.) 1. नाश करने वाला हुआ 3. उज्वल, चमकीला / सम०-अपाङ्ग (वि.) 2. उल्लंघन करने वाला। जिसकी कनखियाँ चमकीली हों, आस्मन् (वि०) ध्वस्ताक्ष (वि.) [ब० स०] जिसकी आँखें डब गई हों पवित्र हृदय वाला। (जैसी कि मृत्यु के समय) प्रकीर्णकेशं ध्वस्ताक्षम् चौतेयम् [घौति+ठक्] सैन्धव, पहाड़ी नमक, लाहौरी | ---- भाग० 7 / 30 / नमक। ध्वजः [ध्वज्+अच्] 1. खड्ग का एक भाग 2. झंडा, भौम्यः (पुं०) एक ऋषि का नाम / 3. पूज्य व्यक्ति 4. ध्वजा की यष्टि 5. चिह्न, प्रतीक / ध्यानधिष्ण्य (वि.) ध्यान का अभ्यास करने के योग्य / सम० -- आरोहणम् झंडा फहराना, * आरोहः झंडे पर ध्यानमुद्रा 0 त०] ध्यान या चिन्तन करने की विशेष एक प्रकार की सजावट, - उच्छयः धूर्तता, पाखंड। स्थिति या मुद्रा। ध्वजिन् (वि.) [ध्वज+इनि] धूर्त, पाखंडी--माल. ध्रुव (वि.) [ध्रु+क] स्थिर, अचल, स्थायी, अनिवार्य, 121158 / 18 / -- (0) 1. खूटी-नाना० 2. ज्योतिष का एक | ध्वनिनाला (स्त्री०) 1. वीणा 2. एक प्रकार का लम्बोतरा योग 3. मूलविन्दु 4. ध्रुव तारा,--वम् (नपुं०) ढोल, तासा। निश्चित किया बिन्दु, - वा (स्त्री०) धनुष की डोरी। | ध्वान्तजालम् रात्रि का आवरण, अंधकार का समूह / नष्ट (वि.)[नंश+तच ] हानिकारक, विनाशक / नगापगा। (स्त्री०) पहाड़ी नदी / नहंसः [ हसन्ति विकसन्ति ते हंसा:-नमन्तो हंसा येषां ते | नगनदी / नहसा: ] अपने भक्तों पर कृपा करने वाला . महा० नगरमण्डना (स्त्री०) वेश्या / 11170 / 15 पर टीका। | नगरिन् (पुं०) [नगर+इनि नगरपाल / नकल/नास्ति कूलं यस्य, समासे नगो नलोपः प्रकृति- नग्नह (नपुं०) आसव तैयार करने के लिए उठाया गया भावात् ] नीच कुल में उत्पन्न-नकुलः पाण्डुतनये खमीर, किण्वन / सर्पभुककुलहीनयोः -नाना। सम-ईशः तान्त्रिक नग्नचर्या (स्त्री०) नग्न रहने की प्रतिज्ञा / पूजा की एक रीति,-द्वषी सांप-- नकुलद्वेषी तथा / नग्नाचार्यः (पुं०) चारण, भाट, स्तुति पाठक / पिशुनः - वास। नटनारायणः (पुं०) संगीत शास्त्र में वर्णित एक राग। नक्तन्तन (वि.) [ नक्तं+तन ] रात्रि से संबंध रखने नटवत् (वि.) [नट+मतुप | नाटक के पात्र की भांति वाला रात का। व्यवहार करने वाला। नक्रकेतनः[ब.स.1 कामदेव / / नडमीनः (40) एक प्रकार की मछली। नक्रमक्षिका (स्त्री०) [ष० त०] जल की मक्खी। नतनाभि (वि.) [ब. स.1 सुकुमार, तन्त्री .--तस्याः नक्षत्रम् [ नक्षरति नक्ष अनन् ] 1. तारा 2. तारापुंज, प्रविष्टा नतनाभिरन्धं रराज तन्वी नवलोमराजिः 3. मोती 4. सत्ताइस मोतियों की माला। सम. - कु. 1138 / -इष्टिः एक यज्ञ का नाम,-उपजीविन् (पुं०) | नत्यूहः (पुं०) एक प्रकार का पक्षी-रा० 2 / 56 / 9 / ज्योतिषी,--भोगः नक्षत्र की कालावधि,-लोकः तारों नत्रम् (नपुं०) एक प्रकार का नाच / का प्रदेश। नदीकलम् [ष० त०] नदी का किनारा, नदी तट। मसान्यासः [ष० त०] नाखून अन्तविष्ट करना, पंजा नवीतर (वि.) [नदी तरतीति-तु+अच ] नदी को धुसेड़ देना। / पार करने वाला। For Private and Personal Use Only